इस्लामाबाद में इमरान खान की रिहाई की मांग कर रहे प्रदर्शनकारियों का पुलिस से टकराव
इमरान खान की रिहाई को लेकर इस्लामाबाद में भीषण संघर्ष
पाकिस्तान में राजनीतिक उथल-पुथल तब बढ़ गई जब पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के समर्थक उनकी रिहाई की मांग लेकर सड़कों पर उतर आए। यह घटना तब हुई जब इमरान खान पिछले एक वर्ष से जेल में बंद हैं, जबकि उनकी पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) का मानना है कि उन पर लगाए गए 150 से अधिक आपराधिक मामले राजनीतिक रूप से प्रेरित हैं।
इस्लामाबाद का 'रेड जोन', जो महत्वपूर्ण सरकारी भवनों का स्थान है, प्रदर्शनकारियों के निशाने पर था। सरकार ने वहाँ किसी भी प्रकार के विरोध प्रदर्शन पर प्रतिबंध लगाया था, किन्तु इसके बावजूद लोगों ने राजधानी की ओर कूच किया। प्रदर्शनकारियों के इस कदम ने पुलिस को आक्रामक बना दिया और अधिकारियों ने उन्हें तितर-बितर करने के लिए टियर गैस का इस्तेमाल किया। इस हिंसा में कम से कम छह लोग मारे गए और दर्जनों घायल हो गए।
प्रदर्शनकारियों के हमले का शिकार बनने वालों में पत्रकार भी शामिल रहे। एसोसिएटेड प्रेस के एक वीडियो पत्रकार पर भीड़ ने हमला कर दिया। उस दौरान उनका कैमरा टूट गया और उन्हें सिर में चोटें आईं, जिनके लिए अस्पताल में उपचार की आवश्यकता पड़ी। गृह मंत्री मोहसिन नकवी ने पहले ही चेताया था कि यदि प्रदर्शनकारियों ने हथियारों से हमला किया तो पुलिस जवाबी फायरिंग करेगी।
प्रदर्शनकारियों पर होती जा रही पुलिसिया कार्रवाई
सरकार की ओर से मोबाइल और इंटरनेट सेवाओं को कई क्षेत्रों में निलंबित कर दिया गया है। इसके तहत इस्लामाबाद और अन्य शहरों के बीच यात्रा मुश्किल हो गई है, क्योंकि कई मार्ग विधायक अवरोधक लगाए गए हैं। इसके अलावा सभी शैक्षणिक संस्थान भी बंद रखे गए हैं।
इन सभी सरकारी बंदिशों के बावजूद पीटीआई सोशल मीडिया का व्यापक इस्तेमाल कर रही है। व्हाट्सएप जैसे मैसेजिंग प्लेटफॉर्म का सहारा लेकर यह पार्टी अपनी बात लोगों तक पहुँचाने का प्रयास कर रही है। यह एक जागरूक आंदोलन का हिस्सा है, जिसमें युवा वर्ग का एक बड़ा हिस्सा शामिल है।
कानूनी पेचिदगियों में फंसा हुआ मामला
सरकार का कहना है कि इमरान खान की रिहाई केवल अदालत के आदेश पर ही संभव है। इसके बावजूद, पीटीआई समर्थकों की यह स्पष्ट मांग है कि स्वतंत्र राजनीतिक निर्णयों की अपेक्षा की जानी चाहिए। समर्थकों का कहना है कि उनके नेता के साथ यह अन्यायकारी बर्ताव राजनीतिक बदले की भावना से किया जा रहा है।
यह स्थिति देश के लिए अस्थिरता को प्रदर्शित करती है, जहाँ प्रशासनिक और न्यायिक संस्थानों के बीच एक संतुलन की कमी स्पष्ट दिखाई पड़ती है। यह मामला और लंबा खिंच सकता है, किंतु इसके लिए सरकार को अन्य विकल्पों पर विचार करना आवश्यक है।
Pradeep Talreja
नवंबर 28, 2024 AT 22:08ayush kumar
नवंबर 30, 2024 AT 13:41Raaz Saini
दिसंबर 2, 2024 AT 11:12Kamal Sharma
दिसंबर 3, 2024 AT 03:42Manoranjan jha
दिसंबर 3, 2024 AT 15:51Chandni Yadav
दिसंबर 4, 2024 AT 02:34Mishal Dalal
दिसंबर 5, 2024 AT 16:04Dinesh Bhat
दिसंबर 5, 2024 AT 17:05Rahul Kaper
दिसंबर 7, 2024 AT 08:20Himanshu Kaushik
दिसंबर 8, 2024 AT 06:45Neev Shah
दिसंबर 9, 2024 AT 06:02Soham mane
दिसंबर 10, 2024 AT 23:54