धवल बुच कौन हैं? हिन्डेनबर्ग रिपोर्ट में SEBI प्रमुख माधबी बुच के पति का नाम आया

धवल बुच कौन हैं? हिन्डेनबर्ग रिपोर्ट में SEBI प्रमुख माधबी बुच के पति का नाम आया

धवल बुच और माधबी बुच पर हिन्डेनबर्ग के आरोप

हिन्डेनबर्ग रिसर्च ने शनिवार को एक नई रिपोर्ट में बाजार नियामक SEBI की अध्यक्ष माधबी बुच और उनके पति धवल बुच पर आरोप लगाए हैं कि उनके पास अज्ञात विदेशी फंड्स में हिस्सेदारी है, जिनका उपयोग अडानी पैसे की हेराफेरी में किया गया। यह आरोप 10 अगस्त 2024 को जारी हिन्डेनबर्ग रिपोर्ट में लगाए गए थे।

माधबी और धवल बुच का खंडन

माधबी बुच और उनके पति धवल बुच ने इन आरोपों को "आधारहीन" और "बेबुनियाद" बताते हुए इसका खंडन किया। उन्होेंने यह भी कहा कि उन्होंने SEBI के सभी आवश्यक खुलासे पहले से ही प्रदान किए हैं। इसके अलावा, उन्हें किसी भी प्राधिकरण को सभी वित्तीय दस्तावेज़ प्रदान करने में कोई समस्या नहीं है। उन्होंने यह भी बताया कि SEBI ने स्वयं हिन्डेनबर्ग रिसर्च के खिलाफ कार्रवाई की है और एक कारण बताओ नोटिस जारी किया है।

धवल बुच का संक्षिप्त परिचय

धवल बुच का संक्षिप्त परिचय

धवल बुच वर्तमान में ब्लैकस्टोन और अल्वारेज़ एंड मार्सल में वरिष्ठ सलाहकार और गिल्डन बोर्ड के गैर-कार्यकारी निदेशक हैं। वे पहले ब्रिस्टलकोन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी रहे हैं और महिंद्रा समूह के तकनीकी विभाग के अंतरिम अध्यक्ष रहे हैं। इसके पहले, धवल बुच का यूनिलीवर के साथ तीन दशकों का करियर रहा, जहाँ वे मुख्य खरीद अधिकारी और एशिया/अफ्रीका क्षेत्र के लिए यूनिलीवर सप्लाई चेन चलाने वाली भूमिका में थे।

हिन्डेनबर्ग रिपोर्ट के आरोप

हिन्डेनबर्ग रिपोर्ट ने व्हिसलब्लोअर दस्तावेजों का हवाला देते हुए आरोप लगाया कि माधबी बुच और उनके पति धवल बुच के पास बरमूडा और मॉरीशस जैसे स्थलों में अज्ञात विदेशी फंड्स में हिस्सेदारी थी, जो कथित तौर पर विनोद अडानी द्वारा नियंत्रित थे। विनोद अडानी, समूह के अध्यक्ष गौतम अडानी के बड़े भाई हैं। आरोप है कि इन फंड्स का उपयोग राउंड-ट्रिप फंड करने और स्टॉक की कीमतों को बढ़ाने के लिए किया गया था।

संभावित विवाद और चिंता

रिपोर्ट में उठाए गए आरोपों ने संभावित हितों के टकराव और नियामक अक्षमता के बारे में चिंताओं को जन्म दिया है, खासकर अडानी परिवार की महत्वपूर्ण निवेश राशि को देखते हुए। हिन्डेनबर्ग ने यह भी बताया कि SEBI अध्यक्ष माधबी बुच और उनके पति के पास मल्टी-लेयर्ड ऑफशोर फंड स्ट्रक्चर में हिस्सेदारी थी, जो ज्ञात उच्च जोखिम वाले न्यायक्षेत्रों में था और जिसका संबंध वायरकार्ड घोटाले से भी था।

माधबी बुच ने अपने ऊपर लगाए गए सभी आरोपों का खंडन किया और नियामकीय पारदर्शिता के प्रति अपने संकल्प को दोहराया। धवल बुच ने भी कहा कि सभी आवश्यक वित्तीय दस्तावेज़ हर समय नियामकीय प्राधिकरण के लिए उपलब्ध हैं और वे किसी भी प्रकार की जांच के लिए तैयार हैं।

रिपोर्ट का वित्तीय और नियामकीय प्रभाव

रिपोर्ट का वित्तीय और नियामकीय प्रभाव

यह विवाद निश्चित रूप से भारतीय वित्तीय बाजारों और SEBI की साख पर असर डालेगा। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि इस मामले में आगे कौनसी कार्रवाइयाँ की जाती हैं और इससे जुड़े सभी पक्ष कैसे प्रतिक्रिया करते हैं।

निष्कर्ष

हिन्डेनबर्ग की आरोपों ने ना केवल बुच दंपती बल्कि SEBI की विश्वसनीयता को भी चुनौती दी है। इसलिए इस मामले में पारदर्शिता बरतना और एक निष्पक्ष जांच की आवश्यकता है। यह मामला भारतीय वित्तीय प्रणाली के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है।