सुधा मूर्ति ने साझा की पहली मुलाकात का दिलचस्प किस्सा: नारायण मूर्ति के ससुर को नहीं आया था पसंद

सुधा मूर्ति ने साझा की पहली मुलाकात का दिलचस्प किस्सा: नारायण मूर्ति के ससुर को नहीं आया था पसंद नव॰, 11 2024

पहली मुलाकात का अद्भुत किस्सा

इन्फोसिस के संस्थापक नारायण मूर्ति और उनकी पत्नी सुधा मूर्ति की कहानी आज के समय में प्रेरणादायक मानी जाती है। लेकिन जब ये जोड़ा पहली बार मिला, तो सब कुछ इतना सामान्य नहीं था। इन दोनों ने हाल ही में 'द ग्रेट इंडियन कपिल शो' पर अपनी पहली मुलाकात का उल्लेख किया। इस दिलचस्प किस्से ने दर्शकों को हंसी से लोटपोट कर दिया।

टैक्सी के कारण हुई देर

सुधा मूर्ति ने बताया कि जब नारायण मूर्ति पहली बार उनके पिता से मिलने के लिए आए, तो वह दो घंटे देर हो गए थे। दरअसल, उनकी टैक्सी अचानक खराब हो गई थी। सुधा के पिता और प्रसिद्ध शिक्षक इस कारण से नारायण से नाखुश थे। उन्हें वक्त की पाबंदी बहुत पसंद थी और देर से आने वालों पर उनका गुस्सा होना स्वाभाविक था। लेकिन नारायण मूर्ति ने इस मामले को हल्के में लिया और मस्ती में कह दिया कि 'ठीक है, उन्हें नाराज़ होने दें।' इसी तरह की हास्यमय घटनाओं ने इस मुलाकात को मनोरंजक बना दिया।

करियर की योजनाएं और ससुर की निराशा

सुधा के पिता, एक प्रबुद्ध प्रोफेसर, नारायण मूर्ति की करियर से संबंधित योजनाओं से भी प्रभावित नहीं हुए थे। नारायण मूर्ति उस समय अपनी जीवन यात्रा में अलग-अलग दिशा में बढ़ना चाहते थे। उन्होंने अपनी राजनीतिक योजनाओं और अनाश्रितों के लिए अनाथालय खोलने का विचार रखा था, जो समझने में कठिनाइयों का सामना कर रही पीढ़ी के लिए अनपेक्षित था। हालांकि उनकी इन योजनाओं के कारण पहली मुलाकात में सुधा के पिता ने उन्हें अस्वीकार कर दिया था।

नारायण ने सुधा को बताया 'फ्रेश एयर'

पहली मुलाकात के दौरान नारायण मूर्ति ने सुधा के बारे में भी आवाज दी। उन्होंने सुधा को 'ताज़ी हवा की सांस' की तरह वर्णित किया। सुधा मूर्ति जो एक लेखिका होने के साथ-साथ राज्य सभा की मनोनीत सदस्य भी हैं, ने अपने पिता और नारायण की शुरुआती मुलाकातों के कई दिलचस्प किस्से साझा किए। ये कहानियां अलग-अलग संगतियां को उजागर करती हैं जो उनके व्यक्तिगत और पेशेवर जीवन का बुनियादी हिस्सा हैं।

नारायण और सुधा की प्रेरणादायक कहानी

नारायण और सुधा की प्रेरणादायक कहानी

यह कहानी महज एक हास्यपूर्ण किस्सा नहीं है, बल्कि एक प्रेरणादायक उदाहरण है कि प्रेम और समझ का कितना बड़ा प्रभाव हो सकता है। नारायण मूर्ति और सुधा मूर्ति द्वारा साझा किए गए ये अनुभव इस बात की गवाही देते हैं कि कैसे पहला प्रभाव भले ही सकारात्मक न हो, लेकिन सफलता और समझ के लिए इससे आगे बढ़ना जरूरी है। आज ये दोनों भारतीय तकनीक और समाज के क्षेत्र में अपने महत्वपूर्ण योगदान के लिए जाना जाते हैं।

सुधा और नारायण मूर्ति की कहानी हर उस व्यक्ति के लिए प्रासंगिक है जो अपने रिश्ते और करियर में संघर्ष और स्वीकार्यता का सामना करते हैं। यह कहानी सिखाती है कि कैसे छोटी-मोटी घटनाएं भी महत्वपूर्ण सबक होने की जगह ले सकती है। नारायण मूर्ति और सुधा मूर्ति की जोड़ी हमारे समाज की एक मजबूत नींव है जो आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी।