गुरु पूर्णिमा 2024: आषाढ़ पूर्णिमा के शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, कथा, योग उपाय और शुभकामनाएँ
जुल॰, 22 2024गुरु पूर्णिमा 2024: महत्व एवं उत्सव
पूरे भारत में और खासकर हिन्दू धर्म में गुरु पूर्णिमा का एक विशेष महत्व है। 2024 में यह पर्व 21 जुलाई को मनाया जाएगा। इस महत्वपूर्ण दिन को गुरु के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने के लिए समर्पित किया गया है। हिन्दू धर्म में इस त्यौहार को आषाढ़ पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है और इसे वेद व्यास की जयंती के रूप में भी जाना जाता है जिन्होंने महाभारत की रचना की थी।
गुरु पूर्णिमा का दिन विशेष रूप से उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण है जो अध्यात्मिक मार्ग पर होते हैं और अपने गुरु की शिक्षाओं से मार्गदर्शन प्राप्त करते हैं। यही नहीं, भगवान कृष्ण, राम और दत्तात्रेय जैसे देवताओं का भी एक गुरु था, जिससे इस दिन का महत्व और भी बढ़ जाता है।
शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
गुरु पूर्णिमा के दिन शुभ मुहूर्त का खास महत्व होता है। इस दिन व्रत और पूजा करने के लिए सबसे अच्छा समय ब्रह्म मुहूर्त से लेकर सूर्योदय का होता है। प्रातःकाल जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। पूजा के लिए एक साफ स्थान का चयन करें। सबसे पहले भगवान सूर्य को अर्घ्य दें और फिर भगवान गणेश की पूजा करके अपने दिन की शुरुआत करें।
गुरु पूर्णिमा के दिन गुरु की पूजा विशेष रूप से की जाती है। अपने गुरु का आशीर्वाद लेने के लिए उनके पास जाएं और उन्हें वस्त्र, मिठाई आदि भेंट स्वरूप दें। साथ ही 'गुरु मंत्र' का जाप करें और गुरु के चरणों में बैठकर उनके द्वारा दी गई शिक्षाओं को स्मरण करें।
कथा और महत्व
गुरु पूर्णिमा की कथा विशेष रूप से वेद व्यास से जुड़ी हुई है। वेद व्यास महाभारत के रचयिता और चारों वेदों के संकलनकर्ता माने जाते हैं। उन्हें एक महान गुरु के रूप में पूजा जाता है। वेद व्यास ने अपनी जीवन में अनेक शिष्यों को ज्ञान प्रदान किया और उनकी शिक्षाओं का पालन करने वाला हर व्यक्ति उनका कृतज्ञ होता है।
इसके अतिरिक्त, भगवान बुद्ध के अनुयायी इस दिन को बुद्ध पूर्णिमा के रूप में मानते हैं और अपने शिक्षकों को सम्मानित करने के लिए विविध कार्यक्रम आयोजित करते हैं।
योग उपाय और ध्यान
गुरु पूर्णिमा के दिन विशेष योग और ध्यान के माध्यम से आत्मनिरीक्षण किया जाता है। इस दिन विशेष प्रकार के योगासन और प्राणायाम किए जाते हैं जो मन और आत्मा को शांति प्रदान करते हैं। इस दिन ध्यान करने से मन को शांति और शरीर को ताजगी मिलती है।
शिक्षकों का सम्मान
भारतीय शैक्षणिक परम्पराओं में भी गुरु पूर्णिमा का एक विशेष स्थान है। इस दिन शिक्षकों का सम्मान किया जाता है और उनके द्वारा किए गए महान कार्यों की सराहना की जाती है। विद्यार्थी इस दिन अपने शिक्षकों को बधाई देते हैं और गुरु पूर्णिमा की शुभकामनाएँ प्रकट करते हैं।
गुरु पूर्णिमा का यह पर्व न केवल हिन्दू धर्म बल्कि अन्य विभिन्न परम्पराओं में भी अत्यधिक मान्यता रखता है। यह दिन हमें अपने जीवन में गुरु के महत्व को समझने और उन्हें सम्मान देने की प्रेरणा देता है।