Cutoff Marks – क्या है और क्यों जरूरी है?

जब भी आप कोई कोर्स या कॉलेज चुनते हैं, सबसे पहला सवाल अक्सर ‘कटऑफ़ मार्क्स क्या है?’ होता है। सरल शब्दों में कहें तो कटऑफ़ वह न्यूनतम अंक है, जिसके ऊपर या बराबर स्कोर करने वाले छात्रों को चयन की संभावना मिलती है। यह अंक बोर्ड, विश्वविद्यालय या परीक्षा बोर्ड तय करता है और हर साल बदल सकता है।

कटऑफ़ समझना इसलिए जरूरी है क्योंकि इसी के आधार पर आप अपनी एडमिशन की रणनीति बना सकते हैं। यदि आप अपने लक्ष्य को सही ढंग से सेट कर लें तो समय और ऊर्जा दोनों बचते हैं। नीचे हम अलग‑अलग परीक्षाओं के कटऑफ़ कैसे तय होते हैं, और उन्हें समझने के आसान टिप्स बताने वाले हैं।

विभिन्न परीक्षा के कटऑफ़ कैसे तय होते हैं

हर परीक्षा का अपना मानदंड होता है। साल दर साल बोर्ड या संस्था पिछले वर्ष के प्रदर्शन, सीटों की संख्या और मार्किंग स्कीम को देख कर कटऑफ़ निर्धारित करती है। उदाहरण के तौर पर, महाराष्ट्र के FYJC (फर्स्ट ईयर जॉइनिंग क्लास) एडमिशन में मेरिट लिस्ट जारी होने के बाद मार्क्स का कटऑफ़ तय होता है। अगर इस साल 2.28 लाख छात्रों ने अप्लाय किया और 1.3 लाख को सीट मिली, तो कटऑफ़ उन छात्रों के अंक पर आधारित होगा जिन्होंने ऊपर की रैंक हासिल की।

इसी तरह, राष्ट्रीय स्तर की एंट्रेंस टेस्ट जैसे JEE Main, NEET या AIIMS का कटऑफ़ पिछले साल के अंक वितरण और कुल उपलब्ध सीटों पर निर्भर करता है। कुछ बार उच्च श्रेणी के कॉलेजों में कटऑफ़ बहुत ऊँचा हो जाता है, जबकि वही परीक्षा की निचली श्रेणियों में कटऑफ़ कम रहता है।

शहर‑स्तर के कॉलेज भी अपने स्वयं के कटऑफ़ सेट करते हैं, जो अक्सर स्थानीय बोर्ड के परिणामों पर आधारित होते हैं। इसलिए, अपना लक्ष्य तय करते समय आपको अपने बोर्ड या टेस्ट के अनुसार अलग‑अलग कटऑफ़ को देखना चाहिए।

कटऑफ़ को समझने के लिए आसान टिप्स

1. पिछले साल के डेटा देखें: अधिकांश संस्थान अपनी वेबसाइट या अकादमिक पोर्टल पर पिछले साल के कटऑफ़ प्रकाशित करते हैं। यह डेटा आपको अगले साल के संभावित कटऑफ़ का अंदाज़ा दे सकता है।

2. सेक्शनल मार्क्स पर ध्यान दें: कई परीक्षाओं में कुल अंक के साथ‑साथ सेक्शन (जैसे विज्ञान, गणित, भाषा) के कटऑफ़ भी होते हैं। यदि आपका एक सेक्शन बहुत अच्छा है, तो उसे मजबूत बनाकर कुल अंक बढ़ा सकते हैं।

3. सिमुलेशन टेस्ट दें: ऑनलाइन मॉक टेस्ट लेकर आप अपना अनुमान लगा सकते हैं कि वास्तविक परीक्षा में आपको कितने अंक मिलेंगे। इससे आप अपने लक्ष्य को रियल टाइम में एडजस्ट कर पाएँगे।

4. सीधे संस्थान से पूछें: अगर वेबसाइट पर कटऑफ़ नहीं मिलता, तो प्रवेश विभाग को कॉल या ई‑मेल करके पूछ सकते हैं। अक्सर वे आपको प्री-कटऑफ़ या अपेक्षित रेंज दे देते हैं।

5. दोस्तों और सीनियर्स की राय लें: जिन्होंने वही परीक्षा पास की है, उनके अनुभव से आप कटऑफ़ के ट्रेंड को समझ सकते हैं। वे आपको टेस्ट पैटर्न और तैयारी की दिशा दिखा सकते हैं।

इन टिप्स को अपनाकर आप अपने लक्ष्य को स्पष्ट कर सकते हैं और तैयारी में सही दिशा पा सकते हैं। याद रखें, कटऑफ़ सिर्फ एक संख्या है, परंतु सही रणनीति और मेहनत से आप उसे पार कर सकते हैं। अब जब आप कटऑफ़ के बारे में जान चुके हैं, तो अगले कदम की ओर बढ़ें – अपने स्कोर को बढ़ाने के लिए प्लान बनाएं, और अपना लक्ष्य हासिल करने की दिशा में आगे बढ़ें।

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