रतन टाटा के निधन के कारण टीसीएस Q2 नतीजों की प्रेस कॉन्फ्रेंस रद्द: व्यापार जगत में शोक

रतन टाटा के निधन के कारण टीसीएस Q2 नतीजों की प्रेस कॉन्फ्रेंस रद्द: व्यापार जगत में शोक

रतन टाटा का निधन: भारतीय उद्योग जगत के लिए एक बड़ा नुकसान

भारतीय उद्योग के महानायक, रतन टाटा का बुधवार, 9 अक्टूबर 2024 को निधन हो गया। 86 वर्ष की आयु में उन्होंने अंतिम सांस ली। रतन टाटा का प्रभाव न केवल टाटा समूह पर बल्कि संपूर्ण भारतीय उद्योग जगत पर भी पड़ा है। उनका निधन भारतीय उद्योग जगत के लिए एक बड़ा शून्य छोड़ गया है। टाटा ने अपने जीवनकाल में अपने नेतृत्व और व्यवसायिक दृष्टिकोण से भारतीय उद्योग को नई ऊंचाइयों पर पहुँचाया। टाटा समूह के विस्तार और उसके नवाचारों के जरिए उन्होंने भारतीय उद्योग में एक नई पहचान बनाई।

प्रेस कॉन्फ्रेंस रद्दीकरण: टीसीएस का निर्णय

रतन टाटा के निधन के बाद, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) ने अपनी द्वितीय तिमाही की वित्तीय नतीजों की प्रेस कॉन्फ्रेंस रद्द कर दी है। यह प्रेस कॉन्फ्रेंस 10 अक्टूबर 2024 की शाम 5:30 बजे निर्धारित थी। हालांकि, टीसीएस ने एक्सचेंजों को सूचित किया है कि वह अपने बोर्ड की बैठक के बाद जुलाई-सितंबर के लिए अपनी वित्तीय स्थिति की जानकारी पेश करेगा। इसके साथ ही, विश्लेषकों के साथ 7 बजे होने वाली पूर्वनियोजित कॉल भी निर्धारित समय के अनुसार आयोजित की जाएगी।

टीसीएस और भारतीय उद्योग पर असर

टीसीएस और भारतीय उद्योग पर असर

रतन टाटा के निधन से न केवल टाटा समूह में बल्कि पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई है। उनके नेतृत्व में, टीसीएस ने भारतीय आईटी उद्योग को अंतरराष्ट्रीय मान्यता दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनकी दूरदर्शिता और नेतृत्व कौशल ने टीसीएस को ग्लोबल कंपनियों में से एक स्थिति दिलाई। टीसीएस की इस निर्णय से यह साफ है कि टाटा समूह के लिए रतन टाटा का स्थान कितना महत्वपूर्ण था और उनके योगदान को कभी नहीं भुलाया जा सकता।

रतन टाटा: एक प्रेरणा और धरोहर

रतन टाटा की विरासत उनके नेतृत्व से कहीं अधिक है। वे एक मानवतावादी, परोपकारी और व्यवसायिक सोच वाले व्यक्ति थे। उन्होंने भारतीय युवाओं को प्रेरित किया कि कैसे नैतिकता और व्यापारिक कुशलता को साथ लेकर चलना चाहिए। उनके मार्गदर्शन में समाज सेवा में भी टाटा समूह ने महत्वपूर्ण योगदान दिया है, चाहे वह शिक्षा हो, स्वास्थ सेवा हो या ग्रामीण विकास।

अंतिम संस्कार और- भावभीनी विदाई

अंतिम संस्कार और- भावभीनी विदाई

रतन टाटा के अंतिम संस्कार के आयोजन की तैयारी मुंबई के वर्ली में की जा रही है। उनके अंतिम संस्कार के समय देश-विदेश के गणमान्य व्यक्ति उपस्थित होंगे। उनका निधन भारतीय व्यापार जगत और लाखों दिलों के लिए एक अपूरणीय क्षति है। समाज सेवा में उनके योगदान और उनकी दूरदर्शिता भुलाये नहीं जा सकते। उनकी स्मृतियाँ हमारे दिलों में हमेशा जिन्दा रहेंगी।

