ट्रम्प प्रशासन ने 300 विदेशी छात्रों के वीज़ा रद्द किए, सोशल मीडिया जांच को किया कड़ा

ट्रम्प प्रशासन ने 300 विदेशी छात्रों के वीज़ा रद्द किए, सोशल मीडिया जांच को किया कड़ा

जब मारको रूबियो, राज्य सचिव ने 27 मार्च 2025 को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि संयुक्त राज्य विदेश विभाग ने लगभग 300 विदेशी छात्रों के वीज़ा रद्द कर दिए हैं, तो खबर ने अंतरराष्ट्रीय छात्र समुदाय में हड़कंप मचा दिया। यह कदम डोनाल्ड ट्रम्प के द्वारा 20 जनवरी 2025 को जारी किए गए एक्जीक्यूटिव ऑर्डर 14161‘Protecting the United States from Foreign Terrorists and Other National Security and Public Safety Threats’ के हिस्से के रूप में लागू किया गया है।

पृष्ठभूमि और नीति का परिचय

ट्रम्प प्रशासन ने छात्र वीज़ा पर प्रतिबंध को कड़ा करके उन व्यक्तियों को लक्षित किया है, जिनके सोशल मीडिया पोस्टों में शैक्षणिक संस्थानों या अमेरिका के प्रति ‘विरोधी’ विचार दिखते हैं। यह नीति अक्टूबर 7, 2023 से जारी सभी F, M, J वीज़ा धारकों पर retroactively लागू होती है। सरकार का तर्क है कि यह सुरक्षा को सुदृढ़ करने के लिए आवश्यक है, परन्तु कई विशेषज्ञ इसे संवैधानिक अधिकारों के उल्लंघन के रूप में देखते हैं।

वीज़ा रद्दीकरण के विवरण

रूबियो ने बताया कि रद्दीकरण में महामूद खलील जैसे छात्र-कार्यकर्ता को भी शामिल किया गया है, जो पहले से ही lawful permanent resident के रूप में रह रहे थे और अब अरस्टीट पर गिरफ्तार हो चुके हैं। रुमेयसा ओज़तुर्क, टुफ्ट्स विश्वविद्यालय की शोधकर्ता, को उनकी एक निबंध‑लेख के कारण शायद deportation का सामना करना पड़ेगा, जिसमें उन्होंने विश्वविद्यालय और इज़राइल दोनों की आलोचना की थी।

भारत से जुड़े मामलों में बादर सुरी और रंजना श्रीनिवासन के वीज़ा अचानक रद्द कर दिए गए, जिससे उनके पढ़ाई और रहने की स्थिति असुरक्षित हो गई।

सामाजिक मीडिया स्क्रीनिंग का नया नियम

नया निर्देश सभी F, M, J वीज़ा आवेदकों के सोशल मीडिया प्रोफ़ाइल, लाइक्स, शेयर और रीपोस्ट की जांच को अनिवार्य बनाता है। कांसुलर अधिकारी को हर संदिग्ध पोस्ट का स्क्रीनशॉट ले कर स्थायी रूप से फाइल में संलग्न करने को कहा गया है। इस प्रक्रिया में "समर्थन" या "सहज रुचि" जैसी शब्दावली भी पर्याप्त मानी जाएगी, इसलिए कई छात्रों को "समस्यात्मक" सामग्री के आधार पर वीज़ा नकार दिया जा सकता है।

कानूनी प्रतिक्रिया और अदालती फैसले

इमिग्रेशन व संवैधानिक कानून के विशेषज्ञों ने इस कार्रवाई को "due process" के बिना किया गया बताया है। कई प्रभावित छात्रों ने SEVIS (Student and Exchange Visitor Information System) समाप्ति के खिलाफ अदालत में केस दायर किया। उन्होंने तर्क दिया कि यह "Administrative Procedure Act" के तहत "arbitrary and capricious" है और पाँचवें संशोधन के Due Process Clause का उल्लंघन करता है।

कुछ मामलों में न्यायालय ने अस्थायी restraining orders जारी किए, जिससे सरकार को SEVIS रिकॉर्ड को पुनः सक्रिय करना पड़ा। ट्रम्प प्रशासन ने इन आदेशों का पालन कर SEVIS समाप्तियों को उलट दिया, परन्तु नए निर्देशों के तहत फिर से SEVIS को विविध कारणों से समाप्त करने की संभावना को खुला रखा। इस नई नीति के कार्यान्वयन की विस्तृत जानकारी 13 जून 2025 तक सार्वजनिक नहीं की गई है।

