वैशाली एक्सप्रेस का सुपरफ़ास्ट दर्जा हटाया, किराए में 75 रुपए तक की छूट

वैशाली एक्सप्रेस का सुपरफ़ास्ट दर्जा हटाया, किराए में 75 रुपए तक की छूट अक्तू॰, 14 2025

जब भारतीय रेलवे ने 7 दिसंबर 2023 से वैशाली एक्सप्रेस का सुपरफ़ास्ट दर्जा हटाने का फैसला किया, तो लाखों यात्रियों को तुरंत किराए में मिलती‑जुलती राहत मिली। इस कदम से सुपौल‑नई दिल्ली मार्ग पर स्लीपर, एसी‑2‑तीन और फर्स्ट‑एसी क्लास के किराए क्रमशः 30, 45 और 75 रुपये तक कम हो गए।

सुपरफ़ास्ट दर्जा हटने का पृष्ठभूमि

भारतीय रेलवे की योजना के अनुसार, सुपौल (बिहार) से शुरू होकर नई दिल्ली तक चलने वाली इस ट्रेन को 52 वर्षों से लोगों की पसंदीदा माना जाता रहा है। पहले इसे सुपरफ़ास्ट और प्रीमियम रेल सेवा माना जाता था, जिससे अतिरिक्त सुपरफ़ास्ट शुल्क लगता था। लेकिन 2023‑2024 वित्तीय वर्ष के बजट में आय को अधिकतम करने के लिए रेलवे ने इस शुल्क को हटाने का निर्णय लिया।

परिवर्तन का आधिकारिक कारण था ‘ग्राहक‑उन्मुखता’ और ‘समान fare‑structure’ बनाना। कई विशेषज्ञों ने कहा कि इस तरह के कदम से भारतीय रेल की छवि में सुधार होगा, खासकर छोटे योगदानकर्ता वर्ग के यात्रियों के बीच।

टिकट कीमत में नई कमी के आंकड़े

नए किराए के विवरण कुछ इस प्रकार हैं:

  • फर्स्ट‑एसी: पहले 5,430 रुपए → अब 5,355 रुपए (75 रुपए की कमी)
  • एसी‑2‑तीन: पहले 2,040 रुपए → अब 1,995 रुपए (45 रुपए की कमी)
  • एसी‑थ्री: पहले 1,440 रुपए → अब 1,395 रुपए (45 रुपए की कमी)
  • स्लीपर: पहले 550 रुपए → अब 520 रुपए (30 रुपए की कमी)

अगर हम इसे मुंबई‑दिल्ली के एक समान दूरी के ट्रेन फेयर से तुलना करें, तो यह कटौती लगभग 1‑2 % की बचत जैसा है – छोटा लेकिन यात्रियों की जेब पर असर डालता है।

एक नियमित यात्री, रमेश कुमार (सहरसा, बिहार) ने बताया, “मैं हर हफ्ते इस ट्रेन से दिल्ली जाता हूँ, अब 30‑45 रुपए की बचत मेरे लिए बड़ा सौदा सी लगता है।”

ट्रेन नंबर बदलाव और बुकिंग प्रक्रिया

साथ ही, IRCTC ने बुकिंग पोर्टल पर ट्रेन नंबर 12553/12554 को 15565/15566 में बदल दिया। यह बदलाव 7 दिसंबर 2023 से प्रभावी है।

विवरण के अनुसार, 6 दिसंबर 2023 तक बुकिंग 12553/12554 के तहत ही की जा सकेगी, जबकि 7 दिसंबर के बाद सभी आरक्षण 15565/15566 के तहत संभव होंगे। कई यात्रियों ने पहले से ही अगले दो महीनों के टिकट सस्ते किराए पर बुक कर लिए हैं, जिससे प्लेटफ़ॉर्म पर ट्रैफ़िक अचानक बढ़ गया।

संक्षेप में, नया प्रोसेस इस प्रकार है:

