Loveyapa फिल्म की सोशल मीडिया पर बुरी समीक्षा: जुनाid खान व खुशी कपूर को निराश करने वाले प्रदर्शन

Loveyapa फिल्म की सोशल मीडिया पर बुरी समीक्षा: जुनाid खान व खुशी कपूर को निराश करने वाले प्रदर्शन

फरवरी 7, 2025 को बड़े पर्दे पर आरम्भ हुई Loveyapa, एक रोमांटिक कॉमेडी जिसने शुरुआत से ही धूम मचाने की दावेदारियां रखी थीं। युवा स्टार जुनाid खान (आमिर खान के बेटे) और खुशी कपूर (श्रीदेवी की बेटी) की डेब्यू फिल्म को लेकर दर्शकों की उम्मीदें आसमान छू रही थीं। फिल्म के निर्देशक आद्वैत चंदन ने एक हल्की-फुल्की कहानी प्रस्तुत करने का वादा किया—एक जोड़ी अपने‑अपने मोबाइल फोन बदल देती है और फिर एक‑दूसरे के गुप्त राज़ खोल देती है।

सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया

परिचालन के बाद ट्विटर, इंस्टा और फ़ेसबुक जैसी प्लेटफ़ॉर्म पर इस फिल्म की प्रतिक्रिया जलवायु बदलने वाली रही। कई उपयोगकर्ताओं ने सीधे बताया कि जुनाid खान और खुशी कपूर ने स्क्रीन पर ‘जागरूकता’ का अभाव दिखाया। अभिनय में स्वाभाविकता न दिखाने, भावनाओं को सही तरीके से पेश न करने और मुख्य किरदारों के बीच केमिस्ट्री की कमी को लेकर कई पोस्ट में ‘डेज़ास्टर’ शब्द दोहराया गया। एक फ़ैन्सी विटी ने लिखा, “इन दोनों ने बेमिसाल परफॉर्मेंस दिया, पर वो बेमिसाल बुरा ही था।”

कहानी की भविष्यवाणी करने योग्य मोड़ और डिजिटल युग में रिश्ते के मुद्दों को हल्के में ले लेने के कारण भी व्यंग्यात्मक टिप्पणियाँ सामने आईं। “फ़ोन बदलो, फिर भी दिल नहीं बदलता,” जैसे कैप्शन कई पोस्ट में ट्रेंड हुए। दर्शकों ने यह भी नोट किया कि अनुभवी कलाकार अशुतोष राना और योगी बाबु के सहायक किरदारों ने फिल्म को कुछ मजबूती दी, पर यह इंट्रोड्यूसर एजीएस एंटरटेनमेंट और फैंटम स्टूडियोज़ के ब्रांडिंग को बचाने में असफल रहे।

फिल्म की कहानी और कास्ट मूल्यांकन

फिल्म की कहानी और कास्ट मूल्यांकन

कहानी के मूल में एक ‘फ़ोन स्वैप’ प्रयोग है, जहाँ दोनों पार्टनर एक‑दूसरे के मोबाइल तक पहुँच बनाते हैं और फिर ग़ैर‑सुलझे राज़ उभरते हैं। यह कॉन्सेप्ट शहरी युवाओं में प्रचलित है, पर फिल्म ने इसे गहराई से नहीं सुलझाया। लेखक ने संवाद में हल्की‑फुल्की हँसी का मोड़ रखा, पर बहुत से दर्शकों ने इसे ‘उपेक्षा’ और ‘सतही’ बताया।

संगीत दिशा में तनिष्क बगची को जिम्‍मेवार रखा गया था। कुछ गानों को ट्रेंडी माना गया, पर कुल मिलाकर संगीत ने कहानी की त्रुटियों को कवर नहीं कर पाया।