छात्रों और शिक्षाविदों पर असर

विज़ा रद्दीकरण का सीधा असर छात्रों के पढ़ाई, शोध और जीवनयापन पर पड़ता है। कई छात्रों ने बताया कि उनका अपार्टमेंट, बैंकों में मौजूदा खाते और स्वास्थ्य बीमा खतरे में है, क्योंकि वीज़ा रद्द होने से उनका कानूनी स्थिति "नॉन‑इमिग्रेंट" खोल जाता है। इसके अलावा, विश्वविद्यालयों को भी विदेशी छात्र वीज़ा प्रक्रिया को संभालने में अतिरिक्त बोझ उठाना पड़ रहा है।

एक सांख्यिकीय नजरिए से कहा जा सकता है कि इस नीति ने पिछले दो वर्षों में अंतरराष्ट्रीय छात्र प्रवेश में 12% की गिरावट लाई है, जिससे अमेरिकी शिक्षा उद्योग को लगभग $2.3 बिलियन का संभावित नुकसान हो सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम न केवल शैक्षणिक संस्थानों को बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा के व्यापक बहस को भी प्रभावित करेगा।

भविष्य में क्या हो सकता है?

नए सामाजिक‑मीडिया‑आधारित फ़िल्टर के साथ, छात्र वीज़ा प्रक्रिया में और अधिक जटिलता आने की संभावना है। यदि यह नीति न्यायालय में स्थायी रूप से बरकरार रहती है, तो छात्रों को वैकल्पिक वीज़ा श्रेणियों की तलाश करनी पड़ेगी या फिर अमेरिकी विश्वविद्यालयों से ऑनलाइन पढ़ाई की दिशा में झुकाव बढ़ेगा। वहीं, अंतरराष्ट्रीय संबंधों में तनाव बढ़ने से कभी‑कभी इन प्रतिबंधों को पुनः समीक्षा या समाप्ति भी देखी जा सकती है।

आम प्रश्न

यह नई वीज़ा नीति भारतीय छात्रों को कैसे प्रभावित करेगी?

भारत से आए बादर सुरी और रंजना श्रीनिवासन जैसे मामलों में देखा गया कि सोशल मीडिया पर ओवर‑फ्राइज़्ड पोस्टों के कारण वीज़ा रद्द हो गए। इससे कई छात्रों को पढ़ाई में खोला, रोजगार और आवास जैसी बुनियादी सुविधाओं से वंचित होना पड़ा। भविष्य में इसी तरह के अधिक मामलों की संभावना बनी हुई है।

क्या वीज़ा रद्द होने के बाद छात्र तुरंत देश छोड़ सकते हैं?

नहीं। वीज़ा रद्दीकरण खुद से एकत्रित रूप से अपवर्जन नहीं करता, लेकिन यह छात्रों को कानूनी खतरे में डाल देता है। कई मामलों में छात्र को SEVIS स्टेटस भी समाप्त कर दिया जाता है, जिससे उन्हें वैध स्थिति बनाए रखने के लिए अदालत में याचिका दायर करनी पड़ती है।

अदालती आदेशों ने ट्रम्प प्रशासन के कदमों को कैसे रोका?

अधिकारियों ने कहा कि SEVIS समाप्तियाँ "Administrative Procedure Act" के तहत अनिवार्य प्रबंध नहीं थीं। कई मामलों में अस्थायी restraining orders जारी हुईं, जिससे सरकार को रद्द किए गए SEVIS रिकॉर्ड को पुनः सक्रिय करना पड़ा। यह प्रवास नीति पर कानूनी नियंत्रण का एक महत्वपूर्ण उदाहरण है।

नया सोशल मीडिया स्क्रीनिंग किस हद तक व्यापक है?

कांसुलर अधिकारी अब सभी F, M, J वीज़ा आवेदन और उनके नवीनीकरण में पोस्ट, लाइक्स, शेयर और यहाँ तक कि "रीपोस्ट" भी देखेंगे। पोस्ट को कागज़ी प्रमाण के रूप में सुरक्षित किया जाएगा। इस प्रक्रिया में "समर्थन" या "सहज रुचि" जैसी अप्रत्यक्ष संकेतों को भी अयोग्यता का कारण माना जा सकता है।

क्या यह नीति अन्य देशों के छात्रों को भी प्रभावित करेगी?

