अज़ीम प्रेमजी फाउंडेशन ने बागेश्वर के दुगनकुड़ी कॉलेज में छात्रवृत्ति कार्यशाला आयोजित

अज़ीम प्रेमजी फाउंडेशन ने बागेश्वर के दुगनकुड़ी कॉलेज में छात्रवृत्ति कार्यशाला आयोजित

उत्तरी भारत के उत्तराखंड राज्य के बागेश्वर जिले में स्थित दुगनकुड़ी कॉलेज में अज़ीम प्रेमजी फाउंडेशन की एक विस्तृत कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस सत्र का मुख्य उद्देश्य छात्रवृत्ति कार्यक्रम के बारे में जागरूकता बढ़ाना और पात्र विद्यार्थियों को आवश्यक जानकारी प्रदान करना था।

कार्यशाला का मुख्य फोकस

सत्र में फाउंडेशन के प्रतिनिधियों ने स्पष्ट किया कि उनकी अज़ीम प्रेमजी फाउंडेशन छात्रवृत्ति 2025 में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग की छात्रियों को वार्षिक ₹30,000 की सहायता प्रदान करेगी। यह सहायता 18 राज्यों में वितरित की जाती है, जिसमें उत्तराखंड भी शामिल है।

कार्यशाला के दौरान निम्नलिखित बिंदुओं पर विस्तार किया गया:

  • छात्रवृत्ति के लिये योग्यता मानदंड – विशेषकर पिछड़ा वर्ग, सामाजिक व आर्थिक बाधाएँ, और शैक्षिक प्रदर्शन।
  • आवेदन प्रक्रिया – ऑनलाइन फॉर्म भरना, आवश्यक दस्तावेज़ जमा करना और डेडलाइन तक आवेदन करना।
  • छात्रवृत्ति प्राप्त करने के बाद मिलने वाले अतिरिक्त लाभ – मेंटरशिप, शैक्षणिक सामग्री और कौशल विकास कार्यक्रम।
  • स्थानीय कॉलेजों और स्कूलों के साथ समन्वय के उपाय, ताकि अधिक संख्या में योग्य छात्रा इस योजना का लाभ उठा सके।
स्थानीय प्रतिक्रिया और भविष्य की योजना

स्थानीय प्रतिक्रिया और भविष्य की योजना

कार्यशाला में कॉलेज के प्रिंसिपल, अध्यापक और विद्यार्थियों ने सक्रिय भागीदारी की। कई छात्राओं ने बताया कि इस वित्तीय समर्थन के कारण उच्च शिक्षा जारी रखने का उनका दृढ़ संकल्प बढ़ गया है। एक स्थानीय शिक्षिका ने कहा, "ऐसी योजनाएँ ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा को सशक्त बनाती हैं और लड़कियों को आगे बढ़ने का आत्मविश्वास देती हैं।"

अज़ीम प्रेमजी फाउंडेशन ने बताया कि भविष्य में इस प्रकार के कार्यशालाओं को उत्तराखंड के अन्य जिलों में भी दोहराया जाएगा। इससे अधिक छात्रों तक जानकारी पहुंचाने और उन्हें आवेदन करने के लिए प्रोत्साहित करने में मदद मिलेगी।

कार्यशाला के समापन पर फाउंडेशन ने एक विशेष सत्र आयोजित किया, जहाँ उपस्थित छात्राओं को व्यक्तिगत मार्गदर्शन दिया गया और आने वाले चयन चरणों के बारे में विस्तृत निर्देश प्रदान किए गए। इस पहल से यह स्पष्ट है कि शैक्षणिक अवसरों की समानता को बढ़ावा देने में स्थानीय संस्थानों और दानकारी संगठनों के सहयोग का कितना महत्व है।