  1. IRCTC वेबसाइट या ऐप पर लॉग‑इन करें।
  2. ‘ट्रेन खोजें’ में नई ट्रेन संख्या 15565/15566 लिखें।
  3. इच्छित क्लास और तिथि चुनें, फिर भुगतान करें।

सिर्फ़ नंबर बदलने से बुकिंग प्रणाली में कोई तकनीकी गड़बड़ी नहीं हुई, यह एक सुगम संक्रमण रहा।

यात्रियों व रेलवे की प्रतिक्रियाएँ

यात्रियों व रेलवे की प्रतिक्रियाएँ

प्रभावित क्षेत्रों में कई लोकल नेता और यात्रियों के समूह ने इस कदम का स्वागत किया। बिहार के सांसद सुब्रमण्यम सिंह ने कहा, “हमारी रीढ़ की हड्डी यही ट्रेन है, किराया घटाना सामाजिक न्याय की दिशा में एक सही कदम है।”

वहीं, कुछ वरिष्ठ रेल कर्मचारी चिंतित हैं कि सुपरफ़ास्ट शुल्क के बिना ट्रेन की समय‑स्मरणीयता पर असर पड़ सकता है। उन्होंने उल्लेख किया कि अब से ट्रेन को “एक्सप्रेस” श्रेणी में वर्गीकृत किया जाएगा, जिससे कुछ लोकल डिस्पैचर की प्राथमिकता में परिवर्तन आ सकता है।

भविष्य में संभावित प्रभाव और चर्चा

विशेषज्ञ मानते हैं कि इस तरह की कीमत‑कम करने की नीति अन्य प्रमुख रूट्स में भी दोहराई जा सकती है, खासकर उन रूट्स पर जहाँ यात्रियों की संख्या अधिक है। यदि रेलवे की आय में सुधार नहीं होता, तो वह अन्य राजस्व‑स्रोतों, जैसे एचएफएस (हाई‑डॉर्मिट्री फ्रेट सर्विस) या विज्ञापन, पर अधिक निर्भर हो सकता है।

कच्ची विनिर्माण यात्रा के बाद, एक और रोचक पहलू यह है कि क्या सुपरफ़ास्ट शुल्क हटाने से ट्रेन की औसत गति या समय‑सेवा पर कोई असर पड़ेगा। अब तक कोई आधिकारिक आंकड़ा नहीं आया है, पर यात्रियों के बीच एक साजिश की तरह चल रहा है कि “समय‑स्मरणीयता की कीमत अब फीक़े‑फीक़े हैं”।

समग्र रूप से, यह परिवर्तन न केवल खर्च‑बचत का कारण बन रहा है, बल्कि भारतीय रेलवे की ग्राहक‑उन्मुख नीति की दिशा में एक संकेतक भी है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

क्या वैशाली एक्सप्रेस के सुपरफ़ास्ट शुल्क हटने से यात्रा का समय बदलेगा?

अभी तक रेलवे ने कोई औपचारिक घोषणा नहीं की है, लेकिन अधिकांश विशेषज्ञ मानते हैं कि ट्रेन की औसत गति वही रहेगी। समय‑पालन को प्राथमिकता देने की प्रतिबद्धता पहले से ही मौजुद है, इसलिए यात्रियों को बड़े अंतर की आशंका नहीं है।

ट्रेन नंबर बदलने से आरक्षण प्रक्रिया में कोई कठिनाई होगी क्या?

नहीं। IRCTC ने सभी ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म पर नई ट्रेन संख्या 15565/15566 को एकीकृत कर दिया है। पुराने टिकट धारकों को केवल यह याद रखना है कि 7 दिसंबर के बाद नई संख्या उपयोग करनी है।

कौन‑सी क्लास में सबसे अधिक किराया घटा?

फर्स्ट‑एसी में सबसे अधिक कटौती 75 रुपए की हुई, जबकि स्लीपर क्लास में 30 रुपए की कमी आई। एसी‑2‑तीन और एसी‑थ्री क्लास में 45 रुपए की समान कटौती लागू की गई।

क्या इस बदलाव का असर बिहार के बाहर के यात्रियों पर भी पड़ेगा?

