प्रसिद्ध तबला वादक ज़ाकिर हुसैन को दिल की समस्या के चलते अमेरिका के अस्पताल में भर्ती

प्रसिद्ध तबला वादक ज़ाकिर हुसैन को दिल की समस्या के चलते अमेरिका के अस्पताल में भर्ती

ज़ाकिर हुसैन की स्वास्थ्य स्थिति

प्रख्यात तबला वादक ज़ाकिर हुसैन का नाम पूरे विश्व में भारतीय संगीतोत्सव के चमकते सितारे के रूप में लिया जाता है। हाल ही में, 73 वर्षीय हुसैन को दिल से जुड़ी स्वास्थ्य समस्याओं के कारण अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को के एक अस्पताल में भर्ती किया गया है। उनके करीबी मित्र और प्रसिद्ध बांसुरी वादक राकेश चौरसिया ने इस खबर की पुष्टि की है।

हुसैन फिलहाल गंभीर अवस्था में ICU में हैं, और उनके स्वास्थ्य को लेकर उनके परिवार व दोस्तों में गहराई से चिंता है। ज़ाकिर हुसैन के भाई आयुब औलिया ने फैंस और संगीत प्रेमियों से उनके शीघ्र स्वस्थ होने की कामना के लिए प्रार्थना किए जाने की अपील की है।

ज़ाकिर हुसैन का संगीत सफर

ज़ाकिर हुसैन, उस्ताद अल्ला रक्खा खान के बेटे हैं, जिन्होंने सात वर्ष की आयु में तबला बजाना शुरू किया था। बारह साल की उम्र से ही उन्होंने विभिन्न भारतीय नगरों में अपनी प्रस्तुतियों से लोगों को मंत्रमुग्ध किया। उनका संगीत करियर सफलता की ऊँचाइयों पर पहुँचा जब उन्होंने न सिर्फ भारतीय शास्त्रीय संगीत में बल्कि विश्व संगीत में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

हुसैन के योगदान को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर मान्यता मिला, जिसमें उन्होंने कई पुरस्कार प्राप्त किए। उनके उल्लेखनीय सहयोगात्मक परियोजनाओं में ‘ग्लोबल ड्रम प्रोजेक्ट’ शामिल है, जिसने कई ग्रैमी पुरस्कार जीते हैं।

संगीतजगत में ज़ाकिर हुसैन का योगदान

ज़ाकिर हुसैन ने विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय कलाकारों के साथ मिलकर संगीत का वैश्विक आदान-प्रदान किया है। उन्होंने चार ग्रैमी पुरस्कार जीते हैं, जिसमें इस वर्ष के 66वें ग्रैमी अवार्ड्स के तीन पुरस्कार भी शामिल हैं। उनकी कलात्मकता और लगन का सम्मान संगीत जगत में हमेशा रहेगा।

ज़ाकिर हुसैन के स्वास्थ्य के प्रति व्यापक समर्थन व्यक्त करते हुए, विश्वभर के संगीत समुदायों ने उनके शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की है। उन्होंने संगीत के क्षेत्र में जो अमूल्य योगदान दिया है, उसके चलते पूरी दुनिया उन्हें सम्मान और प्यार के साथ निहार रही है।

फैंस और परिवार की उम्मीदें

फैंस और परिवार की उम्मीदें

अस्पताल में भर्ती होने के बाद से ही ज़ाकिर हुसैन के स्वास्थ्य को लेकर उनके प्रशंसकों में भी गहरी चिंता है। सोशल मीडिया पर फैंस उनके जल्दी स्वस्थ होने की कामनाएँ कर रहे हैं। उनके स्वास्थ्य को लेकर उनकी पत्नी और परिवार भी चिंतित हैं और लगातार प्रार्थना में जुटे हैं।

बात चाहे भारतीय संगीत की हो या अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शनों की, ज़ाकिर हुसैन ने हर जगह अपनी अनूठी छाप छोड़ी है। उनकी तबला बजाने की शैली ने विश्वभर में संगीत प्रेमियों को मंत्रमुग्ध किया है। संगीत की भाषा में उनकी अद्वितीय क्षमता और नवप्रयासों की भी व्यापक सराहना की जाती है।

हमें उम्मीद है कि इस महान कलाकार का स्वास्थ्य जल्द ही बेहतर होगा और वे फिर से अपने दर्शकों के बीच वापसी करेंगे। तब तक उनके चाहनेवाले उनकी सलामती और जल्द स्वस्थ होने की प्रार्थना करते रहेंगे।

