भारत की अर्थव्यवस्था : युवा कार्यबल के सहारे $10 ट्रिलियन की ओर

भारत की अर्थव्यवस्था : युवा कार्यबल के सहारे $10 ट्रिलियन की ओर

भारत की अर्थव्यवस्था की दिशा में युवा कार्यबल

आर्थिक सर्वेक्षण 2025 ने भारत के विकास के लिए एक नई रूपरेखा प्रस्तुत की है। रिपोर्ट के अनुसार, देश में मौजूद विशाल युवा कार्यबल, जिसे जनसांख्यिकीय लाभांश के रूप में जाना जाता है, भारत की अर्थव्यवस्था को $10 ट्रिलियन तक पहुंचा सकता है। यह सिर्फ सपना नहीं, बल्कि एक संभाव्यता है, जिसे सही दिशा देने की आवश्यकता है। भारत के पास दुनिया का सबसे बड़ा युवा कार्यबल है, जो कि आर्थिक उत्पादकता और विकास को अत्यधिक बढ़ावा दे सकता है। इस कार्यबल को सही दिशा देकर भारत एक नई उड़ान भर सकता है।

भारत के युवाओं की ऊर्जा और उनके उद्यमशीलता की क्षमता इस यात्रा को संभव बनाएगी। लेकिन यह सब तभी संभव है जब हमारे पास सही नीतियां और ढांचागत परिवर्तन हों। आर्थिक सर्वेक्षण इस बात पर जोर देता है कि प्रभावी नीतियों का निर्माण, शिक्षा और प्रशिक्षण में सुधार, और बेहतर रोजगार अवसर सृजन, इन सभी से भारत इस जनसांख्यिकीय लाभांश का पूरा लाभ उठा सकता है।

जनसांख्यिकीय लाभांश: समय की महत्वपूर्ण चुनौती

जनसांख्यिकीय लाभांश का मुख्य आकर्षण यह है कि यह तब प्रकट होता है जब कुल प्रजनन दर में कमी और कार्यबल के विस्तार के परिणामस्वरूप अवसर पैदा होते हैं। यह भारत के लिए एक अद्वितीय अवसर प्रस्तुत करता है, जिसके द्वारा आर्थिक उन्नति के नए द्वार खुल सकते हैं। हालांकि, यह सिर्फ अवसर नहीं है, बल्कि एक बड़ी चुनौती भी है। अर्थशास्त्री इस बात पर सहमत हैं कि जब तक हमारे युवाओं के लिए उत्पादकता की संभावनाओं का सृजन नहीं होगा, तब तक यह अवसर जोखिम में रह सकता है।

अरबों की आबादी वाले इस देश में हर साल 7-8 मिलियन युवा श्रम शक्ति में शामिल होते हैं। यह संख्या केवल एक अवसर ही नहीं, बल्कि एक चुनौती भी है। इस युवा शक्ति को सही दिशा और अवसर प्रदान करना हमारे लिए एक बड़ी जरूरत है।

उच्च बेरोजगारी दर: समाधान की तलाश

भारत की बेरोजगारी दर पर ध्यान देते हुए एक महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि हमारे देश की 83% बेरोजगार आबादी युवा है। यह आंकड़ा दर्शाता है कि हम किस दिशा में और कितनी तत्परता से कदम उठा सकते हैं। बेरोजगारी केवल आर्थिक सरंचनात्मक नीतियों से नहीं, बल्कि सभी स्तरों पर समन्वित प्रयासों से निपटाई जा सकती है।

रोजगार केंद्रित आर्थिक विकास की ओर

रोजगार केंद्रित आर्थिक विकास की ओर

रोजगार उन्मुख आर्थिक विकास रणनीतियाँ अनिवार्य हैं, ताकि इस बड़े युवा कार्यबल को उत्पादक रोजगार में संलग्न किया जा सके। ऐसे में, औद्योगिक नीतियों का पुनर्गठन और व्यापक स्तर पर सेवा क्षेत्र को प्रोत्साहन देने की जरूरत है। कृषि क्षेत्र, जो कि अब भी व्यापक जनसंख्या को रोजगार प्रदान करता है, उसमें नवाचार और तकनीकी समावेशन से सुधार की आवश्यकता है।

युवा कार्यबल की प्रभावी भागीदारी के लिए कौशल विकास कार्यक्रम और उद्यमशीलता को बढ़ावा देने की रणनीतियाँ अपनानी होंगी। इसमें सभी स्तरों पर शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार और व्यावसायिक प्रशिक्षण केंद्रों का विकास करना बड़े पैमाने पर काम आ सकता है। इसके साथ ही, डिजिटल इंडिया अभियान के तहत नवीनतम तकनीकों को ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में लाना, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि हमारी युवा पीढ़ी वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धा कर सके।