हाँ। नीति का दायरा सभी अंतरराष्ट्रीय छात्रों तक फैला हुआ है, चाहे वह यूरोप, एशिया या अफ्रीका से हो। कई देशों के छात्र अब अपने सोशल मीडिया प्रोफ़ाइल को हटाने या निजी रखने की कोशिश कर रहे हैं, क्योंकि वे संभावित प्रतिबंध से बचना चाहते हैं।

18 टिप्पणि

  • Image placeholder

    Arjun Dode

    अक्तूबर 6, 2025 AT 00:45

    विदेशी छात्रों को अचानक वीज़ा रद्द होने से पढ़ाई में बड़ा बाधा आती है। सरकार की यह नीति सोशल मीडिया के हर एक लाइक पर नजर रखती है, जो बहुत ही अतरंगी है। अगर ऐसा जारी रहा तो कई वाले अपनी पढ़ाई छोड़कर वापस जाने के बारे में सोचेंगे।

  • Image placeholder

    Mayank Mishra

    अक्तूबर 6, 2025 AT 22:46

    न्याय के बिना ऐसी कार्रवाई तो बेतुकी है, यह तो बस डराना‑धमकाना है। प्रशासन को चाहिए कि वे स्पष्ट मानदंड स्थापित करें, न कि यह अंधाधुंध निरीक्षण।

  • Image placeholder

    santhosh san

    अक्तूबर 7, 2025 AT 22:23

    यह कदम छात्रों के अधिकारों की सीधी चेन उलट देता है।

  • Image placeholder

    tanay bole

    अक्तूबर 8, 2025 AT 22:00

    नयी नीति के तहत सभी वीज़ा आवेदकों के सोशल मीडिया प्रोफ़ाइल की जाँच अनिवार्य कर दी गई है, जिससे निजता का प्रश्न उठता है। इस प्रक्रिया में "समर्थन" या "सहज रुचि" जैसी अस्पष्ट शब्दावली भी कारण बन सकती है। विश्वविद्यालयों को अब अतिरिक्त दस्तावेज़ीकरण और समय निवेश करना पड़ेगा।

  • Image placeholder

    Rohit Bafna

    अक्तूबर 9, 2025 AT 21:36

    यहां दर्शाया गया डेटा स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि राष्ट्रीय सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए वैधानिक प्रक्रियाएं कैसे बदल रही हैं; यह नीति "वित्तीय प्रतिबंधित बुनियादी स्वतंत्रता" की अवधारणा पर आधारित है, जो अक्सर "प्रिफ़िट्यूस्ड फ्रीडम" के रूप में समझी जाती है।

  • Image placeholder

    vikas duhun

    अक्तूबर 10, 2025 AT 21:13

    नई वीज़ा नीति ने छात्रों के भविष्य को सीधे ही अनिश्चित बना दिया है।
    सोशल मीडिया स्क्रीनिंग के कारण हर पोस्ट, लाइक, और रीपोस्ट को जासूसी का हथियार समझा जा रहा है।
    से इससे न सिर्फ़ अकादमिक माहौल बिगड़ता है, बल्कि व्यक्तिगत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता भी धुंधली पड़ती है।
    कई छात्र अब अपने विचारों को परिहास जैसी चीज़ मानकर साझा नहीं करते।
    विश्वविद्यालयों को अब अतिरिक्त सुरक्षा टीमों को नियुक्त करना पड़ेगा, जिससे उनका बजट और भी घटेगा।
    इस प्रक्रिया में "समर्थन" या "सहज रुचि" जैसे सामान्य शब्द भी आपराधिक माना जा सकता है।
    छात्रों को अपनी प्रोफ़ाइल को प्राइवेट करने के लिए तकनीकी सहायता की आवश्यकता होगी, जो सबके पास नहीं है।
    कई दल ने दावा किया है कि यह नीति बिना किसी कानूनी समीक्षा के लागू की गई है।
    कोर्ट में दायर कई याचिकाओं ने अभी तक कोई ठोस राहत नहीं दी है।
    इस बीच कंसुलर अधिकारियों को हर पोस्ट का स्क्रीनशॉट लेकर फाइल में संलग्न करना अनिवार्य कर दिया गया है।
    यह प्रशासनिक बोझ और समय दोनों को बेतहाशा बढ़ा रहा है।
    छात्र अब इमिग्रेशन विभाग के प्रति निराशा और अविश्वास के साथ ही रह जाते हैं।
    यदि यह नियम स्थायी हो जाता है, तो विद्यार्थी ऑनलाइन शिक्षा की ओर झुकाव बढ़ा सकता है।
    अमेरिकी विश्वविद्यालयों को अब विदेशी छात्रों के प्रवासन को आकर्षित करने के लिए नई रणनीति बनानी पड़ेगी।
    अंत में, सुरक्षा के नाम पर व्यक्तिगत अधिकारों को मारना लोकतंत्र की नींव को कमजोर करता है।
    इसलिए, यह आवश्यक है कि समाज और नीति निर्माताओं के बीच एक खुली चर्चा हो, जिससे संतुलन स्थापित किया जा सके।

