आई ड्रॉप्स – कैसे चुनें और सही इस्तेमाल करें

आँखों की देखभाल में आई ड्रॉप्स बहुत काम आते हैं, चाहे जलन हो या सूखेपन। लेकिन कई लोग उन्हें ठीक से नहीं लगाते, जिससे असर कम रह जाता है. इस लेख में हम बताएंगे कौन‑से आइड्रॉप्स कब चाहिए और कैसे बिना गड़बड़ी के डालें.

आई ड्रॉप्स के प्रकार

सबसे पहले समझते हैं कि बाजार में कौन‑कौन से ड्रॉप्स मिलते हैं। आमतौर पर उन्हें तीन बड़े ग्रुप में बाँटा जाता है:

  • सूजन कम करने वाले ड्रॉप्स – एलर्जी या इन्फेक्शन के कारण सूजन हो तो डॉक्टर इन्हें लिखते हैं. ये अक्सर एंटीहिस्टामिन या स्टेरॉयड होते हैं.
  • सुखी आँखों के लिए ड्रॉप्स – कंप्यूटर या मोबाइल स्क्रीन पर देर तक काम करने वाले लोग अक्सर लुब्रिकेंट ड्रॉप्स इस्तेमाल करते हैं. इनमें हायलूरोनिक एसिड या पॉलिविनिल अल्कोहल होते हैं.
  • एंटीबायोटिक ड्रॉप्स – बैक्टीरियल इन्फेक्शन के लिए डॉक्टर इनका प्रिस्क्रिप्शन देते हैं. इन्हें नियमित रूप से पूरा करना जरूरी है, नहीं तो रोग फिर से आएगा.

ड्रॉप की बोतल पर लिखी जानकारी पढ़ना न भूलें – क्या यह ओवर‑दिक्लेयर (OTC) है या प्रिस्क्रिप्शन चाहिए. अगर आपको कोई एलर्जी इतिहास है तो डॉक्टर को जरूर बताएं.

सही तरीके से आई ड्रॉप्स कैसे डालें

अब बात करते हैं सही उपयोग की. कई लोग बोतल उल्टा कर देते हैं या आँख के पास बहुत करीब रख लेते हैं, जिससे दवा बूँदों में फँस जाती है.

  1. हाथ साफ़ करें – साबुन और पानी से अच्छी तरह धोएं, फिर सुखा लें.
  2. बोतल को हिलाएँ (अगर लेबल पर लिखा हो) लेकिन बहुत ज़्यादा नहीं, जिससे सामग्री में हवा न घुसे.
  3. सिर पीछे झुकाएँ या बैठें, एक हाथ से नीचे पलकों को हल्का खींचें ताकि आँख खुली रहे.
  4. बोतल की टिप को अपनी आँख के ऊपर रखें, लगभग 1 cm दूर. बोतल को उल्टा करके धीरे‑धीरे दबाएँ और एक बूँद डालें.
  5. आँख बंद करें, हल्के से नीचे देखें ताकि दवा ठीक से फैल जाए.
  6. अगर दो ड्रॉप्स चाहिए तो एक मिनट बाद दूसरा दें, इससे आँख में बहुत अधिक तरल नहीं जमा होगा.

ड्रॉप लगाने के बाद 5‑10 सेकंड तक आँख को रगड़ें नहीं. अगर लेंस पहनते हैं तो पहले ड्रॉप लगाएँ, फिर थोड़ा इंतजार करके लेंस डालें.

स्टोरेज भी बहुत महत्त्वपूर्ण है. अधिकांश ड्रॉप्स को रेफ्रिजरेटेड रखना पड़ता है, खासकर एंटीबायोटिक और स्टेरॉयड वाले. खोलने के बाद 4‑6 हफ्ते में इस्तेमाल खत्म कर दें; नहीं तो बैक्टीरिया बढ़ सकते हैं.

साइड इफ़ेक्ट्स पर नज़र रखें – अगर जलन, लालिमा या धुंधली दृष्टि बनी रहे तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें. कभी भी ड्रॉप को आँख के बाहर फेंके बिना टॉपर को बंद कर दें; खुली बोतल में बैक्टीरिया प्रवेश कर सकते हैं.

संक्षेप में, सही आइड्रॉप चुनना और उसे ठीक से लगाना दोनों ही आपके नेत्र स्वास्थ्य के लिए ज़रूरी है. ऊपर बताए गए आसान कदमों को फॉलो करके आप अपनी आँखों को आराम दे सकते हैं और रोग दूर रख सकते हैं. अब जब भी आई ड्रॉप्स खरीदें या डॉक्टर की प्रिस्क्रिप्शन लें, इन बातों को याद रखें – आपकी दृष्टि आपके हाथों में है.

DCGI ने PresVu आई ड्रॉप्स को दी मंजूरी, प्रिस्बायोपिया ग्रस्त लोगों के लिए नई उम्मीद

ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने प्रिस्बायोपिया के इलाज के लिए PresVu आई ड्रॉप्स को मंजूरी दी है, जिससे चश्मे पर निर्भरता कम हो सकती है। यह मंजूरी मुंबई स्थित Entod Pharmaceuticals को मिली है। इस आई ड्रॉप्स का उद्देश्य नजर की समस्याओं से जूझ रहे लोगों को राहत देना है। कंपनी PresVu को अक्टूबर के पहले हफ्ते में लॉन्च करने की तैयारी में है।