अज़ीम प्रेमजी फाउंडेशन ने बागेश्वर के दुगनकुड़ी कॉलेज में छात्रवृत्ति कार्यशाला आयोजित

अज़ीम प्रेमजी फाउंडेशन ने बागेश्वर के दुगनकुड़ी कॉलेज में छात्रवृत्ति कार्यशाला आयोजित सित॰, 28 2025

उत्तरी भारत के उत्तराखंड राज्य के बागेश्वर जिले में स्थित दुगनकुड़ी कॉलेज में अज़ीम प्रेमजी फाउंडेशन की एक विस्तृत कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस सत्र का मुख्य उद्देश्य छात्रवृत्ति कार्यक्रम के बारे में जागरूकता बढ़ाना और पात्र विद्यार्थियों को आवश्यक जानकारी प्रदान करना था।

कार्यशाला का मुख्य फोकस

सत्र में फाउंडेशन के प्रतिनिधियों ने स्पष्ट किया कि उनकी अज़ीम प्रेमजी फाउंडेशन छात्रवृत्ति 2025 में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग की छात्रियों को वार्षिक ₹30,000 की सहायता प्रदान करेगी। यह सहायता 18 राज्यों में वितरित की जाती है, जिसमें उत्तराखंड भी शामिल है।

कार्यशाला के दौरान निम्नलिखित बिंदुओं पर विस्तार किया गया:

  • छात्रवृत्ति के लिये योग्यता मानदंड – विशेषकर पिछड़ा वर्ग, सामाजिक व आर्थिक बाधाएँ, और शैक्षिक प्रदर्शन।
  • आवेदन प्रक्रिया – ऑनलाइन फॉर्म भरना, आवश्यक दस्तावेज़ जमा करना और डेडलाइन तक आवेदन करना।
  • छात्रवृत्ति प्राप्त करने के बाद मिलने वाले अतिरिक्त लाभ – मेंटरशिप, शैक्षणिक सामग्री और कौशल विकास कार्यक्रम।
  • स्थानीय कॉलेजों और स्कूलों के साथ समन्वय के उपाय, ताकि अधिक संख्या में योग्य छात्रा इस योजना का लाभ उठा सके।
स्थानीय प्रतिक्रिया और भविष्य की योजना

स्थानीय प्रतिक्रिया और भविष्य की योजना

कार्यशाला में कॉलेज के प्रिंसिपल, अध्यापक और विद्यार्थियों ने सक्रिय भागीदारी की। कई छात्राओं ने बताया कि इस वित्तीय समर्थन के कारण उच्च शिक्षा जारी रखने का उनका दृढ़ संकल्प बढ़ गया है। एक स्थानीय शिक्षिका ने कहा, "ऐसी योजनाएँ ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा को सशक्त बनाती हैं और लड़कियों को आगे बढ़ने का आत्मविश्वास देती हैं।"

अज़ीम प्रेमजी फाउंडेशन ने बताया कि भविष्य में इस प्रकार के कार्यशालाओं को उत्तराखंड के अन्य जिलों में भी दोहराया जाएगा। इससे अधिक छात्रों तक जानकारी पहुंचाने और उन्हें आवेदन करने के लिए प्रोत्साहित करने में मदद मिलेगी।

कार्यशाला के समापन पर फाउंडेशन ने एक विशेष सत्र आयोजित किया, जहाँ उपस्थित छात्राओं को व्यक्तिगत मार्गदर्शन दिया गया और आने वाले चयन चरणों के बारे में विस्तृत निर्देश प्रदान किए गए। इस पहल से यह स्पष्ट है कि शैक्षणिक अवसरों की समानता को बढ़ावा देने में स्थानीय संस्थानों और दानकारी संगठनों के सहयोग का कितना महत्व है।