कैपिलरी टेक्नोलॉजीज का आईपीओ दूसरे दिन मिश्रित अनुरोध के साथ, ग्रे मार्केट प्रीमियम में उतार-चढ़ाव
कैपिलरी टेक्नोलॉजीज इंडिया लिमिटेड का आईपीओ दूसरे दिन भी अस्थिरता में रहा — कुछ स्रोतों के मुताबिक 51.7% अनुरोध मिला, तो कुछ के अनुसार सिर्फ 38%. ये अंतर सिर्फ आंकड़ों का नहीं, बल्कि बाजार की अनिश्चितता का भी संकेत है। ग्रे मार्केट प्रीमियम (GMP) दूसरे दिन 5% तक चढ़ गया, लेकिन इंस्टीट्यूशनल निवेशकों का रुख अभी भी सावधान है। बेंगलुरु स्थित इस एआई-आधारित सॉफ्टवेयर कंपनी का आईपीओ 14 नवंबर को शुरू हुआ था और 18 नवंबर को बंद होगा।
अनुरोध में अंतर: क्यों है ये भिन्नता?
इंक42 के अनुसार, कैपिलरी के आईपीओ में 83.83 लाख शेयरों के लिए 43.36 लाख शेयर के बोली लगीं — यानी 51.7% अनुरोध। लेकिन मोटिलाल ओसवाल और निफ्टी ट्रेडर ने अलग आंकड़ा दिया: केवल 31.55 लाख शेयर की बोली, यानी 38%। भारत आज ने और भी गहरा विश्लेषण दिया — रिटेल निवेशकों ने केवल 0.26 गुना, गैर-संस्थागत निवेशकों ने 0.28 गुना, और QIBs ने 0.29 गुना अनुरोध किया। इसका मतलब क्या है? रिटेल निवेशक तो बोली लगा रहे हैं, लेकिन बड़े फंड्स अभी भी बैठे हैं।
एंकर निवेशकों का बड़ा समर्थन
हालांकि, आईपीओ से पहले ही कंपनी ने ₹393.9 करोड़ की राशि एंकर निवेशकों से जुटाई थी। एसबीआई, कोटक, एक्सिस, एडिट्या बिरला सन लाइफ और मिराए एसेट जैसे बड़े म्यूचुअल फंड्स ने 68.28 लाख शेयर खरीदे। ये एक बड़ा संकेत है — विशेषज्ञों को कंपनी में भरोसा है। लेकिन एंकर निवेश आईपीओ के असली अनुरोध का प्रतिनिधित्व नहीं करता। वो तो अभी भी बाजार के जवाब पर निर्भर है।
कंपनी क्या है? एआई के साथ ग्राहक लॉयल्टी का नया दौर
कैपिलरी टेक्नोलॉजीज 2008 में अनीश रेड्डी ने स्थापित की थी। ये कंपनी एआई-आधारित क्लाउड-नेटिव सॉफ्टवेयर बनाती है, जिसके जरिए ब्रांड्स अपने ग्राहकों को व्यक्तिगत रूप से जोड़ पाते हैं। उनके उत्पाद — लॉयल्टी+, एंगेज+, इंसाइट्स+, रिवॉर्ड्स+ और सीडीपी — आज 47 देशों के 410 ब्रांड्स के साथ काम कर रहे हैं। फाइनेंशियल एक्सप्रेस के अनुसार, फिस्कल ईयर 2025 में कंपनी ने ₹13.3 करोड़ का शुद्ध लाभ कमाया, जबकि पिछले साल ये नुकसान ₹59.4 करोड़ था। ये बदलाव उस ताकत को दर्शाता है जो अब डिजिटल लॉयल्टी सॉल्यूशंस में है।
आईपीओ का उद्देश्य: डेट को चुकाना, एआई को बढ़ाना
इस आईपीओ का कुल आकार ₹877.5 करोड़ है — ₹345 करोड़ का नया निवेश और ₹532.5 करोड़ का ओफर-फॉर-सेल। नया पैसा कंपनी के डेट को चुकाने, एआई प्लेटफॉर्म को मजबूत करने और वैश्विक विस्तार के लिए इस्तेमाल होगा। ये एक अहम बिंदु है: कंपनी सिर्फ पैसा नहीं उठा रही, बल्कि अपने भविष्य की नींव रख रही है।
एनालिस्ट्स का विरोधी रुख: लॉन्ग-टर्म बनाम शॉर्ट-टर्म
आईडीबीआई कैपिटल ने लॉन्ग-टर्म निवेशकों के लिए ‘सब्सक्राइब’ रेटिंग दी है। उनका कहना है: ‘कैपिलरी के एआई-आधारित टूल्स, जैसे एंगेज+ और को-पायलट, बड़े एंटरप्राइज़ के लिए हाइपर-पर्सनलाइज्ड कैंपेन बनाने में मदद करते हैं।’ लेकिन शॉर्ट-टर्म निवेशकों के लिए चेतावनी है। भारत आज ने लिखा — ‘दूसरे दिन के अनुरोध के आंकड़े बताते हैं कि बाजार अभी भी इस ऑफर का आकलन कर रहा है।’ ग्रे मार्केट प्रीमियम बढ़ा है, लेकिन ये अक्सर रिटेल भावना का प्रतिबिंब होता है — न कि संस्थागत आधार का।
लिस्टिंग की तारीख: अस्पष्टता का दूसरा पहलू
शेयर आवंटन 19 नवंबर को होगा, और डेमैट अकाउंट में जमा 20 नवंबर को। लेकिन लिस्टिंग की तारीख पर अभी तक एक स्पष्टता नहीं है। इंक42 कहता है कि लिस्टिंग 18 नवंबर को होगी — आईपीओ के अंतिम दिन। लेकिन फाइनेंशियल एक्सप्रेस के अनुसार, ये 21 नवंबर को होगी। ये अंतर छोटा लग सकता है, लेकिन बाजार के लिए बहुत मायने रखता है। अगर लिस्टिंग जल्दी हो गई, तो शायद बाजार ने इसे पहले ही बोली लगा लिया होगा। अगर देर हुई, तो शायद निवेशक अभी भी सोच रहे हैं।
क्यों ये आईपीओ महत्वपूर्ण है?
