पेरिस ओलंपिक 2024 में भारत का शानदार प्रदर्शन: 6 पदक के साथ, 7वां पदक विनेश फोगाट के फैसले पर निर्भर

पेरिस ओलंपिक 2024 में भारत का शानदार प्रदर्शन: 6 पदक के साथ, 7वां पदक विनेश फोगाट के फैसले पर निर्भर

भारत का पेरिस ओलंपिक 2024 में शानदान प्रदर्शन

पेरिस ओलंपिक 2024 में भारतीय दल ने एक शानदार प्रदर्शन करते हुए 6 पदक हासिल किए हैं। हालाँकि, 7वें पदक की उम्मीदें अब विनेश फोगाट के कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन फॉर स्पोर्ट्स (CAS) में जारी याचिका पर निर्भर हैं। विनेश फोगाट, जो कि भारतीय कुश्ती का जाना-माना नाम है, 50 किलोग्राम महिला कुश्ती फाइनल में 100 ग्राम अधिक वजन के कारण अयोग्य घोषित कर दी गईं थीं।

फोगाट की लड़ाई और अपील

विनेश फोगाट ने इस फैसले के खिलाफ CAS में अपील दायर की है। उनकी मांग है कि उन्हें एक साझा रजत पदक दिया जाए क्योंकि उनका वजन का मामूली अंतर कोई प्रतियोगी लाभ नहीं देता है। इस अपील में उनका साथ भारतीय ओलंपिक संघ (IOA) भी दे रहा है। IOA ने फोगाट की अयोग्यता को असंगत बताया है और इसके खिलाफ जोरदार आवाज उठाई है। IOA की अध्यक्ष पी.टी. उषा ने कहा है कि विनेश फोगाट का अब तक का करियर एक उदाहरण है और हमें उन्हें न्याय दिलाने के लिए पूरी तरह से समर्थन करना चाहिए।

टेंडुलकर और अन्य का समर्थन

टेंडुलकर और अन्य का समर्थन

विनेश फोगाट के समर्थन में क्रिकेट के महानायक सचिन तेंदुलकर भी उतरे हैं। उन्होंने कहा है कि फोगाट ने पूरे मुकाबले में निष्पक्ष जीत हासिल की थी और उन्हें रजत पदक मिलना चाहिए। फोगाट की कानूनी टीम का कहना है कि मुकाबला स्थल और एथलीट विलेज के बीच की दूरी व तंग समय-सारिणी उनके वजन समस्या का कारण बनी, न कि कोई प्रतियोगी लाभ।

फैसला और भविष्य

CAS का निर्णय रविवार को ओलंपिक समापन से पहले आने की उम्मीद है, और यह फैसला न केवल फोगाट के करियर पर बल्कि अंतर्राष्ट्रीय खेलों में वजन संबंधी अयोग्यता के मामलों पर भी प्रतिष्ठान स्थापित कर सकता है। इस बीच, भारत के 6 पदकों ने भी एक सफल अभियान को चिह्नित किया है, जिससे देश को गर्व हो रहा है।

शानदार प्रदर्शन की कहानी

भारत के लिए यह ओलंपिक कई मायनों में खास रहा है। पदकों की संख्या तो महत्वपूर्ण है ही, लेकिन उस से ज्यादा महत्वपूर्ण है कि यह पदक विभिन्न खेलों में जीते गए हैं, जिससे यह सिद्ध होता है कि देश की खेल तैयारी अब व्यापक हो चुकी है।

छवियाँ और सपने

हर भारतीय एथलीट के पीछे एक लंबी और कठिन यात्रा होती है, जो जब पदकों में परिवर्तित होती है, तो वह पूरे देश के सपनों को पंख देती है। इस बात की गवाही भारत द्वारा हासिल किए गए 6 पदक भी देते हैं। हर एक पदक के पीछे की कहानी में न केवल एथलीट की मेहनत, बल्कि उनके परिवार, कोच और देशवासियों का समर्थन भी सम्मिलित है।

