दिल्ली कोर्ट ने भाजपा नेता द्वारा दायर मानहानि मामले में YouTuber ध्रुव राठी को किया तलब
जुल॰, 25 2024दिल्ली कोर्ट ने भाजपा नेता द्वारा दायर मानहानि मामले में YouTuber ध्रुव राठी को किया तलब
दिल्ली की एक कोर्ट ने YouTuber ध्रुव राठी को मानहानि मामले में तलब किया है। यह मामला भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता सुरेश करमशी नखुआ द्वारा दर्ज कराया गया है। नखुआ, जो कि भाजपा की मुंबई इकाई के प्रवक्ता हैं, ने शिकायत की थी कि राठी ने अपने वीडियो में उन्हें 'हिंसक और अपमानजनक' ट्रोल कहकर उनकी प्रतिष्ठा को आघात पहुंचाया है। इस मामले में अदालत ने राठी को 19 जुलाई को समन जारी किया और सुनवाई की तारीख 6 अगस्त निर्धारित की गई है।
शिकायत का कारण और विवाद
यह विवाद तब प्रारंभ हुआ जब ध्रुव राठी ने 7 जुलाई को अपने YouTube चैनल पर 'माय रिप्लाई टू गोदी यूट्यूबर्स, एल्विश यादव' नामक एक वीडियो अपलोड किया। इस वीडियो में उन्होंने सुरेश करमशी नखुआ को 'हिंसक और अपमानजनक' ट्रोल बताया। नखुआ का कहना है कि राठी ने बिना किसी कारण और तर्क के उन पर झूठे आरोप लगाए हैं। उनका यह भी कहना है कि राठी का यह वीडियो उनकी व्यावसायिक और व्यक्तिगत जीवन को अपूरणीय क्षति पहुंचा रहा है। इस वीडियो को 24 मिलियन से अधिक बार देखा जा चुका है और 2.3 मिलियन से अधिक लाइक्स मिल चुके हैं।
सार्वजनिक मंच पर आरोप
नखुआ ने शिकायत में दावा किया है कि राठी ने जानबूझकर इस वीडियो के माध्यम से उनकी साख को नुकसान पहुंचाने का प्रयास किया है। नखुआ का आरोप है कि इस झूठे आरोप के कारण उनकी साख को भारी क्षति हुई है और इसने उनकी व्यक्तिगत और पेशेवर जिंदगी पर गहरा प्रभाव डाला है। उन्होंने अदालत से गुहार लगाई है कि राठी के खिलाफ आवश्यक कानूनी कार्रवाई की जाए।
ध्रुव राठी का पक्ष
वहीं, दूसरी ओर ध्रुव राठी ने अब तक इस मुद्दे पर सार्वजनिक रूप से कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। लेकिन वह सोशल मीडिया पर अपने विचारों को खुलकर साझा करते रहे हैं और किसी भी अन्य YouTuber की तरह अपनी राय व्यक्त करते हैं। राठी ने अपने वीडियो में हमेशा कहा है कि वे तथ्यों और तर्कों के आधार पर बातें करते हैं। उनका मानना है कि किसी भी विषय पर चर्चा और आलोचना करना लोकतंत्र का हिस्सा है, लेकिन नखुआ की शिकायत के बाद यह देखना होगा कि इस मामले में वे क्या जवाब देंगे।
इस विवाद का प्रभाव
इस विवाद का प्रभाव केवल ध्रुव राठी और सुरेश करमशी नखुआ तक सीमित नहीं है। यह मामले समाज और मीडिया दोनों पर असर डाल रहा है। ध्रुव राठी भारतीय YouTube पर एक प्रमुख व्यक्तित्व हैं और उनकी वीडियो को लाखों लोग देखते हैं। उनकी विचारशीलता और स्वतंत्र राय के कारण वे युवा पीढ़ी में खासे लोकप्रिय हैं। दूसरी ओर, सुरेश करमशी नखुआ भारतीय जनता पार्टी के प्रमुख नेता हैं और उनकी राजनीतिक पकड़ मजबूत है।
मीडिया में इस मुद्दे की प्रतिक्रिया
मीडिया में इस मुद्दे को लेकर काफी चर्चा हो रही है। कई लोग ध्रुव राठी की स्वतंत्रता के समर्थन में हैं और मानते हैं कि किसी पर तर्कसंगत आलोचना करना स्वस्थ लोकतंत्र का हिस्सा है। जबकि दूसरी ओर, कुछ लोग मानते हैं कि किसी भी पब्लिक प्लेटफार्म पर आरोप लगाना सही नहीं है और यह अन्य व्यक्ति की प्रतिष्ठा को हानि पहुंचा सकता है।
आगामी सुनवाई
अगली सुनवाई 6 अगस्त को निर्धारित की गई है और इसमें यह देखने को मिलेगा कि अदालत इस मामले में क्या फैसला करती है। यह मामला भारतीय कानून और इंटरनेट के उपयोगकर्ताओं के अधिकारों के बीच एक महत्वपूर्ण उदाहरण बनेगा। नागरिक अपने विचारों को स्वतंत्र रूप से व्यक्त कर सकें, यह सुनिश्चित करना अहम है, लेकिन यह भी ध्यान रखना आवश्यक है कि यह लोकतांत्रिक अधिकार दूसरों की प्रतिष्ठा और अधिकारों का अतिक्रमण न करे।
चाहे जो भी हो, इस मामले ने स्वतंत्र अभिव्यक्ति और व्यक्तिगत प्रतिष्ठा के बीच के संघर्ष को सामने ला दिया है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि अदालती निर्णय क्या आता है और इसका समाज पर क्या असर पड़ता है। यह मामला भारतीय न्याय प्रणाली और सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं दोनों के लिए एक महत्वपूर्ण परीक्षा साबित होगा।