16 टिप्पणि

  • Image placeholder

    Manoranjan jha

    सितंबर 29, 2025 AT 05:24

    ये छात्रवृत्ति वाली बात अच्छी है, लेकिन अगर ग्रामीण इलाकों में इंटरनेट कनेक्शन ही कमजोर है, तो ऑनलाइन फॉर्म भरना कितना आसान होगा? कई बार लड़कियां अपने घर में ही इंटरनेट यूज़ नहीं कर पातीं।

  • Image placeholder

    ayush kumar

    सितंबर 29, 2025 AT 16:47

    ये फाउंडेशन तो बहुत बड़ा नाम है, लेकिन असली मुद्दा ये है कि जब तक हमारे गांवों में स्कूलों में कंप्यूटर लैब नहीं होगी, तब तक ये सब बस एक डिस्प्ले चार्ट होगा। लड़कियां फॉर्म भरने के लिए बार-बार बस स्कूल जाएंगी, और अध्यापक भी उन्हें नहीं समझ पाएंगे।

  • Image placeholder

    Soham mane

    सितंबर 30, 2025 AT 20:24

    अगर ये पैसा वाकई लड़कियों तक पहुंचता है, तो ये बहुत बड़ी बात है। मैंने अपने गांव में एक लड़की को देखा था जो इंजीनियरिंग के लिए तैयारी कर रही थी, लेकिन पैसे की कमी के कारण छोड़ देने वाली थी। अगर ऐसी योजनाएं ज्यादा हों, तो देश का भविष्य बदल सकता है।

  • Image placeholder

    Neev Shah

    अक्तूबर 2, 2025 AT 17:33

    अज़ीम प्रेमजी फाउंडेशन का यह उदाहरण वास्तव में एक निजी सामाजिक न्याय का उदाहरण है, जो राष्ट्रीय शिक्षा नीति की असफलताओं को भरने के लिए एक अल्ट्रा-लिबरल अप्रोच है। लेकिन यह भी ध्यान देने योग्य है कि जब तक राज्य शिक्षा विभाग अपनी जिम्मेदारी नहीं लेगा, तब तक ये सब एक दानकर्ता की अहंकारिता है।

  • Image placeholder

    Chandni Yadav

    अक्तूबर 3, 2025 AT 20:36

    यह कार्यशाला एक बहुत ही सतही प्रयास है। वित्तीय सहायता के बिना शिक्षा के अन्य पहलुओं-जैसे कि पाठ्यक्रम की गुणवत्ता, अध्यापकों की भर्ती, या छात्राओं के लिए सुरक्षित आवास-पर ध्यान नहीं दिया गया है। यह एक लंबे समय तक चलने वाली समस्या का एक टेम्पररी बैंडएप है।

  • Image placeholder

    Raaz Saini

    अक्तूबर 5, 2025 AT 14:06

    ये सब बस इमेजिंग है। असल में ये फाउंडेशन अपनी ब्रांडिंग के लिए ये सब कर रहा है। आप देखेंगे, अगले साल इनके नाम के साथ एक बड़ा ब्रांडेड वीडियो आएगा। और जिन लड़कियों को ये छात्रवृत्ति मिली, उनके बारे में कोई नहीं पूछेगा।

  • Image placeholder

    Dinesh Bhat

    अक्तूबर 5, 2025 AT 15:59

    क्या ये छात्रवृत्ति सिर्फ लड़कियों के लिए है? लड़कों के लिए कुछ नहीं है? मैंने अपने दोस्त को देखा है जो बहुत अच्छा छात्र है, लेकिन घर में उसकी बहन को पहले प्राथमिकता दी जाती है। ये नीति वाकई समानता की ओर जा रही है, या सिर्फ जेंडर बायस को फिर से बढ़ावा दे रही है?

