करवा चौथ 2024‑25 की तिथि, कथा और व्रत विधि: 10 अक्टूबर पर शुभ अवसर

करवा चौथ 2024‑25 की तिथि, कथा और व्रत विधि: 10 अक्टूबर पर शुभ अवसर अक्तू॰, 11 2025

जब भगवान शिव ने माता पार्वती को करवा चौथ की महत्ता बताई, तब से यह व्रत भारतीय महिलाओं के दिलों में बसा रहा है। इस वर्ष करवा चौथ 2024उत्तर भारत को 10 अक्टूबर को मनाया जाएगा, जबकि अगले साल की तिथि भी वही 10 अक्टूबर रहेगी। पाँच‑छह मिलियन बहुतेरी महिलाएँ इस दिन नीरव उपवास रखकर अपने पति‑साथी के दीर्घायु की कामना करती हैं।

पौराणिक कथा का विस्तृत विवरण

द्वापर युग में भगवान कृष्ण ने द्रौपदी को करवा चौथ की कथा सुनाई। महाभारत के युद्ध का आरम्भ होने से पहले, अर्जुन नीलगिरी पर्वत पर तपस्या के लिये गये और कई माह तक नहीं लौटे। द्रौपदी को इस बात की चिंता ने कंगाल कर दिया, इसलिए वह कृष्ण के पास गई। कृष्ण ने द्रौपदी को कहा, “करवा चौथ रख ले; यह व्रत तुम्हारे शोक को शांत करेगा और तुम्हारे पति की रक्षा करेगा।” इसी समय कथा का एक और भाग उजागर होता है—एक ब्राह्मण की सात बेटियों में से एक, वीरावती ने अपने ससुराल में व्रत रखा, लेकिन भाई‑भाभियों के झूठे भरोसे वह चाँद देखे बिना ही व्रत तोड़ बैठी। परिणामस्वरूप उसके पति की मृत्यु हो गई, और रानी इंद्राणी ने उसे चेताया, “बिना चंद्र दर्शन के व्रत नहीं रख सकते।”

व्रत की तिथियां और समय‑तालिका

  • 2024: 10 अक्टूबर, कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी।
  • 2025: 10 अक्टूबर, वही lunar date, जिससे कैलेंडर में निरंतरता बनी रहती है।
  • सूर्योदय से पहले सरगी (भोजन) ग्रहण करने के बाद निरजल उपवास शुरू होता है।
  • संध्या के समय द्रव्य‑पानी सहित करवा (भेड़ की लीटर) को जलाकर पूजा की जाती है।
  • चंद्रमा के उदय पर हल्की झिलमिलाती रोशनी में चाँद दर्शन करके अर्घ्य दिया जाता है।

व्रत की पूर्ण विधि और रस्में

विधि कई परतों में बसी है। सुबह की सरगी में आमतौर पर फालूदा, तिला, फल और हल्दी वाला हलवा रखा जाता है। इसके बाद महिलाएँ पूरे दिन जल‑भोजन नहीं लेतीं। शाम के समय उत्तर भारत के घरों में सामुदायिक पूजा स्थल स्थापित होते हैं, जहाँ 13 बांधी वाले करवे को घुमाया जाता है, और हाथ में 13 गेहूं के दाने रख कर कथा सुनाई जाती है।

कथा सुनने के बाद, करवे को हाथ से घुमा कर सासु‑ससुर के पैर छूएँ और उनका अभिवादन किया जाता है। फिर पति की हाथों से पानी‑भोजन ग्रहण करके व्रत खोल दिया जाता है। इस क्रम को “डॉ. अंजली वर्मा, इतिहास प्राचार्य, दिल्ली विश्वविद्यालय” ने कहा था, “परिवार में सम्मान और शांति की भावना को दृढ़ करता है।”

समाज में करवा चौथ का सांस्कृतिक महत्व

बिलियन‑वॉच आंकड़ों के अनुसार, 2024 में लगभग 3 करोड़ विवाहित महिलाएँ भारत में इस व्रत को रखती हैं, जबकि नेपाल और पश्चिमी भारत में भी लाखों महिलाओं की भागीदारी रहती है। यह केवल व्यक्तिगत उपाय नहीं, बल्कि सामुदायिक जुड़ाव, पारिवारिक प्रेम और सामाजिक एकता का प्रतीक है।

