उत्तर प्रदेश: फर्जी मार्कशीट से नौकरी पाने वाले सिपाही की 14 साल बाद सेवा से बर्खास्तगी

अमरोहा के सिपाही की नौकरी पर पड़ा फर्जीवाड़े का दाग
उत्तर प्रदेश पुलिस में सिपाही अखिलेश कुमार की नौकरी का अंत ठीक वैसा ही हुआ, जैसा फिल्मी कहानियों में अक्सर देखा जाता है। अमरोहा में तैनात अखिलेश ने 14 साल पहले फर्जी मार्कशीट के सहारे पुलिस सेवा में एंट्री पाई थी। लेकिन उसकी यह चालाकी आखिरकार उसी के अपने परिवार के हाथों उजागर हो गई।
जिस चाचा ने कभी फर्जी कागजात बनवाने में उसका साथ दिया था, उसी ने सालों बाद पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। वजह—दोनों के बीच पारिवारिक झगड़ा और आपसी मतभेद। इसी विवाद ने अखिलेश की 14 साल पुरानी साजिश का पर्दाफाश कर दिया।
फर्जी मार्कशीट, फॉरेंसिक जांच और नौकरी से बर्खास्तगी
शिकायत मिलते ही अमरोहा के अपर पुलिस अधीक्षक ने विभागीय जांच शुरू कराई। यह मामला केवल गपशप या अनुमान का नहीं था—फॉरेंसिक जांच के लिए कागज भेजे गए। रिपोर्ट ने साफ किया कि अखिलेश ने फर्जी मार्कशीट के सहारे नौकरी पाई थी। उसने ज्योति इंटर कॉलेज के असली डॉक्यूमेंट स्कैन कर, उनमें नाम, रोल नंबर और अंक जैसे अहम डिटेल्स बदल दिए थे। यूपी बोर्ड के रिकॉर्ड से तुलना होते ही फिट mismatch पकड़ा गया।
पुलिस प्रशासन ने कार्रवाई में कोई देरी नहीं की। विभागीय जांच पूरी होते ही अखिलेश की सेवा खत्म कर दी गई। इस प्रक्रिया में पुलिस ने भर्ती घोटाले के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई, ताकि विभाग की छवि पर कोई दाग न लगे।
- शिकायतकर्ता भी आरोपी: अखिलेश के चाचा के खिलाफ भी फर्जीवाड़े के केस में कानूनी कार्रवाई शुरू की गई है।
- अगला कदम: दोनों की गिरफ्तारी की संभावना जताई गई है, केस में जैसे-जैसे साक्ष्य और मिलेंगे क्राइम ब्रांच आगे बढ़ेगी।
ऐसे घटनाक्रम पुलिस विभाग के लिए सबक हैं कि भर्ती प्रक्रिया का हर पायदान ठीक से परखा जाए। यूपी पुलिस में इस तरह की फर्जीवाड़ा जांच के बाद अब अधिकारियों का फोकस दस्तावेजों की जांच को लेकर और ज्यादा सख्त हो गया है। हर भर्ती में अब दस्तावेजों की फॉरेंसिक जांच तेज करने की तैयारी है, ताकि भविष्य में ऐसे घोटाले न दोहराए जा सकें।
अखिलेश और उसके चाचा की कहानी कई सवाल छोड़ गई है—कितने लोग सालों से फर्जी डॉक्यूमेंट के जरिए सरकारी नौकरियों में आ गए हैं? क्या परिवार और रिश्तों की गांठें हमेशा भरोसेमंद होती हैं? अमरोहा की ये खबर प्रशासनिक सतर्कता और पारिवारिक जटिलताओं का खास उदाहरण बन गई है।