ब्लेक लाइवली की प्रमुख भूमिका वाली फ़िल्म 'इट एंड्स विद अस': घरेलू हिंसा की कहानी

ब्लेक लाइवली की प्रमुख भूमिका वाली फ़िल्म 'इट एंड्स विद अस': घरेलू हिंसा की कहानी

घरेलू हिंसा पर आधारित फ़िल्म 'इट एंड्स विद अस'

आगामी फ़िल्म 'इट एंड्स विद अस', ब्लेक लाइवली की मुख्य भूमिका और सह-निर्माण में बनी है, जो एक रोमांटिक संबंध की कहानी है, जो धीरे-धीरे हिंसा में बदल जाती है। इस फ़िल्म का आधार कोलीन हूवर के बेस्टसेलर उपन्यास पर है। टीज़र जारी होने के पहले ही दिन इस फ़िल्म ने 128 मिलियन व्यूज़ हासिल किए।

कोलीन हूवर: लेखक का सफर

कोलीन हूवर, जो टेक्सास की निवासी हैं और उनके जीवन की कठिनाइयों का गहरा प्रभाव उनके लेखन पर दिखता है। 2012 में औपचारिक रूप से लेखन की शुरुआत करने वाली हूवर ने अपने पहले उपन्यास 'स्लैम्ड' को खुद प्रकाशित किया। इसके बाद से उनकी लेखनी ने युवाओं, खासतौर पर जेन-जेड महिलाओं के बीच गहरी पैठ बनाई।

मीडिया और आलोचना

कोलीन हूवर द्वारा लिखित 'इट एंड्स विद अस' पर मीडिया और आलोचकों के विभिन्न विचार हैं। कुछ लोग इस पुस्तक की सराहना करते हैं कि यह गंभीर मुद्दों को संवेदनशीलता के साथ पेश करती है। वहीं, दूसरे लोग इसे घरेलू हिंसा को रोमांटिसाइज करने वाला मानते हैं।

'इट एंड्स विद अस': कहानी और प्रभाव

यह कहानी लिली की है, जिसने अपने पिता की ओर से माँ पर हो रही हिंसा को करीब से देखा है। बचपन की इन घटनाओं का प्रभाव उसके जीवन पर गहरा पड़ता है। जवान होने पर वह राइल से मिलती है, जो शुरू में प्यार जताता है, लेकिन बाद में हिंसक हो जाता है। यह उसकी माँ के अनुभव का प्रतिबिंब है।

प्रशंसक और प्रशंसा

कोलीन हूवर की फैन फॉलोइंग, जिन्हें 'कोहोर्ट्स' कहा जाता है, ने सोशल मीडिया पर उनके उपन्यासों को लोकप्रिय बनाया। 2022 तक, उनके छह उपन्यास न्यूयॉर्क टाइम्स पेपरबैग फिक्शन बेस्टसेलर लिस्ट में शामिल थे। उनकी पुस्तकों ने बाइबल को भी बिक्री में पार कर लिया।

लिली की यात्रा और सामाजिक संदेश

फिल्म में लिली की कहानी कई महिलाओं के लिए प्रेरणा बन सकती है। समाज में एक महत्वपूर्ण संदेश देने वाली इस फ़िल्म को देखकर, लोग घरेलू हिंसा के प्रति जागरूक हो सकते हैं। जो लोग ऐसे अनुभव से गुजर रहे हैं, उनके लिए यह कहानी एक शक्ति और सहारे का प्रतीक बन सकती है।

भविष्य की फैंस और योजनाएं

भविष्य में इस फ़िल्म के अनुकरण में 'वेरिटी' की भी फिल्मीकरण की योजना है जिसे हब हॉलीवुड में चर्चा का विषय बनी हुई है। साथ ही अगले पांच वर्षों में हूवर चार और नए उपन्यास के साथ आने वाली हैं, जो उन्हें एक बेहद प्रचलित लेखक के रूप में स्थापित करता है।

'इट एंड्स विद अस' नौ अगस्त को थियेटरों में पर्दर्शित हुई। यदि आप या आपका कोई जानकार लैंगिक-आधारित हिंसा का शिकार है, तो यूएन वीमेन ग्लोबल डेटाबेस वायलेंस अगेन्स्ट से सहायता प्राप्त कर सकते हैं।

18 टिप्पणि

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    Pradeep Talreja

    अगस्त 10, 2024 AT 18:09
    ये फिल्म बस एक और घरेलू हिंसा की कहानी नहीं है। ये एक अलर्ट है।
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    ayush kumar

    अगस्त 10, 2024 AT 20:55
    मैंने कोलीन हूवर का ये नॉवेल पढ़ा था... असल में ये कहानी बचपन के ट्रॉमा का एक बहुत ही सच्चा चित्रण है। लिली की यात्रा दर्दनाक है, लेकिन उसकी ताकत देखकर आंखें भर आती हैं।
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    Chandni Yadav

    अगस्त 10, 2024 AT 22:05
    इस फिल्म को रोमांटिसाइज करने का आरोप लगाना बिल्कुल गलत है। यहां हिंसा को कोई रोमांटिक लुक नहीं दिया गया है, बल्कि उसकी विनाशकारी गहराई को दर्शाया गया है।
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    Raaz Saini

    अगस्त 12, 2024 AT 03:11
    अरे भाई, ये सब फिल्में तो बस एक नए तरीके से लोगों को भावुक बनाने के लिए हैं। आखिर ये लेखिका किस तरह की जिंदगी जी रही है? बस एक लिखने वाली औरत है जिसके पास न तो पैसा है न बैकग्राउंड।
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    Annu Kumari