7 टिप्पणि

  • Image placeholder

    SHIKHAR SHRESTH

    अक्तूबर 11, 2024 AT 06:50
    रतन टाटा का निधन... बस इतना ही सुनकर आँखें भर आईं।
    इंडिया के एक असली नेता का अंत।
    कोई और इतना इंसानियत से बिजनेस कर सकता है?
  • Image placeholder

    amit parandkar

    अक्तूबर 12, 2024 AT 17:59
    ये सब ठीक है... पर क्या आपने कभी सोचा कि टाटा समूह का नियंत्रण अब किसके हाथ में है? क्या ये सब एक बड़ा गेम है? जब तक रतन जी थे, तब तक कुछ नहीं बदला... अब शुरू हो गया है अंदरूनी युद्ध।
    बस देखो, अगले 6 महीने में कौन किसको बाहर कर रहा है।
  • Image placeholder

    Annu Kumari

    अक्तूबर 14, 2024 AT 15:36
    मैंने जब टीसीएस के ऑफिस में इंटर्नशिप की थी, तो एक दिन रतन जी अचानक आ गए... किसी को नहीं बताया, बस अपने आप घूम रहे थे।
    एक छोटी सी लड़की को बता रहे थे कि गलती करना बुरा नहीं है, बस उससे सीखना सीख लो।
    मैं उस दिन को कभी नहीं भूलूंगी।
    वो नेता नहीं, एक असली इंसान थे।
    और अब जो भी उनकी जगह लेगा... उसे याद रखना होगा कि टाटा का मतलब बस बिजनेस नहीं, इंसानियत है।
  • Image placeholder

    haridas hs

    अक्तूबर 15, 2024 AT 01:50
    Q2 results postponement is a strategic recalibration, not mere mourning. The board's decision reflects a governance protocol embedded in succession planning paradigms. TCS's revenue stability is predicated on institutional resilience, not charismatic leadership. The market reaction is emotionally biased, not economically rational. The real metric is operational continuity - which remains intact. Any narrative of existential vacuum is fundamentally flawed.
  • Image placeholder

    Pallavi Khandelwal

    अक्तूबर 15, 2024 AT 23:52
    मैं रो रही हूँ... नहीं, असल में मैं आँखों में पानी लाए बिना नहीं बैठ सकती।
    रतन टाटा ने मुझे नहीं, पूरे भारत को दिखाया कि बिजनेस और दिल एक साथ चल सकते हैं।
    अब जो लोग बोल रहे हैं कि ये सिर्फ एक कंपनी है... वो नहीं जानते कि कैसे एक आदमी ने एक देश के आत्मविश्वास को बदल दिया।
    हम उनकी जगह नहीं भर सकते... बस उनकी यादों में जी सकते हैं।
  • Image placeholder

    Mishal Dalal

    अक्तूबर 17, 2024 AT 11:48
    क्या ये सब अंग्रेजों की चाल है? जब तक रतन जी थे, तब तक भारतीय बिजनेस अपनी आत्मा से चल रहा था।
    अब वो बाहरी निवेशक आ रहे हैं, वो फॉरेन फंड्स लेकर आ रहे हैं।
    क्या ये टाटा को तोड़ने की योजना थी? क्या ये भारत के आत्मनिर्भरता के खिलाफ एक धोखा है?
    हमें जागना होगा। टाटा सिर्फ एक नाम नहीं, एक धरोहर है।
  • Image placeholder

    Pradeep Talreja

    अक्तूबर 19, 2024 AT 08:29
    धन्यवाद सभी को।
    मैं जानता हूँ कि रतन जी का निधन कितना बड़ा खोया है।
    लेकिन ये बात याद रखिए - उन्होंने हमें निर्णय लेने का तरीका सिखाया था, न कि बस रोने का।
    टीसीएस की प्रेस कॉन्फ्रेंस रद्द करना एक सम्मान था, न कि कमजोरी।
    हम उनकी याद में नहीं, उनकी सीख के साथ आगे बढ़ेंगे।
    उनकी विरासत हम सबके हाथ में है।

एक टिप्पणी लिखें