  • Image placeholder

    Kamal Sharma

    अक्तूबर 6, 2025 AT 02:39

    हमारे गांव में लड़कियां अक्सर शादी के बाद शिक्षा छोड़ देती हैं। इस छात्रवृत्ति से उन्हें लगेगा कि वो अपने भविष्य के लिए लड़ सकती हैं। ये एक छोटी सी शुरुआत है, लेकिन ये बहुत महत्वपूर्ण है। धन्यवाद अज़ीम प्रेमजी फाउंडेशन।

  • Image placeholder

    Himanshu Kaushik

    अक्तूबर 7, 2025 AT 08:06

    बहुत अच्छा काम किया। बस इतना याद रखो कि जहां बिजली नहीं है, वहां इंटरनेट नहीं होगा। फॉर्म भरने के लिए किसी को बुलाओ, और जिनके पास फोन नहीं है, उन्हें ट्रेनिंग दो।

  • Image placeholder

    Sri Satmotors

    अक्तूबर 8, 2025 AT 05:01

    ये बहुत अच्छा है। लड़कियों को शिक्षा मिले, तो पूरा गांव बदल जाता है।

  • Image placeholder

    Sohan Chouhan

    अक्तूबर 9, 2025 AT 07:16

    ये सब बस एक ट्रेंड है... अब लड़कियों को फोकस करना ट्रेंड है... लेकिन अगर एक लड़का भी इस छात्रवृत्ति के लिए आवेदन करे तो उसे रिजेक्ट कर देंगे? ये तो जेंडर डिस्क्रिमिनेशन है... और ये फाउंडेशन जानता है कि ये बात नहीं बोलनी चाहिए... लेकिन ये लोग बस ट्रेंड पर चल रहे हैं।

  • Image placeholder

    SHIKHAR SHRESTH

    अक्तूबर 9, 2025 AT 20:22

    कार्यशाला के बाद जो व्यक्तिगत मार्गदर्शन दिया गया, वह बहुत अहम है। अक्सर लड़कियां डरती हैं कि उनके दस्तावेज़ गलत हैं या फॉर्म नहीं भर पाएंगी। एक व्यक्ति के सामने बैठकर बताने से विश्वास बनता है। ये तकनीक बहुत अच्छी है।

  • Image placeholder

    amit parandkar

    अक्तूबर 10, 2025 AT 12:59

    ये सब एक बड़ा फ्रॉड है। ये फाउंडेशन किसी बड़े कॉर्पोरेट ग्रुप का झूठा चेहरा है। वो लड़कियों को शिक्षा देकर उन्हें बाद में अपने बिजनेस में डाल देंगे। ये सब एक बड़ा एक्सप्लॉइटेशन प्लान है। तुम देखोगे, अगले 5 साल में ये लड़कियां किसी कंपनी में बेच दी जाएंगी।

  • Image placeholder

    Annu Kumari

    अक्तूबर 10, 2025 AT 16:43

    मुझे लगता है कि इस तरह के प्रयासों को और बढ़ावा देना चाहिए। अगर एक लड़की शिक्षित होती है, तो वो अपने परिवार को भी बदल देती है। ये बहुत छोटा कदम है, लेकिन ये बहुत बड़ा असर डाल सकता है।

  • Image placeholder

    haridas hs

    अक्तूबर 11, 2025 AT 09:00

    इस छात्रवृत्ति के वित्तीय प्रावधान के साथ एक गुणवत्ता आकलन तंत्र का अभाव है। वित्तीय उपलब्धता के साथ शैक्षिक अनुसरण की निरंतरता का डेटा नहीं दिया गया है। यदि छात्राओं का रखरखाव या अधिगम गुणवत्ता का मापन नहीं किया जाता है, तो यह एक व्यय है, न कि एक निवेश।

  • Image placeholder

    Shiva Tyagi

    अक्तूबर 11, 2025 AT 23:47

    हम भारतीय संस्कृति में लड़कियों को घर में रखने की आदत है। ये फाउंडेशन ने एक अपराध को नहीं, एक धर्म को बदल दिया है। ये जिस दिशा में जा रहा है, वो वाकई देश का भविष्य है।

एक टिप्पणी लिखें