कैपिलरी का आईपीओ सिर्फ एक टेक कंपनी के लिए नहीं, बल्कि भारत के डिजिटल एंटरप्राइज सॉफ्टवेयर के भविष्य के लिए एक परीक्षण है। अगर ये कंपनी अच्छा प्रदर्शन करती है, तो अन्य एआई-आधारित सॉफ्टवेयर स्टार्टअप्स के लिए एक रास्ता खुल जाएगा। लेकिन अगर इसमें देरी होती है या लिस्टिंग पर गिरावट आती है, तो ये निवेशकों के लिए एक चेतावनी होगी — डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन का बाजार अभी भी अस्थिर है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
कैपिलरी टेक्नोलॉजीज का आईपीओ क्यों अस्थिर है?
आईपीओ की अस्थिरता का कारण दो हैं: पहला, अलग-अलग फाइनेंशियल स्रोतों के बीच अनुरोध आंकड़ों में अंतर। दूसरा, इंस्टीट्यूशनल निवेशकों का सावधान रुख। जबकि रिटेल निवेशक ग्रे मार्केट प्रीमियम के चलते बोली लगा रहे हैं, QIBs और नॉन-इंस्टीट्यूशनल निवेशक अभी भी बाजार के रुख का इंतजार कर रहे हैं।
एंकर निवेशकों का समर्थन आईपीओ के लिए कितना महत्वपूर्ण है?
एंकर निवेश बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि ये बड़े फंड्स की विश्वासयोग्यता का संकेत है। SBI, Kotak और Axis जैसे फंड्स का निवेश बाजार को यह बताता है कि कंपनी का बिजनेस मॉडल ठोस है। लेकिन ये आईपीओ के असली सफलता का आधार नहीं है — वो तो रिटेल और अन्य निवेशकों के अनुरोध पर निर्भर करता है।
ग्रे मार्केट प्रीमियम 5% तक क्यों बढ़ गया?
ग्रे मार्केट प्रीमियम रिटेल निवेशकों की भावना का प्रतिबिंब है। जब लोगों को लगता है कि लिस्टिंग पर लाभ हो सकता है, तो वो अगले दिन के लिए शेयर खरीदने की कोशिश करते हैं। लेकिन ये अक्सर अस्थायी होता है — जैसे ही बाजार वास्तविक अनुरोध देखता है, GMP गिर सकता है।
कैपिलरी का एआई-आधारित सॉफ्टवेयर अन्य कंपनियों से कैसे अलग है?
कैपिलरी के टूल्स जैसे Engage+ और Co-Pilot, एआई के जरिए ग्राहकों के व्यवहार का भविष्यवाणी करते हैं और उन्हें व्यक्तिगत रूप से एंगेज करते हैं। ये सिर्फ लॉयल्टी प्रोग्राम नहीं, बल्कि डेटा-ड्रिवन रिटेंशन स्ट्रैटेजी हैं। अन्य कंपनियां आमतौर पर एकल फीचर पर फोकस करती हैं, लेकिन कैपिलरी एक एकीकृत प्लेटफॉर्म प्रदान करती है — जो बड़े ब्रांड्स के लिए अधिक आकर्षक है।
लिस्टिंग की तारीख 18 नवंबर या 21 नवंबर क्यों अलग है?
इस अंतर का कारण आमतौर पर शेयर आवंटन और डेमैट जमा की प्रक्रिया में देरी होती है। अगर आवंटन 19 नवंबर को तेजी से हो जाता है, तो 18 नवंबर को लिस्टिंग संभव है। लेकिन अगर कोई तकनीकी या नियामक देरी होती है, तो 21 नवंबर अधिक वास्तविक होगा। ये अभी तक अधिकारियों द्वारा घोषित नहीं हुआ है।
क्या यह आईपीओ लॉन्ग-टर्म निवेश के लिए अच्छा है?
हां, अगर आप एआई-आधारित सॉफ्टवेयर के भविष्य में विश्वास करते हैं। कैपिलरी ने पिछले साल नुकसान से लाभ में बदलाव किया है, और उसका ग्लोबल कस्टमर बेस बढ़ रहा है। अगर ये कंपनी अपने एआई प्लेटफॉर्म को और बेहतर बनाती है, तो ये भारत के डिजिटल एंटरप्राइज सेक्टर में एक नेता बन सकती है।