फ़ेडरल रिजर्व
When working with फ़ेडरल रिजर्व, अमेरिका की केंद्रीय बैंकिंग संस्था, जो मौद्रिक नीति तय करती है और वित्तीय स्थिरता संभालती है. Also known as Fed, it sets the tone for global markets and influences everyday financial decisions.
एक मुख्य टूल जो ब्याज दर, वह प्रतिशत जिसे फेडरल रिजर्व बैंकों को उधार पर लेने पर चार्ज करती है कहलाता है, वह सीधे खर्च, निवेश और बचत को नियंत्रित करता है। जब Fed इस दर को बढ़ाता है, तो मौद्रिक नीति संकुचनात्मक, इन्फ्लेशन को दबाने के लिए पैसा बाजार से निकालना बन जाती है; जब घटती है, तो नीति प्रोत्साहनात्मक, आर्थिक विकास को तेज करने के लिए तरलता बढ़ाना हो जाती है। इस कारण से हर आर्थिक खबर में Fed की कार्रवाई को ‘ब्याज दर की चाल’ के रूप में देखा जाता है।
मौद्रिक नीति, डॉलर और वैश्विक प्रभाव
फ़ेडरल रिजर्व का अगला प्रमुख घटक मौद्रिक नीति, ब्याज दर, खुले बाजार ऑपरेशन और रिज़र्व आवश्यकताओं का समग्र ढाँचा है। यह नीति न सिर्फ यू.एस. अर्थव्यवस्था को दिशा देती है, बल्कि अमेरिकी डॉलर, विश्व की प्रमुख रिज़र्व मुद्रा, जिसकी वैल्यू फेड की निर्णयों से जुड़ी है की शक्ति को भी सीधे प्रभावित करती है। जब Fed उच्च ब्याज दरें सेट करता है, तो निवेशक डॉलर की बचत पर बेहतर रिटर्न की उम्मीद करते हैं, जिससे डॉलर की कीमत विदेशी मुद्रा बाजार में ऊपर उठती है। उलट, कम दरें डॉलर को कमजोर कर देती हैं और निर्यातकों को लाभ मिलता है। यही कारण है कि हर बार जब Fed बैठक का समय नजदीक आता है, तो ट्रेडर, नीति निर्माता और आम जनता सब इस पर नज़र रखती है।
इन सामंजस्यपूर्ण संबंधों को समझना सिर्फ आर्थिक विशेषज्ञों के लिए नहीं, बल्कि उन लोगों के लिए भी जरूरी है जो रोज़मर्रा की वित्तीय योजना बनाते हैं। चाहे आप बचत खाते का ब्याज दर देख रहे हों, या विदेश में निवेश करने की सोच रहे हों, फ़ेडरल रिजर्व की नीतियों का आपके फैसलों पर असर पड़ता है। इसलिए इस टैग पेज में हम फ़ेडरल रिजर्व से जुड़े विभिन्न पहलुओं—ब्याज दर की गतिशीलता, मौद्रिक नीति के टूल, डॉलर की वैल्यू, और उनका भारतीय बाजार पर प्रत्यक्ष प्रभाव—को आसान भाषा में तोड़‑मरोड़ कर पेश करेंगे।
अब जब आपने फ़ेडरल रिजर्व के कामकाज, उसके प्रमुख टूल और वैश्विक प्रभावों की बुनियादी समझ बना ली है, तो नीचे दी गई सूची में आप इन विषयों से जुड़ी नवीनतम ख़बरें, विश्लेषण और गहराई वाले लेख पाएँगे। ये लेख आपको योजना बनाने, जोखिम समझने और सही समय पर कार्रवाई करने में मदद करेंगे।

18 सितंबर को भारतीय शेयर बाजार ने फिर से गति पकड़े, सेन्सेक ने 83,000 पॉइंट का नया स्तर पार किया और 83,013.96 पर बंद हुआ। निफ्टी 25,423.60 पर समापन हुआ, दोनों सूचकांक 0.3% से ऊपर रहे। इस उछाल का मुख्य कारण अमेरिकी फ़ेडरल रिज़र्व की 25 बेसिस पॉइंट की दर कमी और अगले दो कटों की संकेतना थी, जिसने IT शेयरों को खूब समर्थन दिया। निफ्टी IT इंडेक्स 0.83% छत तक उछला, सभी सेगमेंट में खरीदारी का माहौल साफ़ था।
- आगे पढ़ें