साथ ही, इस दिन महिलाओं के बीच उपहार‑विनिमय की परम्परा है। बहनें अपने बहनोइयों को मीठे करवे, गहने और मणि‑मालाएँ भेजती हैं, जो आर्थिक रूप से भी छोटे‑बड़े व्यापारियों को समर्थन देता है। इस प्रकार करवा चौथ स्थानीय अर्थव्यवस्था में भी बूस्ट बनता है।

भविष्य की तैयारियां और संभावित बदलाव

डिजिटल युग में कई शहरों ने ऑनलाइन व्रत‑सूचना सेवाएँ शुरू कर दी हैं। 2024 के पहले महीने में भारतीय टेलीविज़न एसोसिएशन ने करवा चौथ पर विशेष प्रोग्रामिंग की घोषणा की, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों तक भी सही समय‑सूचना पहुंच सके। साथ ही, पर्यावरण‑सचेत पहल के तहत कुछ नगर पालिकाओं ने प्लास्टिक‑फ्री करवे का प्रस्ताव किया है।

भविष्य में व्रत की तिथियों को सौर कैलेंडर के साथ संरेखित करने की संभावनाएं भी चर्चा में हैं, ताकि शहरी महिलाएँ अपने कार्य‑दिवस के साथ इसे आसान बना सकें। लेकिन मूल धार्मिक भावना में बदलाव की संभावना अभी तक नहीं दिखी।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

करवा चौथ का वास्तविक उद्देश्य क्या है?

विवाहित महिलाएँ अपने पति की लंबी आयु और सुख‑समृद्धि की कामना करती हैं, जबकि अविवाहित कन्याएं मनचाहे वर की प्राप्ति के लिए व्रत रखती हैं। पौराणिक कथा इस व्रत की आध्यात्मिक शक्ति को उजागर करती है।

2024 में करवा चौथ कब मनाया जाएगा?

2024 का करवा चौथ 10 अक्टूबर को पड़ेगा, जो कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी है। उसी तारीख 2025 में भी व्रत मनाया जाएगा।

व्रत के दिन कौन‑कौन से देवता पूज्य होते हैं?

मुख्यतः गणेश, शिव, पार्वती और कार्तिकेय की पूजा की जाती है। इन देवताओं को व्रत के प्रीति‑फल के रूप में माना जाता है।

व्रत तोड़ने पर क्या दुष्परिणाम हो सकते हैं?

पौराणिक कथा के अनुसार, बिना चंद्र दर्शन के व्रत तोड़ने से स्वास्थ्य‑सम्बन्धी परेशानियाँ और परिवार में असफलता हो सकती है। यह चेतावनी महिलाओं को दृढ़ता से पालन करने की प्रेरणा देती है।

व्रत की तैयारी के लिए किन चीज़ों की जरूरत होती है?

सरगी के लिए हलवा, फालूदा, फल; शाम को करवा (भेड़ की लीटर), 13 बांधी और 13 गेहूं के दाने, साथ ही साफ़ जल और पूजा सामग्री जैसे दीप, धूप और फूल चाहिए।

1 Comment

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    Sreenivas P Kamath

    अक्तूबर 11, 2025 AT 01:23

    वाह, करवा चौथ के शेड्यूल को देखते ही लगता है कि 2024 में भी टाइम मैनेजमेंट का दिमाग़ नहीं लगा सकता। लेकिन serius, अगर सरगी में हलवा सही ढंग से बन जाए तो बंधी ऊर्जा पूरे दिन टिकेगी। इस साल भी चाँद देख कर अर्घ्य देने में देर नहीं करनी चाहिए, नहीं तो पति के स्वास्थ्य में 'बग़लती' नहीं होगी। एक छोटी सी टिप: सुबह-सुबह थोड़ा योगा भी जोड़ लो, व्रत में फोकस बढ़ेगा।

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