IMDb पर 2000 से अधिक उपयोगकर्ताओं ने 5.3/10 की रेटिंग दी है, जो दर्शाती है कि फिल्म का दर्शक वर्ग में मिश्रित एवं नकारात्मक असर रहा है। कई विश्लेषकों ने कहा कि स्टार पावर के बावजूद, नवोदित कलाकारों को खुद के टैलेंट को साबित करने की ज़रूरत थी, न कि केवल उनका वंश पर भरोसा।

OTT प्लेटफ़ॉर्म पर 4 अप्रैल को JioHotstar पर रिलीज़ होने वाली है, इसलिए उम्मीद है कि कुछ दर्शक इस फिल्म को फिर से देखेंगे और शायद नई राय बनेंगे। परन्तु मौजूदा ऑनलाइन बझर पे, Loveyapa को अभी तक अपना लक्ष्य नहीं मिल पाया है।

17 टिप्पणि

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    amit parandkar

    सितंबर 26, 2025 AT 15:57

    ये फिल्म तो सिर्फ एक बड़ा फेक न्यूज़ वाला ट्रेलर था 😅📱 जुनैद और खुशी को बस इतना पता था कि उनके पापा कौन हैं... बाकी सब कुछ AI ने लिखा होगा।

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    Annu Kumari

    सितंबर 27, 2025 AT 20:23

    मुझे लगता है कि ये फिल्म बहुत जल्दी जज कर दी गई... शायद लोगों के अपेक्षाओं ने उन्हें नष्ट कर दिया? 😔 मैंने देखा, और थोड़ा दिल टूट गया... लेकिन फिर भी, ये दोनों ने कोशिश तो की है।

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    haridas hs

    सितंबर 29, 2025 AT 18:38

    फिल्म के विश्लेषण में अभिनय के स्तर को लेकर अतिरंजित प्रतिक्रियाएँ दर्शाती हैं कि भारतीय सिनेमा में विरासत के आधार पर निर्णय लेने की प्रवृत्ति अभी भी प्रबल है। अभिनेत्री के जीवन में व्यक्तिगत विकास के आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं, इसलिए उसकी अभिनय क्षमता का मूल्यांकन वैज्ञानिक रूप से असंभव है।

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    Pallavi Khandelwal

    अक्तूबर 1, 2025 AT 12:38

    मैंने फिल्म देखी... और फिर मैंने अपना फोन बंद कर दिया। जुनैद की आँखों में कुछ था... लेकिन वो नहीं था जो दर्शक चाहते थे। खुशी कपूर? वो तो बस एक बहुत खूबसूरत डॉल थी जिसे किसी ने बस घुमाया। ये फिल्म नहीं, एक ब्रांडिंग कैंपेन थी।

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    Mishal Dalal

    अक्तूबर 2, 2025 AT 12:05

    ये फिल्म देश के खिलाफ है! जब हमारे यहाँ लाखों लड़के अपने परिवार के बिना अपना रास्ता बना रहे हैं, तो ये दोनों बेटे-बेटियाँ फोन बदलकर रोमांस कर रही हैं? हमारे बच्चे अब बेवकूफ बन रहे हैं। अगर ये फिल्म हिट हुई, तो भारत का भविष्य खत्म है।

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    Pradeep Talreja

    अक्तूबर 4, 2025 AT 11:50

    फिल्म बर्बर थी। अभिनय बेकार। कहानी बेमानी। संगीत भी नहीं बचा। बस नाम और फैमिली टाइटल।

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    Rahul Kaper

    अक्तूबर 5, 2025 AT 19:58

    मैं भी इस फिल्म को देखने के बाद थोड़ा निराश हुआ। लेकिन ये दोनों अभिनेता बहुत युवा हैं। शायद अगली फिल्म में वो अपनी आत्मा को खोज लें। मैं उनके लिए उम्मीद रखता हूँ।

