भूस्खलन – क्या है, क्यों होता है और कैसे रहें सुरक्षित
क्या आपने कभी सुना है कि अचानक जमीन नीचे धँस गई? यही भूस्खलन है और पिछले साल कई जिलों में इसका असर रहा। इस लेख में हम बताते हैं कि भूस्खलन कब‑कब होते हैं, क्यों होते हैं और आप तुरंत क्या कर सकते हैं ताकि खुद को बचा सकें.
भूस्खलन के मुख्य कारण
सबसे बड़ा कारण भारी बारिश है। जब पहाड़ों में जल जमा हो जाता है तो मिट्टी की पकड़ कमजोर पड़ती है और वह ढह जाती है. साथ ही, जंगल कटाई से पेड़ नहीं रह पाते जो जमीन को पकड़े रखते हैं। इससे पानी सीधे धारा में बहता है और सतही स्तर पर दबाव बढ़ता है.
भूगर्भीय कारण भी मायने रखते हैं। अगर इलाके में चट्टान की संरचना भंगुर हो या पहले से दरारें हों, तो बारिश के बाद मिट्टी आसानी से फिसल जाती है. कुछ जगहों पर अनियमित निर्माण, जैसे ढीला ढेर या अस्थिर बुनियादी ढांचा, भी जोखिम को बढ़ा देता है.
रहायती उपाय और तुरंत क्या करें
पहले तो स्थानीय प्रशासन द्वारा जारी चेतावनी संदेशों पर ध्यान दें। अगर अलार्म बजता है तो तुरंत उच्च स्थान पर जाएँ, निचली घाटी में नहीं. घर से बाहर निकलते समय सभी खिड़कियों को बंद रखें और आवश्यक दवाएँ व दस्तावेज़ साथ ले जाएँ.
आपातकालीन किट तैयार रखनी चाहिए – टॉर्च, बैटरियाँ, पानी की बोतल, कुछ खाने के पैकेट और प्राथमिक उपचार की वस्तुएँ. अगर आप पहाड़ी इलाके में रहते हैं तो निकास मार्ग का नक्शा पहले से बनाकर रखें.
भूस्खलन के बाद मदद पहुँचने तक सुरक्षित जगह पर रहें। बचाव दल को संकेत देने के लिए फ़्लैश लाइट या ध्वनि का उपयोग कर सकते हैं. जब सुरक्षा टीम पहुँच जाए, तो उनका निर्देश मानें और अपने सामान धीरे‑धीरे बाहर ले जाएँ.
भूस्खलन की पुनरावृत्ति रोकने में सामुदायिक भागीदारी जरूरी है। पेड़ लगाएँ, ढेर को सही जगह पर जमा करें और अनधिकृत निर्माण से बचें. स्थानीय निकायों के साथ मिलकर ड्रेनेज सिस्टम सुधारना भी मददगार होता है.
अंत में याद रखें – भूस्खलन अचानक आ सकता है, लेकिन तैयार रहने से नुकसान कम किया जा सकता है। अलर्ट सुनते ही कार्रवाई करें, सुरक्षित जगह खोजें और बचाव दल को सहयोग दें. ऐसी छोटी‑सी सावधानी कई जीवन बचा सकती है.
- अग॰, 3 2024

प्रसिद्ध मलयालम अभिनेता और मानद लेफ्टिनेंट कर्नल मोहनलाल ने भूस्खलन प्रभावित वायनाड का दौरा किया और पीड़ितों के लिए राहत प्रयासों का समर्थन किया। उन्होंने वायनाड में सेना के शिविर का दौरा किया और स्थानीय लोगों व राहत कार्यकर्ताओं से मुलाकात की। मोहनलाल ने 3 करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता की घोषणा की और यदि आवश्यक हो तो और धन मुहैया करने का आश्वासन दिया।
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