  • Image placeholder

    Simardeep Singh

    अक्तूबर 11, 2025 AT 20:50

    बिल्कुल, जब सरकार व्यक्तिगत अभिव्यक्ति को राष्ट्रीय सुरक्षा के लालच में बदल देती है, तो असली खतरों का पता नहीं चल पाता। हमें इस प्रक्रिया को पारदर्शी बनाना चाहिए, नहीं तो यह सिर्फ़ भय का नया रूप बन जाएगा।

  • Image placeholder

    Sudaman TM

    अक्तूबर 12, 2025 AT 20:26

    वाह! ये नीति तो पूरी तरह से डिस्टोपिया जैसा लग रहा है 😅। सरकार के पास हर क्लिक को ट्रैक करने की शक्ति है, लेकिन हमारे पास अपनी आवाज़ बचाने की कोई साधन नहीं।

  • Image placeholder

    Minal Chavan

    अक्तूबर 13, 2025 AT 20:03

    निश्चित रूप से, इस प्रकार की व्यापक निगरानी व्यक्तिगत स्वातंत्र्य के मूल सिद्धांतों के अनुरूप नहीं है और अंतरराष्ट्रीय मानकों के विरुद्ध है।

  • Image placeholder

    Rajesh Soni

    अक्तूबर 14, 2025 AT 19:40

    हाहाहा, अब तो वीज़ा रद्दीकरण का मतलब है "सिर्फ़ एक लाइक नहीं?" यह तो बिल्कुल ही असह्य हो गया।

  • Image placeholder

    Nanda Dyah

    अक्तूबर 15, 2025 AT 19:16

    वैकल्पिक रूप से, यदि इस नीति का पुनर्मूल्यांकन नहीं किया गया, तो यह न केवल शैक्षणिक संस्थानों के लिये बल्कि विश्व स्तर पर अमेरिकी प्रतिष्ठा के लिये भी हानिकारक सिद्ध होगा।

  • Image placeholder

    KABIR SETHI

    अक्तूबर 16, 2025 AT 18:53

    सॉफ़्टवेयर टूल्स का उपयोग करके प्रोफ़ाइल को निजी बनाना अब एक ज़रूरी कदम बन चुका है, और यह सभी छात्रों के लिये सुलभ होना चाहिए।

  • Image placeholder

    rudal rajbhar

    अक्तूबर 17, 2025 AT 18:30

    दर्शनशास्त्रीय दृष्टिकोण से देखें तो, सुरक्षा और स्वतंत्रता के बीच का संतुलन केवल नियमों से नहीं, बल्कि सामाजिक संवाद से स्थापित होता है; इसलिए इस नीति पर खुली बहस आवश्यक है।

  • Image placeholder

    Aryan Singh

    अक्तूबर 18, 2025 AT 18:06

    यदि आप वीज़ा रद्दीकरण से बचने के लिये अपनी सोशल मीडिया सेटिंग्स को सीमित करना चाहते हैं, तो दो-फ़ैक्टर ऑथेंटिकेशन और प्राइवेट अकाउंट मोड को एक्टिव करें, और अनजान पेजों को फ़ॉलो न करें। यह कदम तुरंत आपके जोखिम को कम कर सकता है।

  • Image placeholder

    Poorna Subramanian

    अक्तूबर 19, 2025 AT 17:43

    उपर्युक्त सुझावों को लागू करने से कानूनी जटिलताओं से बचा जा सकता है।

  • Image placeholder

    Soundarya Kumar

    अक्तूबर 20, 2025 AT 17:20

    मैंने सुना है कई दोस्त अब अपना फेज़बुक फ़्रेंड लिस्ट भी साफ़ कर रहे हैं, बस इसलिए कि वीज़ा के कारण अकादमिक नहीं, सिवाय सुरक्षा के मुद्दे।

  • Image placeholder

    Nathan Rodan

    अक्तूबर 21, 2025 AT 16:56

    यह स्थिति वास्तव में हमारे समाज में व्यक्तिगत डेटा की सुरक्षा और राष्ट्रीय सुरक्षा के बीच के ढीले पुल को उजागर करती है; इसलिए हमें न केवल तकनीकी बल्कि कानूनी रूप से भी इस विषय पर एक स्पष्ट दिशा-निर्देश बनाना चाहिए, जिससे सभी पक्षों को न्याय मिले और भविष्य में ऐसी असंगत नीतियों से बचा जा सके।

  • Image placeholder

    Chinmay Bhoot

    अक्तूबर 22, 2025 AT 16:33

    इन नियमों से छात्रों की दैनिक जिंदगी में बहुत हलचल आएगी।

एक टिप्पणी लिखें