हां, क्योंकि ट्रेन उत्तर प्रदेश, दिल्ली और हरियाणा के कई प्रमुख स्टेशनों को भी पार करती है। इस कारण राष्ट्रीय स्तर पर कार्बन फुटप्रिंट और यात्रियों की लागत दोनों पर सकारात्मक प्रभाव दिखता है।

भविष्य में भारतीय रेलवे कोई और फ़ीस हटाने की योजना बना रहा है?

वित्तीय वर्ष 2024‑25 के बजट में कुछ रूट्स पर ‘डायरेक्ट‑टू‑डेस्टिनेशन’ शुल्क को कम करने की संभावना चर्चा में आई है, पर अभी तक कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है।

1 Comment

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    Rajesh kumar

    अक्तूबर 14, 2025 AT 16:53

    वैशाली एक्सप्रेस का सुपरफ़ास्ट शुल्क हटाना न केवल आर्थिक राहत है बल्कि यह भारतीय राष्ट्रीयता की एक अभिव्यक्ति है। इस कदम से मध्यम वर्ग के भारतीय नागरिकों को प्रत्यक्ष लाभ मिलता है, जो हमारे राष्ट्र की आत्मनिर्भरता को सुदृढ़ करता है। समय‑स्मरणीयता के बारे में कईँ अफवाहें फैली हुई हैं, परंतु वास्तविकता यह है कि रेलवे ने अपने बुनियादी ढाँचे को सुदृढ़ किया है। यह कटौती कई सालों के विचार‑विमर्श के बाद आया है, जिससे जनता का विश्वास बढ़ता है। आर्थिक दबाव को कम करने के साथ‑साथ, यह कदम मूल्य‑नियंत्रण के सिद्धांत को भी उजागर करता है। भारत की रेल प्रणाली को अक्सर विदेशी मॉडल की तुलना में कम आँका जाता है, पर यह निर्णय दिखाता है कि हम अपने संसाधनों का अधिकतम उपयोग कर सकते हैं। इसके अलावा, टिकट की कीमत घटाने से सामाजिक समानता को प्रोत्साहन मिलता है, जिससे शहर‑गाँव की दूरी को केवल आर्थिक बाधा नहीं रह जाता। अब यात्रियों को वही सुविधा मिलती है, लेकिन कम खर्च पर, जो कि राष्ट्रीय आर्थिक स्थिरता के लिए लाभदायक है। कई विशेषज्ञों ने पहले बात की थी कि इस तरह के सुधार से राजस्व में गिरावट आ सकती है, परंतु अतिरिक्त आय के स्रोत, जैसे कि विज्ञापन और हाई‑फ़्रिक्वेन्सी शिपिंग, इन नुकसानों को पूर्ति करेंगे। भारतीय रेलवे की यह नीति आगे भी कई प्रमुख रूट्स पर लागू हो सकती है, जिससे राष्ट्र‑व्यापी लाभ की संभावना बनेगी। यह बदलते समय में हमारे राष्ट्र की प्रगति का एक प्रतीक है, और इसे सराहना चाहिए। इस निर्णय ने कई स्थानीय नेता और आम जनता दोनों को एकजुट किया है, जो दिखाता है कि सामूहिक हित हमेशा सर्वोपरि होता है। भविष्य में, यदि हम इस दिशा में और कदम बढ़ाएँ, तो हमारे देश की बुनियादी सुविधाएँ और अधिक सशक्त होंगी। अतः, यह परिवर्तन केवल एक मूल्य कटौती नहीं, बल्कि भारतीय आत्मा की शक्ति का प्रमाण है। इस प्रकार, रेल के इस कदम को राष्ट्रीय गौरव के रूप में मनाना चाहिए, जिससे सभी वर्गों के लोग लाभान्वित हों।

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