जनसांख्यिकीय लाभांश: भारत का सुनहरा मौका
जब लोग कहते हैं ‘जनसांख्यिकीय लाभांश’, तो उनका मतलब है कि देश की जनसंख्या संरचना आर्थिक विकास को तेज़ कर सकती है। इसका सबसे बड़ा फायदा तब मिलता है जब काम करने वाले लोगों की संख्या ज्यादा और बचत‑भोग का अनुपात संतुलित हो। भारत में अभी यही स्थिति बन रही है, इसलिए इस विषय पर ध्यान देना ज़रूरी है।
जनसांख्यिकीय लाभांश क्या है?
सरल शब्दों में समझें तो यह वह समय होता है जब युवाओं की संख्या बड़े पैमाने पर बढ़ती है और बुजुर्गों का अनुपात कम रहता है। इस दौरान अगर युवा सही शिक्षा, कौशल और रोजगार पा ले, तो उत्पादन बढ़ता है और देश की आय भी बढ़ती है। यही कारण है कि कई विकासशील देशों ने अपने ‘जनसांख्यिकीय विंडो’ को आर्थिक शक्ति में बदला है।
भारत में अवसर और चुनौतियां
अभी भारत के 15‑30 साल के युवाओं की संख्या लगभग 350 मिलियन है। अगर इस बड़ी ताकत को सही दिशा न दी जाए तो बेरोज़गारी, कौशल का बिखरना और सामाजिक असंतोष जैसी समस्याएँ पैदा हो सकती हैं। दूसरी ओर, अगर शिक्षा प्रणाली को उद्योग की जरूरतों से जोड़ें, स्किल ट्रेनिंग को बढ़ावा दें और उद्यमिता के माहौल को मजबूत करें, तो ये युवा आर्थिक विकास का इंजन बन सकते हैं।
सरकार ने कई योजनाएं शुरू कर दी हैं – जैसे स्किल इंडिया, डिजिटल साक्षरता मिशन और स्टार्ट‑अप इकोसिस्टम को प्रोत्साहन। इन पहलुओं में स्थानीय स्तर पर भी प्रयास जरूरी है: स्कूलों में व्यावसायिक शिक्षा, छोटे शहरों में प्रशिक्षण केंद्र और ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट की पहुँच बढ़ाना।
एक और बात जो अक्सर छूटती है वह है स्वास्थ्य का ध्यान रखना। जब युवा स्वस्थ होते हैं तो काम करने की क्षमता ज्यादा होती है। इसलिए पोषण कार्यक्रम, मातृ‑शिशु स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करना भी जनसांख्यिकीय लाभांश को पकड़ने में मदद करेगा।
व्यवसायियों के लिए यह सुनहरा मौका है क्योंकि एक बड़ी युवा शक्ति नई उत्पादों और सेवाओं की माँग लाती है। अगर आप अपना व्यवसाय डिजिटल बना सकते हैं, तो इस बाजार में जल्दी से कदम रखकर हिस्सेदारी बढ़ा सकते हैं। छोटे उद्यमी भी सरकारी सब्सिडी और क्रेडिट सुविधाओं का लाभ ले सकते हैं।
हालांकि, जनसांख्यिकीय लाभांश एक बार मिल गया तो फिर नहीं आता। इसलिए समय पर कार्रवाई आवश्यक है – अब निवेश, शिक्षा और स्वास्थ्य में खर्च बढ़ाएँ, ताकि 2030‑2040 तक इस विंडो को पूरी तरह उपयोग किया जा सके।
समाज के सभी वर्गों को मिलकर काम करना होगा: सरकार नीतियां बनाये, निजी क्षेत्र रोजगार प्रदान करे, और युवा खुद भी सीखने की इच्छा रखें। जब सब मिलेंगे तो भारत का जनसांख्यिकीय लाभांश आर्थिक प्रगति का मुख्य चालक बन जाएगा।

आर्थिक सर्वेक्षण 2025 में भारत की $10 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था बनने की संभावनाएं उजागर की गई हैं, जो देश के विशाल युवा कार्यबल के सहारे संभव है। इस रिपोर्ट का मानना है कि उचित नीतियों और ढांचागत परिवर्तन से यह लक्ष्य हासिल किया जा सकता है। हालांकि, हर साल श्रम बल में शामिल हो रहे 7-8 मिलियन युवाओं के लिए उपयुक्त रोजगार के अवसर पैदा करना आवश्यक होगा।
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