तुलसी विवाह 2025: 2 नवंबर को ही करें ये पूजा, भद्रा काल और दुर्लभ योगों की वजह से देरी नहीं
तुलसी विवाह 2025 के लिए तिथि पर भ्रम फैल गया है। कुछ पंचांग 3 नवंबर को बता रहे हैं, तो कुछ 2 नवंबर। लेकिन ज्योतिषीय विश्लेषण और प्राचीन ग्रंथों के अनुसार, तुलसी विवाह 2 नवंबर को ही करना चाहिए। कारण? भद्रा काल का असर और दुर्लभ शुभ योगों का संयोग। ये दोनों बातें एक साथ आना बहुत कम होता है। इस बार वो एक अद्भुत मौका दे रहे हैं।
भद्रा काल क्यों बना बड़ी बाधा?
इस साल देवउठनी एकादशी 31 अक्टूबर की शाम 4:02 बजे से शुरू हुई और 1 नवंबर की रात 2:56 बजे तक रही। इसके बाद व्रत का पारण 2 नवंबर को होगा। लेकिन यही दिन, 1 नवंबर को दोपहर 3:30 बजे से रात 2:26 बजे तक भद्रा काल रहेगा। भृगु संहिता के अनुसार, इस समय किसी भी मांगलिक कार्य — शादी, विवाह, गृहप्रवेश — करना अशुभ माना जाता है। उज्जैन के ज्योतिषी पं. वेदमूर्ति शास्त्री कहते हैं, "भद्रा काल में देवी-देवताओं का विश्राम माना जाता है। इस दौरान कोई भी शुभ कार्य असफल होने की संभावना रखता है।" इसलिए, तुलसी-शालिग्राम विवाह को 1 नवंबर की संध्या में करना गलत होगा।
2 नवंबर का विशेष जादू: त्रिपुष्कर और सर्वार्थ सिद्धि
2 नवंबर को तुलसी विवाह का शुभ मुहूर्त दो अद्भुत योगों के साथ आ रहा है। द्रिक पंचांग के अनुसार, दोपहर 1 बजे से रात 10:33 बजे तक त्रिपुष्कर योग रहेगा। यह योग बहुत दुर्लभ है — इसका आगमन एक साल में केवल 2-3 बार होता है। इसके तुरंत बाद, रात 10:34 बजे से अगले दिन सुबह 5:34 बजे तक सर्वार्थ सिद्धि योग चलेगा। यह योग आध्यात्मिक सिद्धि, समृद्धि और विवाह में शुभता के लिए सबसे शक्तिशाली माना जाता है। इन दोनों योगों का लगातार जुड़ना दुर्लभ है। इसलिए जो लोग इस दिन तुलसी विवाह करेंगे, उनके लिए यह एक अनूठा अवसर है।
अविवाहित लोगों के लिए विशेष उपाय
उज्जैन के आचार्य आनंद भारद्वाज बताते हैं कि तुलसी विवाह का दिन अविवाहित युवाओं के लिए विवाह की बाधाओं को दूर करने का सबसे शक्तिशाली अवसर है। उनके अनुसार, इस दिन तुलसी के चारों ओर लाल रंग का चूना लगाकर, उसके नीचे एक छोटा सा शालिग्राम रखकर और उस पर गुलाब जल चढ़ाकर देवी लक्ष्मी को ध्यान देकर नमस्कार करना चाहिए। "इस दिन जो व्यक्ति सच्चे मन से विवाह की कामना करता है, उसकी कामना जरूर पूरी होती है," वे कहते हैं। कुछ लोग इस दिन तुलसी के पास गुड़ और दूध का अर्घ्य भी देते हैं, जिससे माना जाता है कि भविष्य में सुख और समृद्धि आती है।
पूजा का विधिवत तरीका
तुलसी विवाह के लिए एक छोटा सा विधि-विधान है। तुलसी के पौधे को नए कपड़े से ढक दें, उसके शीर्ष पर लाल सूत बांधें। शालिग्राम को एक छोटे से सोने या चांदी के बर्तन में रखें, उस पर जल और फूल चढ़ाएं। दोनों के बीच एक छोटा लाल कपड़ा बांध दें — यही विवाह का प्रतीक है। विष्णु सूक्ति पढ़ें और लक्ष्मी जी का ध्यान करें। यह पूजा दोपहर 1 बजे के बाद से शुरू करनी चाहिए, ताकि त्रिपुष्कर योग का लाभ मिल सके। रात को एक दीपक जलाएं और तुलसी को गुड़ के पानी से सींचें।
इतिहास और विश्वास
तुलसी विवाह का उल्लेख विष्णु पुराण और ब्रह्मांड पुराण में मिलता है। मान्यता है कि तुलसी, जो एक देवी थीं, ने भगवान विष्णु से विवाह की कामना की थी। जब विष्णु ने अपने रूप में शालिग्राम को धारण किया, तो उनका विवाह हुआ। यह अनुष्ठान चातुर्मास के अंत का प्रतीक है — जब भगवान विष्णु योग निद्रा से जागते हैं। इस दिन का महत्व इतना है कि लोग इसे अपनी शादी की शुरुआत का अवसर मानते हैं। कुछ गांवों में तो इस दिन अविवाहित लड़कियों के लिए छोटे-छोटे विवाह के नाटक भी होते हैं।
अगले कदम: यह पर्व आपके जीवन को कैसे बदल सकता है?
