महात्मा गांधी की शांति की धरोहर: अहिंसा दिवस की व्यापक महत्ता
अक्तू॰, 3 2024अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस: गांधीजी के शांति और अहिंसा के ध्येय का उत्सव
हर साल 2 अक्टूबर को महात्मा गांधी की जन्मतिथि के उपलक्ष्य में अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस मनाया जाता है। इसे 2007 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित किया गया था। महात्मा गांधी की अहिंसा और सत्याग्रह की विचारधारा ने न केवल भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में बल्कि वैश्विक स्तर पर भी अद्वितीय प्रभाव डाला। गांधीजी का विश्वास था कि शांति केवल शांतिपूर्ण साधनों से ही हासिल की जा सकती है। उनके इस विचार ने विश्वव्यापी सामरिक आंदोलनों को प्रेरित किया, जैसे अमेरिका के नागरिक अधिकार आंदोलन में मार्टिन लूथर किंग जूनियर और दक्षिण अफ्रीका में नेल्सन मंडेला का संघर्ष।
सत्याग्रह और उसकी प्रासंगिकता
महात्मा गांधी का सत्याग्रह केवल एक राजनीतिक रणनीति नहीं थी, बल्कि यह जीवन जीने की एक आदर्श पद्धति थी। उन्होंने व्यापक पैमाने पर अपनी अहिंसात्मक संघर्ष को लागू किया, विशेष रूप से 1930 के दांडी मार्च ने उनके सिद्धांतों को जीवंत रूप से प्रस्तुत किया। सत्याग्रह का सार है कि साम्राज्यवादी ताकतों का सामना मात्र शांति और सच्चाई के मार्ग से ही किया जा सकता है। गांधी जी ने कहा था, 'अहिंसा मानवता के पास सबसे बड़ी शक्ति है। यह किसी भी विनाशकारी हथियार से अधिक शक्तिशाली है।'
गांधीजी की शिक्षाएँ: आज की दुनिया में उनका महत्व
आज का समय राजनीतिक, सामाजिक और पर्यावरणीय चुनौतियों से भरा हुआ है। आतंकवाद, संघर्ष, जलवायु परिवर्तन और बढ़ती असमानता ने हमें गांधीजी की अहिंसा की आवश्यकता की गहरी याद दिलाई है। गांधीजी का विश्वास था कि मानवता की मौलिक भलाई हमें एकजुट कर सकती है। उनकी शिक्षाएँ, जैसे कि 'पृथ्वी पर हर किसी की जरूरत के लिए पर्याप्त है, लेकिन हर किसी के लालच के लिए नहीं,' संसाधनों के जिम्मेदार उपयोग और अहिंसा के बीच एक गहरा संबंध स्थापित करती हैं।
गांधीजी का संदेश: आशा और पुनर्मिलन
महात्मा गांधी की शिक्षाएँ केवल राजनीतिक प्रतिरोध तक सीमित नहीं रहीं, बल्कि वे संसाधनों के संरक्षण और सरलता की वकालत भी करती हैं। भारतीय स्वच्छ भारत अभियान जैसी पहलों में गांधीजी के विचारों का प्रतिबिंब देखने को मिलता है, जो स्वच्छता और पर्यावरणीय स्थिरता को बढ़ावा देते हैं। अहिंसा दिवस गांधीजी द्वारा पूरे जीवन भर धारित अहिंसात्मक प्रतिरोध के सिद्धांतों को श्रद्धांजलि देने का एक अवसर है।
अहिंसा दिवस और वैश्विक सम्मान
महात्मा गांधी की जयंती पर मनाया जाने वाला यह दिन उनकी अद्वितीयताओं का उत्सव है। इसे न केवल भारतीय संदर्भ में बल्कि वैश्विक संदर्भ में भी बेहद अहमियत दी जाती है। 2023 में भारत में आयोजित जी20 शिखर सम्मेलन में विश्व नेताओं ने गांधीजी को राजघाट पर श्रद्धांजलि अर्पित की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस अवसर पर इस बात पर जोर दिया कि सत्य और अहिंसा के गांधीजी के स्थायी सिद्धांत एक सौहार्दपूर्ण और शांतिपूर्ण भविष्य की दिशा में प्रयासों को निर्देशित करते हैं।
गांधीजी की शिक्षाओं की सतत प्रासंगिकता
2022 में यूनेस्को महात्मा गांधी शिक्षा और शांति संस्थान ने गांधीजी की शिक्षाओं की प्रासंगिकता को दर्शाया। गांधीजी के सिद्धांत मात्र रणनीति तक सीमित नहीं हैं, बल्कि जीवन की पद्धति के रूप में उनके लिए अपनाया जा सकता है। हम शिक्षा और जागरूकता के माध्यम से वैश्विक चुनौतियों के समाधान के लिए अहिंसात्मक उपायों को बढ़ावा देकर गांधीजी की विरासत का सम्मान कर सकते हैं। उनका शाश्वत संदेश यह है कि शांति अहिंसात्मक कार्यों के माध्यम से यथार्थ बन सकती है और आज भी यह विश्वभर के करोड़ों लोगों को प्रेरित करता है।