कोलकाता डॉक्टर बलात्कार-मर्डर केस: संजय रॉय के अश्लील क्लिप्स, चार विवाह और आपराधिक इतिहास का खुलासा
अग॰, 12 2024कोलकाता डॉक्टर बलात्कार-मर्डर केस में संजय रॉय का काला सच
कोलकाता पुलिस के नागरिक स्वयंसेवक संजय रॉय की गिरफ्तारी ने आरजी कर मेडिकल कॉलेज और हॉस्पिटल में 31 वर्षीय पीजी प्रशिक्षु डॉक्टर के बलात्कार और हत्या के मामले में उसकी संलिप्तता का चौंकाने वाला खुलासा किया है। संजय रॉय जिसकी चार शादियाँ असफल हो चुकी हैं और जिसने लगातार महिलाओं के साथ अशोभनीय हरकतें की हैं, को पुलिस ने अश्लील क्लिप्स के साथ गिरफ्तार किया है।
अपराध की रात का काला सच
घटना की रात संजय रॉय ने अपने फोन में पोर्नोग्राफिक क्लिप्स देखे थे। उस दिन, अस्पताल के विभागों में उसकी स्वतंत्र पहुँच ने उसे अपराध करने में मदद की। सुबह के लगभग चार बजे, रॉय ने अस्पताल के सेमिनार हॉल में प्रवेश किया जहां उसने इस घृणित अपराध को अंजाम दिया।
घटना का खुलासा और प्रारम्भिक जांच
शुरुआती जांच से पता चला कि संजय रॉय ने अपराध करने से पहले शराब का सेवन किया था। उसने बाद में सबूत मिटाने का प्रयास किया और अपने कपड़े धो डाले। पीड़िता के शरीर पर कई चोटों के निशान थे जो कि यौन उत्पीड़न और हत्या की पुष्टि करते हैं।
संजय रॉय का काला इतिहास
रॉय की शादी चार बार हो चुकी थी, लेकिन सभी विवाह असफल रहे। उसका महिलाओं के साथ गलत बर्ताव करने की आदत एक बड़ा मुद्दा थी, और उसने कई बार विभिन्न महिलाओं के साथ अनुचित व्यवहार किया था। इसके अलावा, वह अस्पताल में भर्ती कराने और बेड दिलाने के लिए मरीजों के रिश्तेदारों से पैसे भी वसूलता था। रॉय अक्सर खुद को पुलिस अधिकारी बताकर लोगों को धोखा देता था।
आरोपों के तहत मुकदमा
पुलिस ने संजय रॉय के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 375 और 302 के तहत बलात्कार और हत्या के मामले दर्ज किए हैं। उसकी बेलगाम पहुँच ने उसे इस अपराध को करने में सक्षम बनाया। उसकी गिरफ्तारी से उसके कई अपराधों का पर्दाफाश हुआ है, जो कि कानून व्यवस्था और सामाजिक सुरक्षा के लिए एक बड़े खतरे के संकेत हैं।
समाज और कानून व्यवस्था की चुनौतियाँ
इस घटना ने समाज में कानून और व्यवस्था के सामने आने वाली चुनौतियों को उजागर किया है। संजय रॉय जैसे अपराधियों का खुलासा करना और उन पर सख्त कार्रवाई करना आज की सामाजिक सुरक्षा के लिए अनिवार्य हो गया है। ऐसी घटनाओं से समाज को सतर्क और सजग रहना होगा ताकि भविष्य में ऐसी दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं को रोका जा सके।
इस मामले से यह भी स्पष्ट होता है कि हमें अपनी सामाजिक और न्यायिक व्यवस्था को और मजबूत करने की आवश्यकता है। यह घटना उन सभी अधिकारियों, डॉक्टरों और सरकारी कर्मचारियों के लिए एक सबक है जो अपनी जिम्मेदारियों का सही तरीके से निर्वहन नहीं कर रहे हैं।
इस घृणित अपराध ने कोलकाता पुलिस और अस्पताल प्रशासन को भी गंभीर सवालों के घेरे में ला खड़ा किया है। अब देखना यह होगा कि इस मामले में न्याय कैसे मिलता है और समाज किस दिशा में आगे बढ़ता है।