आषाढ़ पूर्णिमा: क्या है, कब पड़ती है और कैसे मनाते हैं?
आषाढ़ का पूरा महीना भारत में बहुत खास माना जाता है। इस महीने की पूर्णिमा को आषाढ़ पूर्णिमा कहा जाता है। यह दिन कई धार्मिक और कृषि कारणों से महत्वपूर्ण है। आज हम समझेंगे कि इस त्योहारी को कब, क्यों और कैसे मनाया जाता है.
आषाढ़ पूर्णिमा की तिथि और इतिहास
हिंदू पंचांग के अनुसार आषाढ़ का पूरा महीना चंद्र कैलेंडर में शिशिर ऋतु के बाद आता है। इस महीने की पक्की रात यानी पूर्णिमा पर आमतौर पर गुरु पूर्निमा भी मनाई जाती है, इसलिए दोनो को कभी‑कभी एक ही दिन माना जाता है। 2025 में आषाढ़ पूर्णिमा 15 जुलाई को पड़ती है। इस तारीख के आसपास कई गांवों में खेतों की जलसंधि का काम शुरू हो जाता है और किसान नई फसल की आशा में विशेष पूजा करते हैं.
पूजा‑पद्धति और आधुनिक तरीके
आषाढ़ पूर्णिमा पर मुख्य रूप से दो प्रकार के अनुष्ठान होते हैं: गुरु सम्मान और कृषि रक्षार्थ पूजा। पहले दिन गुरुओं को अर्पित किया जाता है, इसलिए कई लोग इस दिन अपने पूर्वजों या आध्यात्मिक शिक्षकों की प्रतिमाओं के सामने दीपक जलाते हैं। दूसरा चरण फसल की अच्छी पैदावार हेतु गंधक, कस्तूरी और दालचीनी जैसी सामग्री से पिचकारी बनाकर खेत में छिड़का जाता है.
शहरों में लोग इस दिन अपने घर की सफाई करके, नए कपड़े पहनकर और मिठाइयाँ बना कर परिवार के साथ मनाते हैं। सोशल मीडिया पर अक्सर “#आषाढ़पूर्णिमा” टैग से फोटो और शुभकामनाएँ शेयर होती हैं। यदि आप ऑनलाइन बैनर या व्हाट्सएप स्टेटस बनाना चाहते हैं तो सरल हिंदी शायरी का उपयोग कर सकते हैं, जैसे "अशुभ नहीं, इस पूर्णिमा पर खुशियों की बरसात हो".
भोजन में विशेष तौर पर खजूर, चना और गाजर के साथ हल्दी वाला घी डालकर बनायीं हुई रोटी बहुत लोकप्रिय है। इसे “आषाढ़ थाली” कहा जाता है और यह ऊर्जा बढ़ाता है. छोटे बच्चे इस दिन पतंग उड़ाते हैं क्योंकि आकाश साफ़ रहता है और पवन तेज़ होता है.
यदि आप धार्मिक रूप से अधिक गहराई चाहते हैं तो आप स्थानीय मंदिर या गुरुद्वारे में जाके विशेष भजन सुन सकते हैं। कई आश्रमों में गुरु वंदन की रात को सत्संग के साथ कथा भी आयोजित होती है, जहाँ श्रोताओं को जीवन सुधारने के उपाय बताये जाते हैं.
संक्षेप में, आषाढ़ पूर्णिमा केवल एक तिथि नहीं बल्कि किसान, विद्यार्थी और आध्यात्मिक खोजी सभी के लिए मिलन बिंदु बनती है. आप चाहे ग्रामीण हो या शहरी, इस पूर्णिमा को सरल तरीकों से मनाकर अपने जीवन में सकारात्मक ऊर्जा ला सकते हैं.
- जुल॰, 22 2024

गुरु पूर्णिमा 2024 का महत्व जानें, जो 21 जुलाई को मनाई जाएगी। इस दिन को गुरु के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने के लिए समर्पित किया जाता है। आषाढ़ पूर्णिमा को मनाने के साथ, वेद व्यास की जयंती का भी विशेष महत्व है। जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, कथा, योग उपाय और शुभकामनाएँ।
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