अज़ीम प्रेमजी फाउंडेशन – क्या है और क्यों महत्त्वपूर्ण?

जब अज़ीम प्रेमजी फाउंडेशन, एक गैर‑लाभकारी संस्था है जो शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक बदलाव पर केंद्रित है, भी जाना जाता है APF तो लोग अक्सर पूछते हैं कि इसका काम कब तक असर दिखाता है। सरल शब्दों में कहें तो फाउंडेशन भारत के ग्रामीण इलाकों में स्कूलों को डिजिटल उपकरण, प्रशिक्षित शिक्षक और सीखने के आधुनिक तरीकों से मदद देता है। इसका उद्देश्य केवल किताबें देना नहीं, बल्कि सीखने के माहौल को समग्र रूप से बदलना है।

फाउंडेशन की दो बड़ी धुरी शिक्षा सुधार, अंडरग्रेजुएट और बेसिक लिटरेसी को सुदृढ़ करना और डिजिटल लर्निंग, टैबलेट, ई‑पुस्तकें और ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म के उपयोग को बढ़ावा देना हैं। इन दोनों को मिलाकर फाउंडेशन ग्रामीण भारत में साक्षरता दर को 20% तक बढ़ाने का लक्ष्य रखता है। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए वह स्थानीय NGOs और सरकारी स्कूलों के साथ साझेदारी करता है, जिससे उपलब्ध संसाधन अधिकतम उपयोग हो सके।

मुख्य पहल और उनका प्रभाव

पहली पहल “डिजिटली सशक्त स्कूल” है, जिसमें हर प्राथमिक स्कूल को टैबलेट व इंटरनेट कनेक्शन दिया जाता है। इस कदम से छात्रों को इंटरैक्टिव लर्निंग मॉड्यूल्स मिलते हैं, जिससे पढ़ाई में रुचि बढ़ती है। दूसरा प्रोजेक्ट “शिक्षक क्षमता विकास” है, जहाँ फाउंडेशन अनुभवी प्रशिक्षकों को गांव-गांव भेजता है ताकि अध्यापकों की शिक्षण शैली में अपडेट आए। तीसरी पहल “समुदाय सहभागिता” है, जिसमें स्थानीय माता‑पिता को स्कूल प्रबंधन में शामिल किया जाता है, ताकि शिक्षा के प्रति उनका विश्वास मजबूत हो।

इन पहलों के कारण कई ठोस बदलाव देखे गये हैं: एक छोटेशहर के सरकारी स्कूल में छात्रों की औसत अंक 45% से 68% तक बढ़ गए, जबकि गाँव‑गाँव में सालाना ड्रॉप‑आउट रेट 12% से घटकर 5% रह गई। इस तरह के आँकड़े दिखाते हैं कि अज़ीम प्रेमजी फाउंडेशन के प्रयास सिर्फ नाम नहीं, बल्कि जमीन पर दिखने वाला वास्तविक परिणाम है।

फाउंडेशन की सफलता के पीछे एक और महत्वपूर्ण कारक है “सामुदायिक विकास” का विचार। जब शिक्षा को स्थानीय जरूरतों से जोड़ा जाता है, तो लोग अपने गांव में ही रहने के लिए प्रेरित होते हैं। इससे ग्रामीण स्तर पर रोजगार के अवसर भी बनते हैं—जैसे कि डिजिटल लर्निंग सेंटर्स में स्थानीय युवा को तकनीकी प्रशिक्षण देना। इस तरह का समग्र मॉडल शिक्षा, आर्थिक विकास और सामाजिक स्थिरता को एक साथ आगे बढ़ाता है।

फाउंडेशन की पहल सिर्फ भारत तक सीमित नहीं। विदेश में तालिबान-प्रभावित क्षेत्रों में भी उसने समान मॉडल अपनाया है, जहाँ डिजिटल लैब्स स्थापित करके बच्चों को पढ़ाई में मदद मिलती है। यह अंतरराष्ट्रीय विस्तार फाउंडेशन की “सामाजिक परिवर्तन” की दृष्टि को ग्लोबल स्तर पर भी मान्यता देता है।

इन सब को देखते हुए स्पष्ट होता है कि अज़ीम प्रेमजी फाउंडेशन का मिशन केवल दान‑धर्म नहीं, बल्कि प्रणालीगत परिवर्तन है। शिक्षा सुधार के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचा, डिजिटल लर्निंग के साधन और सामुदायिक सहभागिता—तीनों एक दूसरे को सुदृढ़ करते हैं। यही कारण है कि कई सरकारी योजनाएँ और निजी कंपनियां भी फाउंडेशन के साथ मिलकर काम कर रही हैं, क्योंकि उनका लक्ष्य भी “साक्षरता में वृद्धि और जीवन स्तर में सुधार” है।

अब आप सोच रहे होंगे कि इस पेज पर आगे क्या मिलेगा। नीचे दी गई सूची में फाउंडेशन से जुड़ी विभिन्न खबरें, विश्लेषण, और रिपोर्टें हैं—जैसे कि नई डिजिटल लर्निंग पहल, स्कूलों में टिचर ट्रेनिंग सेशन, और गाँवों में स्वास्थ्य कार्यक्रम। इन लेखों में आप देखेंगे कि फाउंडेशन का हर कदम किस तरह से वास्तविक लोगों की ज़िंदगी बदल रहा है। आगे पढ़ें और जानें कि आप भी इस बदलाव का हिस्सा बन सकते हैं।

अज़ीम प्रेमजी फाउंडेशन ने बागेश्वर के दुगनकुड़ी कॉलेज में छात्रवृत्ति कार्यशाला आयोजित

बागेश्वर के दुगनकुड़ी कॉलेज में आयोजित कार्यशाला में अज़ीम प्रेमजी फाउंडेशन ने अपनी छात्रवृत्ति योजना की जानकारी दी। कार्यक्रम में पात्रता, चयन प्रक्रिया और छात्रवृत्ति के फायदे पर विस्तार से चर्चा हुई, जिससे स्थानीय विद्यार्थियों में उत्साह पैदा हुआ।