13 टिप्पणि

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    Annu Kumari

    दिसंबर 16, 2024 AT 22:09
    ये तो बहुत दुख की बात है... ज़ाकिर भैया का हर तबला का धड़कन जैसे दिल की धड़कन होती है। उनकी आवाज़ बिना शब्दों के भी दिल छू जाती है। उम्मीद है, अब जल्दी से ठीक हो जाएंगे।
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    haridas hs

    दिसंबर 18, 2024 AT 10:26
    क्लिनिकल डेटा के अभाव में इस तरह के सामाजिक मीडिया अफवाहों को आधार बनाना अनुचित है। व्यक्तिगत स्वास्थ्य की जानकारी केवल अधिकृत स्रोतों से ही प्रकाशित होनी चाहिए।
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    Shiva Tyagi

    दिसंबर 18, 2024 AT 19:49
    हमारे देश के सबसे बड़े संगीतकार को अमेरिका में भर्ती करना? ये क्या बात है? हमारे अस्पतालों में तो इतना टेक्नोलॉजी है कि उनका इलाज यहाँ ही हो सकता था। अब तो विदेशी बाजार में भारतीय संगीत का लाभ उठाया जा रहा है।
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    Pallavi Khandelwal

    दिसंबर 20, 2024 AT 06:00
    मैंने उन्हें 1998 में बॉम्बे में जीवित देखा था... उस रात का तबला ऐसा बजा कि लगा जैसे समय रुक गया। अब वो आँखें बंद हैं... और हम सब बस स्क्रॉल कर रहे हैं। ये दुनिया क्या हो गई है?
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    Mishal Dalal

    दिसंबर 21, 2024 AT 19:38
    ज़ाकिर हुसैन केवल एक वादक नहीं... वो एक भारतीय आत्मा हैं! जब वो तबला बजाते थे तो लगता था जैसे प्राचीन ऋषियों का वाणी फिर से बोल रही हो! अब वो अस्पताल में हैं... भगवान उन्हें बचाए!
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    Pradeep Talreja

    दिसंबर 22, 2024 AT 20:47
    इस तरह की खबरों पर रोना बंद करो। जिनका जीवन काम है, वो जीते रहते हैं। उनकी आवाज़ अभी भी हवा में है।
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    Rahul Kaper

    दिसंबर 23, 2024 AT 10:45
    मैंने उनकी एक लाइव प्रस्तुति देखी थी, जब मैं अभी बच्चा था। उस रात के बाद मैंने तबला बजाना शुरू किया। अगर वो ठीक हो जाएं, तो मैं उन्हें एक चिट्ठी लिखूंगा।
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    Manoranjan jha

    दिसंबर 23, 2024 AT 15:13
    उनके साथ काम करने वाले लोगों ने बताया था कि वो हर दिन 4 घंटे अभ्यास करते हैं। ये तो बस शास्त्रीय संगीत की नहीं, बल्कि जीवन की अद्भुत दृष्टि है। उनकी लगन देखकर लगता है कि ये बीमारी भी उनके ताल में नहीं बज पाएगी।
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    ayush kumar

    दिसंबर 24, 2024 AT 17:13
    मैं तो उनके ग्रैमी विजेता एल्बम को लगातार बजाता रहता हूँ... जब मन बहुत तनाव में होता है। उनकी धुनों में एक शांति है जो कोई भी दवा नहीं दे सकती। भगवान उन्हें जीवन दें।
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    Soham mane

    दिसंबर 25, 2024 AT 10:36
    हमें उम्मीद रखनी चाहिए। जब तक उनकी धुन बज रही है, वो अभी जीवित हैं। एक दिन वो वापस आएंगे, और हम सब फिर से उनके ताल में नाचेंगे।
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    Neev Shah

    दिसंबर 27, 2024 AT 03:44
    वास्तविक संगीत का अस्तित्व तब तक है जब तक उसका संदेश व्यक्तिगत अनुभव में अंकित हो। ज़ाकिर हुसैन के तबले की आवाज़ अब एक फिलोसोफिकल रेफरेंस बन चुकी है - एक अनमोल डायलॉग जो समय के बहाव में भी अटल है।
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    Chandni Yadav

    दिसंबर 28, 2024 AT 09:54
    इस तरह की खबरों के लिए विश्वसनीय स्रोत नहीं हैं। ये सिर्फ एक भावनात्मक अभियान है। डॉक्टर्स ने कोई बयान नहीं दिया है।
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    Raaz Saini

    दिसंबर 29, 2024 AT 05:00
    अगर वो असली महान होते, तो अपने देश के अस्पताल में ही इलाज करवाते। अमेरिका के लिए जाना एक अस्वीकार्य निर्णय है। वो बस एक नाम हैं, जिसे बाजार में बेच रहे हैं।

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