यह सिर्फ एक पूजा नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक रिसेट है। जब आप तुलसी विवाह करते हैं, तो आप अपने जीवन में नियमितता, शुद्धता और भक्ति की ओर लौट रहे होते हैं। विवाह की बाधाएं जो दशकों से चल रही हैं — शायद वे भी इस दिन खत्म हो सकती हैं। यह विश्वास सिर्फ अंधविश्वास नहीं, बल्कि सदियों से चले आ रहे एक ज्ञान का हिस्सा है। अगर आप इस दिन अपने घर में एक छोटा सा अनुष्ठान करते हैं, तो आप अपने घर को शुभता से भर रहे हैं। और शुभता कभी बेकार नहीं जाती।
Frequently Asked Questions
तुलसी विवाह 2025 कब होगा और क्यों 2 नवंबर को ही करना चाहिए?
तुलसी विवाह 2 नवंबर को होगा, क्योंकि इस दिन कार्तिक शुक्ल द्वादशी का शुभ मुहूर्त रहेगा। 1 नवंबर को भद्रा काल रहने के कारण मांगलिक कार्य अशुभ माने जाते हैं। इसके अलावा, 2 नवंबर को त्रिपुष्कर और सर्वार्थ सिद्धि योग जैसे दुर्लभ शुभ योग बन रहे हैं, जो विवाह की शुभता को बढ़ाते हैं।
अविवाहित लोग तुलसी विवाह पर क्या उपाय करें?
अविवाहित लोग तुलसी के पास लाल रंग का चूना लगाकर, उसके नीचे शालिग्राम रखें और गुलाब जल चढ़ाएं। एक छोटा लाल कपड़ा दोनों के बीच बांधें। इस दिन देवी लक्ष्मी को ध्यान देकर विवाह की कामना करें। कुछ लोग गुड़ और दूध का अर्घ्य भी देते हैं। यह उपाय शुभ विवाह के योग बनाने में मदद करता है।
भद्रा काल क्या होता है और इसे कैसे पहचानें?
भद्रा काल एक अशुभ समय है जब देवी-देवताओं का विश्राम माना जाता है। इस समय शादी, गृहप्रवेश या विवाह जैसे मांगलिक कार्य नहीं किए जाते। इस वर्ष यह 1 नवंबर को दोपहर 3:30 बजे से रात 2:26 बजे तक रहेगा। पंचांग या ज्योतिषी की सलाह से इसकी तारीख और समय पता किया जा सकता है।
त्रिपुष्कर और सर्वार्थ सिद्धि योग क्यों इतने खास हैं?
त्रिपुष्कर योग धन, समृद्धि और आध्यात्मिक उन्नति का प्रतीक है, जबकि सर्वार्थ सिद्धि योग किसी भी काम को पूर्णता तक पहुंचाने के लिए सबसे शक्तिशाली माना जाता है। इन दोनों योगों का एक साथ आना एक साल में केवल 1-2 बार होता है। इस बार वे लगातार जुड़ रहे हैं — जो अत्यंत दुर्लभ है।
क्या घर पर भी तुलसी विवाह कर सकते हैं?
हां, बिल्कुल। घर पर भी तुलसी विवाह करना पूरी तरह से वैध है। बस तुलसी के पौधे को साफ करें, उस पर लाल रंग का कपड़ा डालें, शालिग्राम के साथ एक छोटा विवाह सजाएं और दीपक जलाएं। अर्घ्य और जल चढ़ाएं। भावना और श्रद्धा ही सबसे जरूरी है — समारोह का आयोजन नहीं।
तुलसी विवाह का इतिहास क्या है?
विष्णु पुराण के अनुसार, तुलसी एक देवी थीं जिन्होंने भगवान विष्णु से विवाह की कामना की। जब विष्णु ने शालिग्राम के रूप में अवतार लिया, तो उनका विवाह हुआ। यह अनुष्ठान चातुर्मास के अंत का प्रतीक है — जब विष्णु योग निद्रा से जागते हैं। इसलिए इसे देवउठनी एकादशी के अगले दिन मनाया जाता है।