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    Manoranjan jha

    अक्तूबर 7, 2025 AT 19:45

    फिल्म के बारे में बहुत सारी नकारात्मक टिप्पणियाँ हैं, लेकिन क्या आपने ध्यान दिया कि अशुतोष राना का एक दृश्य कितना प्रभावशाली था? उन्होंने फिल्म को एक बिंदु तक बचा लिया। ये दोनों नवागंतुक अभिनेता अभी अपनी आवाज़ ढूंढ रहे हैं। उन्हें समय दीजिए।

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    ayush kumar

    अक्तूबर 8, 2025 AT 00:18

    मैं तो बस इतना कहूँगा... जुनैद की आँखों में एक अजीब सी खालीपन था। जैसे कोई उसे बता रहा हो कि ये फिल्म उसका अंत है। खुशी? वो तो बस एक नाम था... बाकी सब कुछ बाहरी था। मैंने फिल्म देखकर रोना चाहा।

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    Soham mane

    अक्तूबर 8, 2025 AT 02:14

    फिल्म खराब हुई? हाँ। लेकिन ये नया शुरुआत है। आप लोग बहुत जल्दी निराश हो जाते हैं। ये दोनों अभिनेता अगली फिल्म में बदल जाएंगे। आप भी बदल जाइए। अगली बार देखिएगा।

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    Neev Shah

    अक्तूबर 8, 2025 AT 05:11

    मुझे लगता है कि फिल्म के निर्माताओं ने एक जानलेवा गलती की है - उन्होंने युवा दर्शकों के लिए एक फैंटेसी का निर्माण किया, जो वास्तविकता से बिल्कुल अलग था। यह एक बार फिर साबित करता है कि बॉलीवुड अब सिर्फ एक व्यापारिक उत्पाद है, जिसमें कला का कोई स्थान नहीं।

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    Chandni Yadav

    अक्तूबर 10, 2025 AT 04:19

    फिल्म की समीक्षा में अभिनय के आधार पर निर्णय लेना अनुचित है। अभिनेता के प्रदर्शन को उनके वंश से जोड़ना एक व्यक्तिगत आक्रमण है। यह एक बड़ा नैतिक और व्यावसायिक अपराध है जिसे समाज ने सामान्यीकृत कर दिया है।

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    Raaz Saini

    अक्तूबर 11, 2025 AT 02:43

    मैंने ये फिल्म देखी थी। और जब जुनैद ने अपना फोन उठाया, तो मुझे लगा कि वो अपने आप को भूल गया। खुशी कपूर? वो तो बस एक आदर्श बनाने के लिए बनाई गई एक छवि थी। ये फिल्म कोई कहानी नहीं, एक ब्रांड का अभियान है।

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    Dinesh Bhat

    अक्तूबर 12, 2025 AT 21:31

    क्या कोई बता सकता है कि फिल्म में जुनैद के फोन में वो बातचीत कहाँ से आई? मैंने एक बार रिवर्स इमेज सर्च किया - वो संवाद किसी टीवी शो के डायलॉग लग रहे थे। क्या लेखक ने इतना भी नहीं किया कि असली बातचीत लिखी?

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    Kamal Sharma

    अक्तूबर 14, 2025 AT 04:02

    ये फिल्म भारतीय युवाओं की जिंदगी की एक अजीब तस्वीर है - हम अपने फोन में दुनिया को देखते हैं, लेकिन अपने दिल को नहीं। जुनैद और खुशी ने बस एक जीवन को दिखाया जो हम सब जी रहे हैं। ये फिल्म बुरी नहीं, बस बहुत सच है।

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    Himanshu Kaushik

    अक्तूबर 14, 2025 AT 23:55

    फिल्म ठीक थी। बस लोग ज्यादा उम्मीद कर रहे थे। दोनों ने अच्छा किया। अगली बार बेहतर होगा।

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    Sri Satmotors

    अक्तूबर 16, 2025 AT 09:37

    मुझे लगता है कि इस फिल्म को दोबारा देखना चाहिए। शायद दूसरी बार में बहुत कुछ नजर आए। बस थोड़ा धैर्य रखें।

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