1962 चीन‑भारत संघर्ष: क्या हुआ था?

अगर आप इतिहास में रुचि रखते हैं तो 1962 का युद्ध आपके लिए महत्त्वपूर्ण है। यह सिर्फ दो देशों के बीच की लड़ाई नहीं, बल्कि एशिया की सुरक्षा पर गहरा असर डालने वाला मामला था। इस लेख में हम कारण, मुख्य मोड़ और आज के सबक को आसान भाषा में समझेंगे, ताकि आप जल्दी से समझ सकें कि क्यों इस संघर्ष ने भारतीय विदेश नीति को बदल दिया।

संघर्ष की जड़ें – सीमा विवाद का इतिहास

भारत‑चीन सीमा 1914 के सिमला समझौते पर बनी थी, लेकिन ब्रिटिश भारत और चीन ने कभी स्पष्ट सीमांकन नहीं किया। 1947 में भारत की स्वतंत्रता के बाद, एरियन घाटी, अक्साई चेन और लद्दाख जैसी जगहों पर दोनों देशों के नक्शे अलग‑अलग दिखाते थे।

1950 के दशक में चीन ने तिब्बत का आधिपत्य स्थापित किया, जिससे भारत को अपनी सीमा की सुरक्षा लेकर चिंता हुई। 1959 में तिब्बती बंधु दलाई लामा ने भारत से शरण ली, इसने दो देशों के बीच तनाव को और बढ़ा दिया। तब भारतीय सरकार ने ‘फ़्रंटियर रिप्रेज़ेंटेशन्स’ बनवाईं, लेकिन चीन इसे अपने क्षेत्र का घुसपैठ मानता रहा।

मुख्य घटनाएँ – कब हुआ क्या

1962 की गर्मी में चीनी सेना ने तीन प्रमुख क्षेत्रों से आक्रमण किया: एरियन घाटी (उत्तरी सीमा), अक्साई चेन (पश्चिमी सीमा) और लद्दाख। भारत के पास उस समय केवल 45,000 सैनिक थे, जबकि चीन के पास लगभग 200,000 थे। शुरुआती हफ्तों में चीन ने तेज़ी से कई कस्बे पकड़ लिए, जैसे टुंगत्सिन‑डिंगली (अक्साई चेन) और नंदा. भारतीय कमांडर को स्पष्ट रणनीतिक योजना नहीं थी, जिससे नुकसान बढ़ गया।

15 नवम्बर 1962 तक चीन ने लगभग 300 किलोमीटर की सीमा पर अपना नियंत्रण जमा लिया। फिर उन्होंने अचानक वापसी का फैसला किया, मुख्य कारण अंतर्राष्ट्रीय दबाव और अपनी सैन्य तैयारियों के बारे में चिंताएँ थीं। भारत ने 21 नवंबर को अपने सैनिकों को वापस बुला लिया, लेकिन कई क्षेत्र अभी भी विवादित बने रहे।

इस युद्ध से दो प्रमुख सबक मिले: पहले, सीमा पर स्पष्ट मानचित्र की जरूरत है; दूसरे, तेज़ी से निर्णय लेने वाली सैन्य संरचना का होना अनिवार्य है। भारत ने बाद में ‘उच्चतम कमान’ (Integrated Defence Staff) और ‘सिंहासन-आधारित योजना’ को मजबूत किया।

आज के समय में भी एरियन घाटी, अक्साई चेन और लद्दाख पर तनाव जारी है। दोनों देशों की सरकारें संवाद के माध्यम से मुद्दे सुलझाने की कोशिश कर रही हैं, लेकिन इतिहास का ज्ञान बिना समझौते मुश्किल हो सकते हैं। इसलिए, 1962 का संघर्ष केवल पुराना नहीं, बल्कि भविष्य में शांति बनाए रखने का मार्गदर्शन भी देता है।

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मणि शंकर अय्यर का विवादित बयान: 'चीन ने 1962 में कथित तौर पर भारत पर हमला किया' पर माफी मांगी

कांग्रेस नेता मणि शंकर अय्यर ने विवाद खड़ा कर दिया जब उन्होंने कहा कि चीन ने 1962 में 'कथित तौर पर' भारत पर हमला किया था। इस बयान के बाद, अय्यर ने अपनी गलती के लिए बिना शर्त माफी माँगी। भाजपा नेता अमित मालवीय ने इसे इतिहास को बदलने का 'निर्लज्ज प्रयास' बताया। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने अय्यर के बयान से पार्टी को दूर कर लिया।