नए उद्योग और सेवाएँ: रोजगार संभावनाएँ

नए उद्योगों के उभरने और तकनीकी आदान-प्रदान में निवेश को बढ़ावा देकर हम रोजगार की नई संभावनाओं का सृजन कर सकते हैं। उभरते हुए क्षेत्रों जैसे सूचना प्रौद्योगिकी, जैव प्रौद्योगिकी, और निर्मित बुद्धिमत्ता (AI) में बदलाव की जरूरत है। इन क्षेत्रों में बहुतायत से रोजगार सृजन किया जा सकता है। साथ ही, पारंपरिक उद्योगों जैसे निर्माण और वस्त्र उद्योग में भी नवाचार की आवश्यकता है।

इसके अतिरिक्त, एक स्मार्ट रोजगार नीति के तहत स्वरोजगारी और लघु उद्योगों के लिए समर्थन प्रदान करना महत्वपूर्ण होगा। इन उपायों से निश्चित रूप से भारत के विकास में एक नई दिशा मिल सकती है और आर्थिक सर्वेक्षण में प्रस्तुत विचार एवं लक्ष्यों को साकार करने में सहायता मिलेगी।

8 टिप्पणि

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    Pradeep Talreja

    फ़रवरी 2, 2025 AT 14:47
    युवा कार्यबल का जनसांख्यिकीय लाभांश तभी काम करेगा जब हम शिक्षा को रटाव नहीं, बल्कि सीखने की प्रक्रिया बना दें। अभी तक तो हमने बस डिग्रियाँ छपवाई हैं, न कि कौशल विकसित किए हैं।
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    Chandni Yadav

    फ़रवरी 3, 2025 AT 16:52
    आर्थिक सर्वेक्षण 2025 के अनुसार, बेरोजगारी की 83% आबादी युवा है - यह आंकड़ा नहीं, एक अपराध है। शिक्षा मंत्रालय ने कभी रोजगार उत्पादकता के लिए डिज़ाइन नहीं किया, बस परीक्षा दिए।
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    ayush kumar

    फ़रवरी 3, 2025 AT 20:14
    मैं गाँव से हूँ, हमारे यहाँ एक लड़का जिसने ट्रक चलाना सीखा, अब एक डिजिटल प्लेटफॉर्म पर लॉजिस्टिक्स मैनेज करता है। तकनीक नहीं, अवसर चाहिए। ये सब नीतियाँ तो दिल्ली के ऑफिसों में बनती हैं, लेकिन गाँवों में लागू नहीं होतीं।
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    Soham mane

    फ़रवरी 4, 2025 AT 11:14
    हमारे युवा तो बस इंतजार में नहीं बैठे हैं, वो बना रहे हैं। मेरा छोटा भाई ने अपने घर के बाहर एक छोटा सा फैक्ट्री स्टार्टअप शुरू किया है - रीसाइक्ल्ड प्लास्टिक से बेडस बना रहा है। अगर हम उन्हें रोकेंगे तो कौन आगे बढ़ेगा?
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    Mishal Dalal

    फ़रवरी 4, 2025 AT 16:38
    हमारी सभ्यता ने दुनिया को शून्य, अनंत, और शून्य के बीच का अंतर बताया - और आज हम एक ऐसी अर्थव्यवस्था बनाने की बात कर रहे हैं, जिसमें हमारे युवा बस एक बटन दबाने के लिए तैयार हैं? यह न केवल असंभव है, यह अपमानजनक है। हमें अपने युवाओं को दर्शन की ओर ले जाना होगा, न कि कॉल सेंटर की ओर!
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    Neev Shah

    फ़रवरी 4, 2025 AT 23:58
    आप लोग जो युवाओं के लिए रोजगार की बात करते हैं, वे शायद नहीं जानते कि एक आईआईटी के छात्र को अब एक स्टार्टअप बनाने के लिए नहीं, बल्कि एक एमबीए के लिए एक लाख रुपये खर्च करने की आवश्यकता है। जब तक हमारी शिक्षा व्यवस्था एक ब्रांडिंग बिजनेस नहीं बन जाती, तब तक ये सब बकवास है।
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    Manoranjan jha

    फ़रवरी 5, 2025 AT 17:14
    मैं एक रोजगार केंद्र में काम करता हूँ। हर हफ्ते 200 युवा आते हैं, जिनमें से 80% को बेसिक कंप्यूटर नहीं आता। डिजिटल इंडिया का नारा तो चल रहा है, लेकिन इंटरनेट कनेक्शन नहीं है, लैपटॉप नहीं है, बस आशा है। नीतियाँ बनाने से पहले जमीन पर जाओ।
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    Rahul Kaper

    फ़रवरी 6, 2025 AT 03:56
    मैं एक शिक्षक हूँ। मैंने देखा है कि जब एक लड़की जिसकी माँ घर से बाहर नहीं जाती थी, उसे एक ऑनलाइन ट्रेनिंग का मौका मिला, तो उसने न केवल खुद को बदला, बल्कि अपने पूरे गाँव को बदल दिया। ये बदलाव नीतियों से नहीं, एक अवसर से शुरू होता है। बस उस अवसर को दें।

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