रिचर्ड एटनबरो की फिल्म से फिर चर्चा में आए महात्मा गांधी: रिकी केज का दावा
जून, 1 2024भारत-अमेरिकी संगीतकार और तीन बार के ग्रैमी पुरस्कार विजेता रिकी केज ने हाल ही में एक बहुचर्चित बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि महात्मा गांधी की हत्या के बाद, पश्चिमी देशों में उनकी चर्चा लगभग समाप्त हो गई थी। केज ने यह भी बताया कि 1948 में महात्मा गांधी की हत्या के बाद, अगले 33 वर्षों तक वे पश्चिमी दृष्टिकोण में एक भूली हुई हस्ती बन गए थे।
रिकी केज ने बताया कि यह स्थिति 1982 में बदल गई, जब सर रिचर्ड एटनबरो की फिल्म 'गांधी' का प्रीमियर हुआ। उस वक्त तक गांधी का नाम कई देशों में एक अनजान व्यक्तित्व बन चुका था। हालांकि, इस फिल्म ने महात्मा गांधी को पूरे विश्व में एक नई पहचान दिलाई और लोगों ने उन्हें फिर से शांति के प्रतीक के रूप में देखना शुरू किया।
महात्मा गांधी की संघर्षमय यात्रा और उनके अडिग उसूलों पर बनी इस फिल्म ने न केवल दर्शकों का दिल जीत लिया, बल्कि फिल्म समीक्षकों से भी खूब प्रशंसा पाई। प्रारंभ में, फिल्म को वितरण के मामले में काफी संघर्ष करना पड़ा, परन्तु जब 1983 में इसने आठ ऑस्कर पुरस्कार जीते, तो इसे वैश्विक स्तर पर बड़ी सफलता मिली।
मोदी का समर्थन
रिकी केज ने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस बयान का समर्थन किया, जिसमें उन्होंने कहा था कि रिचर्ड एटनबरो की 'गांधी' फिल्म ने महात्मा गांधी के प्रति उत्सुकता बढ़ाई। मोदी ने यह बात एक इंटरव्यू के दौरान कही थी, जहां उन्होंने गांधी जी की वैश्विक मान्यता पर चर्चा की थी। केज ने अपने एक्स हेंडल पर लिखा कि इस फिल्म ने महात्मा गांधी के विचारों को पुनः जीवित किया और एक नई पीढ़ी को उनके असली व्यक्तित्व से परिचित कराया।
वेस्ट में गलतफहमी
हालांकि, केज इस बात से नाखुश हैं कि कई पश्चिमी लोग महात्मा गांधी को फिल्म में उनके किरदार निभाने वाले अभिनेता बेन किंग्सले से अधिक पहचानने लगे हैं। केज का मानना है कि यह एक बड़ी गलतफहमी है और गांधी का असली व्यक्तित्व इससे कहीं महान और हैं। उनके दृष्टिकोण में, फिल्म का उद्देश्य गांधी के विचारों और उनकी शिक्षाओं को सामने लाना था, न कि उन्हें एक अभिनेता के माध्यम से सीमित कर देना।
रिकी केज का_music और समाज के प्रति योगदान
रिकी केज न केवल एक प्रतिभाशाली संगीतकार हैं, बल्कि उनका समाज के प्रति भी गहरा अनुराग है। वे अपने संगीत के माध्यम से समाजिक मुद्दों को उठाते हैं और विश्व शांति के प्रति योगदान देते हैं। गांधी के बारे में उनकी भावनाएं भी यही दर्शाती हैं कि वे कितना अपने देश और उसके महान नेताओं का सम्मान करते हैं।
गांधी की विरासत
महात्मा गांधी की विरासत अभी भी जीवित है और उनके विचार और उसूल आज भी प्रासंगिक हैं। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम से लेकर समाज के प्रत्येक क्षेत्र में उनके योगदान को कोई भुला नहीं सकता। गांधी की अहिंसा और सत्याग्रह की नीति ने पूरी दुनिया को प्रभावित किया है और आज भी कई देशों में आंदोलनकारी उनके उसूलों को अपनाते हैं।
रिचर्ड एटनबरो की फिल्म 'गांधी' ने न केवल महात्मा गांधी की जीवनी को प्रस्तुत किया, बल्कि उनकी शिक्षाओं और उसूलों को भी दर्शाया। यह ऐतिहासिक फिल्म दर्शाती है कि कैसे एक आदमी ने पूरे ब्रितानी साम्राज्य को अहिंसा के माध्यम से झुकाया और भारत की स्वतंत्रता का मार्ग प्रशस्त किया।
गांधी के बाद का भारत
गांधी की हत्या के बाद, भारत ने एक नये युग की ओर कदम बढ़ाया। उनकी शिक्षाओं को अपनाते हुए, भारत ने अपने जनतांत्रिक संसाधनों को मजबूत किया और आर्थिक एवं सामाजिक विकास के मार्ग पर अग्रसर हुआ।
महात्मा गांधी की शिक्षाएं आज भी प्रासंगिक हैं और आने वाली पीढ़ियों के लिए मार्गदर्शन का स्रोत बनी रहेंगी। रिकी केज की उम्मीद है कि दुनिया उनके असली व्यक्तित्व को पहचाने और उनकी शिक्षाओं को अपनाए, जिससे समाज में शांति और भाईचारा बनाए रखा जा सके।