Pakistan vs Afghanistan: शारजाह में 39 रन से जीत, सलमान अली आगा की ठंडी दिमाग वाली फिफ्टी ने बाजी पलटी

रिपोर्ट: प्रबोध
मैच का हाल: पाकिस्तान 182/7, अफगानिस्तान 143
Pakistan vs Afghanistan की यह भिड़ंत शारजाह के उस पुराने अंदाज़ की याद दिलाती है जहां धैर्य, स्किल और छोटे-छोटे पलों की जीत मैच का चेहरा बदल देती है। पाकिस्तान ने पहले बल्लेबाज़ी करते हुए 182/7 का चुनौतीपूर्ण स्कोर खड़ा किया और जवाब में अफगानिस्तान की टीम 39 रन दूर रह गई। तारीख 29 अगस्त 2025, जगह शारजाह—ट्राइ-सीरीज़ का यह लीग मैच पाकिस्तान के लिए लय बनाए रखने वाला रहा।
पाकिस्तान की पारी का सबसे ठोस स्तंभ बने सलमान अली आगा। उन्होंने क्रीज़ पर टिककर 53 रन नाबाद जोड़े। स्ट्राइक रोटेशन, गैप्स में सिंगल-डबल और मौकों पर बाउंड्री—उनकी पारी का टेम्पो शारजाह की धीमी सतह के हिसाब से एकदम फिट रहा। ऊपर से छोटे-छोटे कैमियो ने रन-रेट को गिरने नहीं दिया, और आख़िरी ओवरों में स्कोर 180 के पार पहुंच गया।
अफगानिस्तान को उम्मीद थी कि कप्तान राशिद खान बीच के ओवरों में खेल पलट देंगे। उन्होंने वैरिएशन से प्रेशर बनाया भी, लेकिन पाकिस्तान ने ‘रिस्क मैनेज्ड’ एप्रोच अपनाई—लंबे शॉट्स की ज़िद छोड़ी, स्ट्राइक बदली, और गलत गेंद का इंतज़ार किया। यही फ़र्क बना।
चेज़ में अफगानिस्तान की शुरुआत ठीक रही, पर पावरप्ले के बाद पाकिस्तान के पेसरों और स्पिनरों ने मिलकर रफ्तार तोड़ दी। हारिस रऊफ की तेज़ गेंदों ने बल्लेबाज़ों को बैकफुट पर रखा, वहीं ऑफ-pace और हार्ड-लेंथ ने बाउंड्री रोक दी। विकेट नियमित अंतराल पर गिरे तो रन-रेट 10 के ऊपर चढ़ गई, और वहीं से वापसी मुश्किल हो गई। निचले क्रम ने कोशिश की, पर 143 पर पारी थम गई।
इस जीत से पहले पाकिस्तान इसी टूर्नामेंट में UAE को 31 रन से हरा चुका था। यानी ग्रुप स्टेज में उनकी ट्रैक्टरी साफ है—बेंच स्ट्रेंथ को मौके, कमबैक चाहने वालों को ओवर, और मैच-परिस्थिति के हिसाब से अलग-अलग कॉम्बिनेशन आज़माने का बेहतरीन अवसर।
- सलमान अली आगा की 53* रन की जिम्मेदार पारी ने एंकर की कमी पूरी की।
- शारजाह की धीमी पिच पर स्ट्राइक रोटेशन पाकिस्तान की निर्णायक रणनीति रही।
- राशिद खान ने दबाव बनाया, पर सपोर्टिंग स्पेल उतना असरदार नहीं रहा।
- हारिस रऊफ और साथियों ने डेथ ओवरों में बाउंड्री सूखी रखी—यहीं से 39 रन का गैप बना।
बड़े सवाल: यह जीत क्यों मायने रखती है
शारजाह की पिच पर 170+ स्कोर आसान नहीं माना जाता, खासकर तब जब सामने अफगानिस्तान जैसे स्पिन-हैवी अटैक हो। पाकिस्तान ने यहां टेम्पो समझकर खेला—रन-रेट का बुलबुला फुलाने के बजाय उसे धीरे-धीरे बढ़ाया। यह एप्रोच टॉप-टू-मिड ऑर्डर के लिए सीख है कि एंकरिंग और फिनिशिंग का बैलेंस कैसे बैठता है।
अफगानिस्तान के लिए सबक साफ है—चेज़ में शुरुआती साझेदारी टिके, तभी राशिद खान का स्पेल मैच-चेंजर बनता है। जब बीच के ओवर आते-आते तीन-चार विकेट गिर जाते हैं, तो उनकी कसी हुई गेंदबाज़ी भी विपक्ष पर उतना दबाव नहीं बना पाती। साथ ही, डेथ ओवरों में हिटिंग की विश्वसनीयता बढ़ानी होगी।
यह जीत पाकिस्तान के लिए सिर्फ अंक नहीं, बल्कि संयोजन का भरोसा भी है। बैकअप मिडल-ऑर्डर ने रन बनाए, गेंदबाज़ी में विविधता दिखी—हार्ड-लेंथ पेस, स्लोअर बाउंसर, और सही समय पर स्पिन। फील्डिंग में भी ऊर्जा दिखी—कवर्स और मिडविकेट पर बचाए गए 10-12 रन आखिर में बड़े दिखते हैं।
शारजाह का साइज छोटा है, पर यहां का ट्रैक अक्सर ग्रिप करता है। ऐसे में 150 के बाद हर 10 रन बोनस बनते हैं। पाकिस्तान ने यही समझकर आख़िरी पांच ओवरों में जोखिम लेते हुए भी विकेट संभाल कर रखे। दूसरी तरफ अफगानिस्तान के बल्लेबाज़ एक-एक बड़े शॉट पर दांव लगाते रहे और इसी में मौके गंवाते गए।
ट्राइ-सीरीज़ का फायदा तीनों टीमों को है—UAE को हाई-इंटेंसिटी गेम्स, अफगानिस्तान को चेज़ टेम्पलेट सुधारने का मौका, और पाकिस्तान को बेंच स्ट्रेंथ टेस्ट करने की आज़ादी। आगे के मुकाबलों में नजर इस बात पर रहेगी कि अफगानिस्तान टॉप-ऑर्डर को कैसे स्टेबल करता है और पाकिस्तान क्या उसी कंट्रोल्ड-एग्रेसन से स्कोर बनाता रहता है।
कैलेंडर के हिसाब से यह टूर्नामेंट एशियाई टीमों के लिए उपयोगी वार्म-अप है। न्यूट्रल वेन्यू, विविध कंडीशंस, और लगातार मैच—यह सब मिलकर बताता है कि किसके पास प्लान-बी और प्लान-सी है। फिलहाल, शारजाह में पाकिस्तान ने यही दिखा दिया—मैच पलों से जीतते हैं, और वे पल उन्होंने विरोधी से पहले पकड़ लिए।