जीएन साइबाबा को तेलंगाना नेताओं ने दी श्रद्धांजलि: सामजिक और शैक्षणिक योगदान का स्मरण
हाल ही में दिवंगत हुए प्रोफेसर जीएन साइबाबा, जो अपने समर्पण और अद्वितीय योगदान के लिए प्रसिद्ध थे, उन्हें तेलंगाना के नेताओं ने श्रद्धांजलि दी। प्रोफेसर साइबाबा ने अपनी समस्त जीवन यात्रा में सामाजिक न्याय और शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनकी असामान्य प्रतिबद्धता और कार्यकर्ता भावना ने बहुतों को प्रेरित किया। समाज के प्रति उनकी सेवा और अकादमिक जगत में उनका योगदान अतुलनीय है। तेलंगाना के शीर्ष नेताओं, नारायण और संबाशिव राव ने इन पहलुओं को उजागर करते हुए प्रोफेसर साइबाबा की विरासत का सम्मान किया।
प्रोफेसर जीएन साइबाबा एक ऐसे व्यक्तित्व थे जिन्होंने अपनी समर्पण भावना से समाजिक कार्यों में सक्रिय भागीदारी की। वे निरंतर सामाजिक न्याय के प्रति समर्पित रहे। उन्होंने अपनी शैक्षणिक यात्रा में छात्रों के लिए उत्कृष्ट मार्गदर्शन प्रदान किया और उनके विचारों ने समाज में एक नई जागरूकता लाई। वे अपने छात्रों और सहकर्मियों के लिए न केवल एक शिक्षक थे, बल्कि एक प्रेरक भी थे। नारायण और संबाशिव राव की उनकी मृत्यु पर की गई श्रद्धांजलि उनके प्रति गहरी सम्मान और प्रेम का प्रतीक है।
नारायण और संबाशिव राव ने प्रोफेसर साइबाबा की अद्वितीय नेतृत्व क्षमता और उनके सामाजिक कार्यों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि प्रोफेसर साइबाबा की उपस्थिति मानवीयता और करुणा से परिपूर्ण थी जो समाज के अनुकूल थी। उनके सामाजिक योगदान ने न केवल समाज के हाशिए पर पड़े लोगों की सहायता की बल्कि उन्हें सशक्त बनाने का कार्य भी किया। वे अक्सर हाशिए पर खड़े समुदाय के मुद्दों पर आवाज उठाते रहे और उनके जीवन के प्रति उनका दृष्टिकोण स्पष्ट था - 'सबके लिए समानता'।
तेलंगाना के नेताओं ने इस बात पर भी जोर दिया कि प्रोफेसर साइबाबा की नई पीढ़ी के छात्रों के लिए प्रेरणा बने रहेंगे। शिक्षा के माध्यम से समाज में सुधार लाने की उनकी प्रतिबद्धता को ध्यान में रखते हुए, उन्होंने छात्रों को उनके आदर्शों को अपनाने और तदनुसार कार्य करने के लिए प्रोत्साहित किया। उनके विविधतापूर्ण प्रयासों ने समाज के विभिन्न वर्गों के बीच जागरूकता और शिक्षा की अलख जगाई।
अंत में, नारायण और संबाशिव राव की श्रद्धांजलि प्रोफेसर जीएन साइबाबा की विरासत को समर्पित एक अनुपम आदरांजलि है। उनकी यह श्रद्धांजलि आने वाली पीढ़ियों को भी उनके रास्ते पर चलने के लिए प्रेरणा देने का कार्य करेगी। प्रोफेसर साइबाबा की विरासत शिक्षा और सामाजिक न्याय के क्षेत्र में हमेशा जीवित रहेगी, उनके द्वारा दिए गए सिद्धांतों और नैतिकताओं के माध्यम से।
Dinesh Bhat
अक्तूबर 15, 2024 AT 13:10बहुत सुंदर लिखा है, लेकिन क्या किसी ने ध्यान दिया कि ये सब बयान बिल्कुल राजनीतिक तरीके से लिखे गए हैं? जब जीवित थे तो इनकी बात कोई नहीं सुनता था, अब मर गए तो सब श्रद्धांजलि दे रहे हैं। ये सिर्फ इमेजिंग है।
Chandni Yadav
अक्तूबर 16, 2024 AT 18:56इस तरह के बयानों का विश्लेषण करना जरूरी है। शिक्षा और सामाजिक न्याय के क्षेत्र में वास्तविक प्रगति के लिए राजनीतिक श्रद्धांजलियाँ अक्षम हैं। यदि वास्तविक बदलाव चाहिए, तो बजट आवंटन, शिक्षकों की भत्ता वृद्धि, और आरक्षण नीतियों को लागू करना होगा। इन बयानों से कोई गरीब बच्चा नहीं बचता।
Raaz Saini
अक्तूबर 17, 2024 AT 18:44अरे भाई, ये सब तो बस फोटो खींचवाने के लिए है। जब ये लोग अपने बेटे को निजी स्कूल में डाल रहे होते हैं, तो जनता के बच्चों के लिए स्कूल बंद कर देते हैं। ये सब नेता तो बस एक नए बाहरी चेहरे के साथ अपनी बेइमानी को ढकना चाहते हैं।
Kamal Sharma
अक्तूबर 19, 2024 AT 09:15मैं तेलंगाना का रहने वाला हूँ, और मैंने साइबाबा जी को अपने गाँव में देखा था। वो एक बार आए थे, बिना किसी आयोजन के, बस बच्चों के साथ बैठ गए। उन्होंने कहा, 'मैं नहीं आऊंगा तो कोई नहीं आएगा।' उनकी आँखों में वो दर्द था जो कोई बयान नहीं बता सकता। ये श्रद्धांजलि सिर्फ शब्दों में नहीं, उनके जीवन के अनुभवों में है।
Himanshu Kaushik
अक्तूबर 20, 2024 AT 13:39बहुत अच्छा इंसान था। जब मैं छोटा था, तो वो हमारे गाँव के लिए किताबें लाते थे। कोई नहीं जानता था कि वो प्रोफेसर हैं। बस एक आदमी जो बच्चों के लिए कुछ करना चाहता था।
Sri Satmotors
अक्तूबर 22, 2024 AT 09:52उनकी याद जीवित रहेगी।
Sohan Chouhan
अक्तूबर 22, 2024 AT 14:58ये सब लोग बस फेक न्यूज़ फैला रहे हैं। जीएन साइबाबा? कौन है ये? किसी ने इसकी कोई रिसर्च नहीं की? ये सब तो बस एक नए बॉलीवुड फिल्म की तरह है। कोई नहीं जानता कि वो कौन थे, लेकिन सब रो रहे हैं। असली लोगों के लिए तो बिल्कुल भी कुछ नहीं हुआ।