ईद अल-अधा – क्या है?

ईद अल‑अधा मुसलमानों का बड़ा त्यौहार है जो हज के दौरान इब्रा‍हिम (अ.स.) की अपनी पत्नी और बेटे को कुर्बानी करने की आज़मिश से जुड़ा है। इस दिन लोग जानवर (भेड़, बकरी या गाय) की क़ुर्बान करते हैं और मांस का एक तिहाई गरीबों में बाँटते हैं।

अगर आप पहली बार ईद मनाते हैं तो सबसे पहले यह समझें कि कुर्बानी केवल बलिदान नहीं बल्कि जरूरतमंदों की मदद भी है। घर‑परिवार में नमाज़, दावत और नई कपड़े पहनना सामान्य रिवाज़ होते हैं। इस प्रक्रिया में भावनाओं का गहरा असर रहता है – कृतज्ञता, भाईचारा और सामाजिक जिम्मेदारी दिखती है।

रिवाज़ और तैयारियाँ

ईद से पहले दो‑तीन दिन तक लोग बाजारों में जानवर चुनते हैं। सबसे अच्छा विकल्प वही होता है जो साफ‑सुथरा और स्वस्थ हो। खरीदे गए पशु को ईद की सुबह नहाया जाता है, सजाते हैं और फिर इब्रा‍हिम के साथ मिलकर दुआ पढ़ते हैं। इस दौरान दादी‑नानी अक्सर बच्चों को कुर्बान की कहानी सुनाती हैं, जिससे उनका धार्मिक ज्ञान बढ़ता है।

नमाज़ के बाद क़ुर्बान का खून जमीन में डाल दिया जाता है और मांस को तीन हिस्सों में बाँटा जाता है: एक हिस्सा परिवार के लिए, दूसरा दोस्त‑रिश्तेदारों के लिये और तीसरा गरीबों और जरूरतमंदों के लिये। अगर आप खुद नहीं कर सकते तो स्थानीय मस्जिद या चैरिटी संगठनों से मदद ले सकते हैं – वे अक्सर कुर्बान का प्रबंध करके मांस बाँटते हैं।

2025 की तिथि और ख़बरें

ईद अल‑अधा 2025 में 17 जुलाई को मनाई जाएगी, क्योंकि यह दिन हज के अंतिम दिन (यौम एज़ा) पर पड़ता है। इस तारीख से पहले कई सरकारी आदेश और सुरक्षा उपाय जारी होते हैं – खासकर हज यात्रा वाले देशों में भीड़ नियंत्रण के लिए अतिरिक्त पुलिस तैनात की जाती है।

अल्टस संस्थान ने ईद‑अधा से जुड़ी नवीनतम खबरें इकट्ठा कर आपके लिए तैयार की हैं। आप यहाँ 2025 में भारत में होने वाली बड़ी इवेंट्स, मस्जिदों के विशेष कार्यक्रम और दान‑पदान की जानकारी पा सकते हैं। साथ ही, कोरोना या अन्य स्वास्थ्य जोखिमों को लेकर अगर कोई चेतावनी है तो वह भी अपडेटेड रूप से उपलब्ध होगी।

अगर आप ईद पर यात्रा करने की सोच रहे हैं, तो मौसम का ध्यान रखें – जुलाई में भारत के कई हिस्से गर्म होते हैं, इसलिए पानी और हल्की कपड़े साथ रखें। ट्रैफिक जाम से बचने के लिये सार्वजनिक परिवहन या राइड‑शेयरिंग बेहतर विकल्प हो सकते हैं।

ईद की ख़ुशी को बढ़ाने के लिए घर में मिठाइयाँ बनाना एक लोकप्रिय चलन है। लड्डू, फिरनी और सिवइयां जैसे पकवानों को परिवार के साथ मिलकर तैयार करें – इससे बच्चों को रिवाज़ में हिस्सा लेने का मौका मिलता है और माहौल भी खुशनुमा रहता है।

अंत में याद रखें कि ईद अल‑अधा सिर्फ एक त्यौहार नहीं, बल्कि सामाजिक समरसता और दानशीलता की मिसाल है। आप चाहे बड़े शहर में हों या गाँव में, इस दिन का मूल उद्देश्य वही – जरूरतमंदों को मदद करना और दिल से खुशी बाँटना। अल्टस संस्थान पर रोज़ अपडेट पढ़ें, ताकि आप हर जानकारी के साथ ईद मनाने में पूरी तैयारी कर सकें।

बकरीद 2024: इस दिन क्यों दी जाती है पशु बलि?

यह लेख ईद अल-अधा, जिसे बकरीद भी कहते हैं, के महत्व और प्रथाओं पर चर्चा करता है। यह त्योहार पैगंबर इब्राहीम की उत्कट विश्वास की कहानी को याद करता है, जब भगवान ने उनसे अपने बेटे इस्माइल की बलि देने का आदेश दिया था। इस लेख में बकरीद की परंपराओं और उसकी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर रोशनी डाली गई है।