गुरु पौराणिमा: क्यों मनाते हैं यह दिन और कैसे祝祝祝
गुरु पौराणिमा हर साल आशा‑भरे माह में आता है, जब हम अपने गुरु को धन्यवाद देते हैं। इस दिन शिष्य अपना आदर दिखाने के लिए दान, पूजा या सरल संदेश भेजते हैं। अगर आप भी जानना चाहते हैं कि इसे खास कैसे बनायें, तो पढ़िए आगे.
गुरु पौराणिमा का इतिहास और महत्त्व
प्राचीन ग्रंथों में लिखा है कि ऋषियों ने सूर्य को अपना गुरु माना था। इसलिए शरद‑ऋतु के पूर्णिमाओं पर सूर्य की पूजा होती थी, जो बाद में गुरु पौराणिमा बन गई। यह दिन ज्ञान, शिक्षा और आध्यात्मिक मार्गदर्शन का सम्मान करता है। घर‑घर में दीप जलाकर और व्रत रखकर लोग अपने जीवन के गुरु को याद करते हैं—चाहे वह शिक्षक हो, माता‑पिता हों या कोई आत्मीय मित्र.
शुभकामनाएँ और संदेश कैसे भेजें
आजकल WhatsApp, Instagram या SMS पर छोटे‑छोटे शुभवाक्य बहुत लोकप्रिय हैं। आप "गुरु जी को सदा सुखी रहें" या "आपके आशीर्वाद से हम सफल होते रहे" जैसे शब्द लिख सकते हैं। अगर आप कस्टम कार्ड बनाना चाहते हैं तो सरल ग्राफ़िक टूल्स में गुरु की तस्वीर और फूल डालकर एक सुंदर बैनर बना लें। याद रखें, दिल से लिखा संदेश ही सबसे असरदार होता है.
भौतिक उपहार भी सराहे जाते हैं—साधारण किताबें, पेन सेट या हर्बल चाय का पैकेट। यदि आप स्थानीय मंदिर या गुरुद्वारे जा रहे हों तो कुछ फल, फूल और दाना लेकर जाएँ; यह परम्परा सदियों से चली आ रही है।
गुरु पौराणिमा के अवसर पर कई लोग व्रत रखते हैं। अगर आप व्रत नहीं रखना चाहते तो हल्का उपवास कर सकते हैं—सिर्फ दोपहर का भोजन छोड़ देना काफी माना जाता है। इस दौरान शांति से बैठकर गुरु की शिक्षाओं को याद करना, मन को साफ़ करता है और नया उत्साह देता है.
अंत में एक बात – गुरु पौराणिमा केवल एक तिथि नहीं, बल्कि हमारे रिश्तों को फिर से मजबूत करने का मौका है। चाहे आप छात्र हों या कामकाजी, इस दिन थोड़ा समय निकालकर अपने गुरु को धन्यवाद कहें। इससे न सिर्फ आपका मन हल्का होगा, बल्कि आपके आसपास के लोगों पर भी सकारात्मक असर पड़ेगा.
- जुल॰, 22 2024

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