बकरीद 2024: इस दिन क्यों दी जाती है पशु बलि?
जून, 16 2024ईद अल-अधा का महत्व और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
ईद अल-अधा, जिसे बकरीद के नाम से भी जाना जाता है, इस्लामिक कैलेंडर का एक महत्वपूर्ण पर्व है। यह त्यौहार इस्लामिक दुनिया में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है और इसका महत्व पैगंबर इब्राहीम की उस कहानी में छिपा है जब उन्होंने अल्लाह के आदेश पर अपने बेटे इस्माइल की बलि देने की तैयारी की थी। इस्माइल की बलि उनके अड़िग विश्वास और अल्लाह के प्रति उनके समर्पण का प्रतीक है।
यह बलिदान की परंपरा पैगंबर मुहम्मद से सैकड़ों साल पहले की है। धार्मिक विद्वान मौलाना मोहम्मद अरिफ के अनुसार, पहली बलि आदम के समय में हुई थी, जो पैगंबर मुहम्मद से लगभग 2500 साल पहले जीते थे। आदम के दोनों पुत्र, काबिल और हाबिल, ने एक ही स्त्री से विवाह करने के लिए बलि दी थी। काबिल, जो एक कृषक था, ने अपनी फसल से बलि दी, लेकिन उसकी बलि अस्वीकार कर दी गई, जिससे उसने अपने भाई हाबिल की हत्या कर दी।
बलि का महत्व
ईद अल-अधा में बलि का उद्देश्य केवल पशु का बलिदान देना नहीं है, बल्कि उसके पीछे की नीयत और प्रेरणा है। कुरान में यह स्पष्ट रूप से कहा गया है कि बलि का असली महत्व बलिदान की क्रिया में नहीं, बल्कि इसके पीछे की धर्मपरायणता और इरादा में है। इस प्रकार, बलिदान का मुख्य उद्देश्य अल्लाह के प्रति अपनी निष्ठा और समर्पण को प्रदर्शित करना है।
हज यात्रा और ईद अल-अधा
ईद अल-अधा के समय पर हज की यात्रा भी विशेष महत्व रखती है। प्रत्येक साल, लाखों मुसलमान मक्का और मदीना की पवित्र नगरों में हज के लिए जुटते हैं। हज ईद अल-अधा से ठीक पहले संपन्न होता है और मुसलमानों के लिए जीवन में एक बार अनिवार्य तीर्थयात्रा है। इस साल, हज यात्रियों के लिए शनिवार का दिन विशेष था, जब वे इन पवित्र स्थलों पर इकट्ठा होकर अपने धर्म के प्रति अपनी श्रद्धा और आस्था का प्रदर्शन करते हैं।
बकरीद की प्रथाएँ
ईद अल-अधा का मुख्य आकर्षण पशु बलि की परंपरा है। आमतौर पर एक बकरी, भेड़, गाय या ऊँट की बलि दी जाती है, जिसे 'कुर्बानी' कहते हैं। बलि का मांस तीन भागों में बाँटा जाता है: एक हिस्सा परिवार के लिए, दूसरा हिस्सा मित्रों और पड़ोसियों के लिए, और तीसरा हिस्सा गरीबों और जरूरतमंदों के लिए। इस प्रकार, यह त्योहार सहयोग, समानता और सामाजिक न्याय का सन्देश देता है।
विशेष प्रसंग: देवबंदी के बाजार में अद्वितीय बकरी
हर साल, बलि के जानवरों का बाजार विशेष आकर्षण का केंद्र बनता है। इस वर्ष मुम्बई के देओनार कसाईखाने में एक विशेष बकरी देखी गई, जिसके शरीर पर 'अल्लाह' और 'पैगंबर मुहम्मद' के उल्लेख का चिन्ह था। इस अद्वितीय बकरी की कीमत यहाँ 51 लाख रुपये लगाई गई, जो इसकी धार्मिक महत्ता और अनोखेपन को दर्शाते हैं।
अंततः, ईद अल-अधा का उद्देश्य धार्मिक विश्वास को मजबूत करना और समाज में समानता और भाईचारे को प्रोत्साहित करना है। यह त्योहार हमें याद दिलाता है कि असली बलि हमारे आंतरिक विश्वास और हमारे कृत्यों की शुद्धता में निहित है।