खेल केवल एक प्रतियोगिता नहीं है, यह एक भावना है, एक जज्बा है, जो हमें एकजुट करता है और हमें प्रेरणादायक बनाने का हर संभव प्रयास करता है। इस बार के ओलंपिक में भारत ने पूरे देश को गर्वित करने का हर संभव प्रयास किया है। हम आशा करते हैं कि आगामी खेल आयोजनों में भी हमारे एथलीट इसी प्रकार देश का नाम रोशन करेंगे।

विनेश फोगाट के फैसले का इंतजार भारतवासियों को है और हम सब यही चाहते हैं कि उन्हें न्याय मिले और वे अपने अधिकारिक पदक के साथ देश का नाम रोशन करें।

13 टिप्पणि

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    Dinesh Bhat

    अगस्त 13, 2024 AT 17:36
    विनेश फोगाट का ये फैसला सिर्फ उनके लिए नहीं, पूरे भारतीय खेल प्रणाली के लिए टर्निंग पॉइंट हो सकता है। जब एक एथलीट को वजन के 100 ग्राम के लिए फाइनल से बाहर कर दिया जाए, तो ये सिस्टम खराब है।

    हम टेंडुलकर जैसे लोगों के समर्थन को देखकर खुश हो रहे हैं, लेकिन ये सिर्फ एक नाम नहीं, एक अंदाज़ है। खेलों में न्याय तभी होगा जब तक ब्यूरोक्रेसी नहीं बदलेगी।
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    Sri Satmotors

    अगस्त 14, 2024 AT 05:15
    विनेश को पदक मिलना चाहिए। बस।
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    Chandni Yadav

    अगस्त 14, 2024 AT 17:59
    यहाँ तक कि CAS का निर्णय भी बहुत समय लेता है। इस तरह की अयोग्यता का आधार अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अनुमानित वजन मापने की तकनीक पर निर्भर करता है, जो अक्सर 0.1 किलोग्राम तक अस्थिर होती है।

    इसका मतलब है कि यह एक तकनीकी त्रुटि है, न कि एथलीट की लापरवाही। यदि इसे अनदेखा किया जाता है, तो यह खेल के नियमों के खिलाफ एक खतरनाक पूर्वाग्रह बन जाता है।
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    Raaz Saini

    अगस्त 14, 2024 AT 21:49
    अरे भाई, ये सब तो बस धोखा है। जब तक भारत में खेलों को राजनीति की तरह नहीं समझा जाएगा, तब तक ये सब बकवास चलता रहेगा।

    विनेश को रजत चाहिए? नहीं। उसे राष्ट्रीय सम्मान चाहिए। और वो भी अभी नहीं, बल्कि जब तक ये ब्यूरोक्रेट्स अपने ऑफिस से बाहर नहीं आते।
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    Kamal Sharma

    अगस्त 16, 2024 AT 19:54
    हमारे देश में खेलों के लिए जो संसाधन हैं, वो बहुत कम हैं। फिर भी विनेश जैसी लड़कियाँ दुनिया के सामने भारत का नाम रोशन कर रही हैं।

    ये सिर्फ एक पदक नहीं, ये एक जागृति है। हमारे गाँवों की लड़कियाँ अब जानती हैं कि वो भी इतना बड़ा बन सकती हैं। ये फैसला उनके लिए आशा का प्रतीक है।
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    Himanshu Kaushik

    अगस्त 17, 2024 AT 19:21
    विनेश बहुत मेहनती है। उसके पापा ने खेल के लिए घर बेच दिया था। हमें उसे पदक देना चाहिए। बस इतना ही।
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    Sohan Chouhan