    अगस्त 13, 2024 AT 23:10
    मैंने अपनी बहन को इस फिल्म के बारे में बताया... वो रो पड़ी। कहने लगी कि ये उसकी माँ की कहानी है। मैंने उसे एक सहायता नंबर दिया। ये फिल्म बस मनोरंजन नहीं, बचाव का जरिया है।
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    Mishal Dalal

    अगस्त 15, 2024 AT 10:34
    हमारे देश में घरेलू हिंसा को नज़रअंदाज़ किया जाता है... और अब ये फिल्म आ गई जो इसे सामने रख रही है? ये अमेरिकी संस्कृति का एक बाहरी दबाव है! हमारी संस्कृति में ये सब बातें अलग तरह से समझी जाती हैं!
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    Rahul Kaper

    अगस्त 16, 2024 AT 21:02
    मैंने इस फिल्म को देखने के बाद अपने घर में एक बात बदल दी। मैंने अपने बेटे के साथ बात की कि कैसे एक आदमी को अपनी भावनाओं को नियंत्रित करना चाहिए। बच्चे देखते हैं, सीखते हैं।
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    Soham mane

    अगस्त 18, 2024 AT 13:53
    कोलीन हूवर के बारे में बात करें तो ये लेखिका असल में एक आम लड़की है जिसने अपने दर्द को कलम बना लिया। इसका असर लाखों लोगों पर पड़ा है। ये कोई सुपरस्टार नहीं, बस एक आदमी जो लिखता है।
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    Manoranjan jha

    अगस्त 20, 2024 AT 04:48
    घरेलू हिंसा के मामले में सबसे बड़ी बात ये है कि शिकायत करने वाली महिला को अक्सर दोषी ठहराया जाता है। इस फिल्म में लिली का चरित्र इसी बात को साफ़ कर रहा है - वो दोषी नहीं, बल्कि बचाव के लिए लड़ रही है।
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    Neev Shah

    अगस्त 21, 2024 AT 12:11
    ये सब एक बहुत ही बेसिक ड्रामा है। असली साहित्य तो वो होता है जो गहराई से मानवीय संघर्ष को उकेरता है। ये फिल्म तो बस एक ट्रेंडी नाटक है जिसे टिकटॉक वाले लोग अपने रील्स में डाल रहे हैं।
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    Kamal Sharma

    अगस्त 22, 2024 AT 02:41
    मैं एक गांव से हूं। हमारे यहां घरेलू हिंसा को 'संस्कार' कहकर छिपाया जाता है। इस फिल्म ने मुझे जगा दिया। मैंने अपने भाई को बोला - अगर तू अपनी बीवी को चिल्लाता है, तो तू उसका शिकार बन रहा है, न कि उसका नेता।
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    SHIKHAR SHRESTH

    अगस्त 23, 2024 AT 10:35
    मैंने फिल्म देखी... बहुत अच्छी थी। लेकिन एक बात - लिली का बचपन का ट्रॉमा बहुत गहरा था। मुझे लगा कि उसकी माँ को कोई बाहरी मदद नहीं मिली? ये भारत में भी ऐसा ही होता है। लोग बस देखते रह जाते हैं।
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    Himanshu Kaushik

    अगस्त 23, 2024 AT 20:11
    मैंने ये किताब पढ़ी थी। बहुत दर्द भरी कहानी है। लेकिन अगर आप इसे देखने जा रहे हैं तो अपने दिल को तैयार कर लीजिए। ये फिल्म आपको बदल देगी।
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    Sri Satmotors

    अगस्त 25, 2024 AT 01:03
    हर महिला के अंदर लिली है। बस कुछ लोग इसे जानते हैं, कुछ नहीं। ये फिल्म उन सबके लिए है जिन्हें अपनी आवाज़ ढूंढनी है।
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    Sohan Chouhan

    अगस्त 26, 2024 AT 06:35
    ये फिल्म तो बस एक बार देखो और भूल जाओ। असली समस्या तो ये है कि हमारे यहां लड़कियों को बचपन से ही बेबस बनाया जाता है। इस फिल्म ने क्या बदला? कुछ नहीं।
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    amit parandkar

    अगस्त 26, 2024 AT 20:27
    क्या आपने कभी सोचा कि ये सब फिल्में किसके लिए बन रही हैं? क्या ये सिर्फ एक बड़ी कंपनी का नियोजित अभियान है? क्या कोलीन हूवर असल में एक एजेंट है? ये सब बहुत ज्यादा टाइमिंग के साथ हुआ है... बहुत ज्यादा।
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    haridas hs

    अगस्त 27, 2024 AT 09:31
    घरेलू हिंसा के मामले में सामाजिक संरचना का विश्लेषण नहीं किया गया है। ये फिल्म व्यक्तिगत अपराध पर ध्यान केंद्रित करती है, जबकि समस्या व्यवस्था की असफलता से उत्पन्न होती है। यहां लिली की बचाव योजना अत्यंत व्यक्तिनिष्ठ है - यह एक असामाजिक दृष्टिकोण है।
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    Pradeep Talreja

    अगस्त 28, 2024 AT 09:49
    अगर तुम्हारी माँ अपने बेटे को बचाने के लिए जीती है, तो उसकी बेटी को बचाना तुम्हारा फर्ज है। ये फिल्म बस एक शुरुआत है।

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