    अगस्त 18, 2024 AT 01:14
    ओह भाई, फिर से ये विनेश वाला ड्रामा? ये सब तो फेक न्यूज है। CAS कभी भी ऐसा फैसला नहीं करेगा। ये सब लोग बस ट्रेंड बनाने के लिए बोल रहे हैं।

    अगर वजन नहीं मिला तो तैयारी नहीं हुई। ये खेल है ना, नाटक नहीं। अब तक तो कोई बच्चा भी जानता है कि वजन नियम हैं। ये सब नाराजगी का जलवा है।
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    SHIKHAR SHRESTH

    अगस्त 18, 2024 AT 03:18
    विनेश के लिए बहुत बहुत शुभकामनाएँ।

    ये फैसला न केवल उनके लिए, बल्कि भारतीय खेलों के भविष्य के लिए एक नया मानक स्थापित कर सकता है।

    मैं इस बात पर जोर देना चाहता हूँ कि खेलों में न्याय का अर्थ है नियमों का निष्पक्ष अनुपालन, न कि ब्यूरोक्रेसी का अहंकार।
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    amit parandkar

    अगस्त 19, 2024 AT 18:16
    क्या आपने कभी सोचा है कि ये वजन मापने की मशीनें किसके हाथ में हैं? क्या ये अमेरिकी कंपनियाँ हैं? क्या ये फैसले असल में भारत के खिलाफ एक गुप्त षड्यंत्र हैं?

    मैंने एक डॉक्यूमेंट्री देखा था, जिसमें कहा गया था कि 2012 में भी एक भारतीय एथलीट को वजन के कारण बाहर कर दिया गया था... और फिर उसका नाम गायब हो गया।

    ये सब बस शुरुआत है।
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    Annu Kumari

    अगस्त 20, 2024 AT 18:46
    मैं बस यही कहना चाहती हूँ कि विनेश ने जो किया, वो बहुत बड़ी बात है।

    उनकी मेहनत देखकर मेरी आँखें भर आती हैं।

    उनके परिवार के लोगों को भी शुभकामनाएँ।

    हम सब उनके साथ हैं।
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    haridas hs

    अगस्त 21, 2024 AT 15:22
    इस मामले में विनेश फोगाट के वजन के अतिरिक्त विकृति का विश्लेषण आवश्यक है।

    उनके बॉडी मास इंडेक्स (BMI) में अनियमितता का अध्ययन करना चाहिए, जो अक्सर एथलीट्स में हाइपरथायरॉइडिज्म या एंडोक्राइन डिसऑर्डर का संकेत देता है।

    इसके अलावा, उनके डायट रेजिम और डेहाइड्रेशन प्रोटोकॉल का भी विश्लेषण किया जाना चाहिए।

    यह एक चिकित्सीय घटना है, न कि एक न्यायिक घटना।
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    Shiva Tyagi

    अगस्त 21, 2024 AT 20:44
    भारत के लिए ये एक शर्म की बात है। हमारे देश के एथलीट्स को ये फैसला देने वाले लोग अपने घरों में बैठकर निर्णय लेते हैं।

    हमारे लोगों को अपनी जड़ों से जोड़ने की जरूरत है। विनेश ने नहीं तो किसने देश का नाम रोशन किया?

    हम उन्हें रजत पदक नहीं, राष्ट्रीय गौरव देंगे। अगर ये न्याय नहीं हुआ, तो हम सब आंदोलन करेंगे।
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    Pallavi Khandelwal

    अगस्त 23, 2024 AT 18:13
    ये फैसला... ये फैसला बस एक निर्णय नहीं, ये एक अपमान है।

    विनेश ने जो किया, वो किसी भी एथलीट के लिए असंभव है।

    और फिर भी... वो बस 100 ग्राम के लिए फाइनल से बाहर हो गईं?

    ये न्याय नहीं है। ये अपराध है।

    और अगर इसे अनदेखा किया गया, तो भारत का खेल जीवन कभी ठीक नहीं होगा।

    मैं रो रही हूँ।

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