फ़र्ज़ी मार्कशीट की पहचान और सुरक्षित जांच कैसे करें
परीक्षा के बाद हर छात्र मार्कशीट देखता है, लेकिन कभी‑कभी झूठी या बदल दी गई मार्कशीट हाथ में आ जाती है। ऐसे दस्तावेज़ न सिर्फ कानूनी समस्या बनते हैं, बल्कि भविष्य की पढ़ाई और नौकरी पर भी असर डालते हैं। तो चलिए जानते हैं फ़र्ज़ी मार्कशीट के आम लक्षण और असली स्कोर कैसे चेक करें, ताकि आप सुरक्षित रहें।
फ़र्ज़ी मार्कशीट के सामान्य संकेत
सबसे पहले देखें कि दस्तावेज़ में क्या‑क्या गड़बड़ी है। अक्सर फ़र्जी मार्कशीट में ये त्रुटियां मिलती हैं:
- स्पेलिंग या फॉर्मेट में असंगति – बोर्ड का नाम, कोर्स का शीर्षक या ग्रेडिंग सिस्टम अलग दिखता है।
- प्रिंटर की धुंधली प्रिंट, रंग‑भेद नहीं होना या पेज पर पानी के निशान जैसे ब्लीड‑ऑफ।
- रोल नंबर या छात्र नाम में छोटे‑छोटे टाइपो – आधा अक्षर गायब या उल्टा लिखा होना।
- सही सिग्नेचर या स्टैंप नहीं दिखना, या वही स्टीम्प कई बार दोहराया गया हो।
अगर इनमें से कोई भी बात आपको अजीब लगे तो तुरंत आगे की जांच करें। याद रखें, एक छोटी सी चूक भी पूरे दस्तावेज़ को अवैध बना देती है।
सुरक्षित तरीके से असली मार्कशीट कैसे चेक करें
अधिकांश बोर्ड और विश्वविद्यालय ऑनलाइन पोर्टल पर आधिकारिक स्कोर देखने की सुविधा देते हैं। इस प्रक्रिया में दो‑तीन आसान कदम शामिल हैं:
- बोर्ड या संस्थान की आधिकारिक वेबसाइट खोलें (जैसे cbse.nic.in, ugcnet.gov.in)।
- ‘Marksheet Verification’ या ‘Result Check’ सेक्शन में अपना रोल नंबर, जन्म तिथि और कैप्चा डालें।
- यदि सिस्टम आपको ‘Valid’ दिखाता है तो आपकी मार्कशीट असली है; अगर ‘Invalid’ या कोई त्रुटि आती है तो दस्तावेज़ फ़र्जी हो सकता है।
कुछ बोर्ड एपीआई (API) भी देते हैं, जिससे आप मोबाइल ऐप या थर्ड‑पार्टी साइट पर जल्दी से जांच सकते हैं। लेकिन हमेशा आधिकारिक स्रोत ही भरोसेमंद रहता है – क्योंकि तीसरे पक्ष की वेबसाइट में डेटा बदलने की संभावना रहती है।
यदि आप नौकरी के लिए या आगे की पढ़ाई में मार्कशीट अपलोड कर रहे हैं, तो PDF फॉर्मेट में डाउनलोड करके उसका SHA‑256 हैश चेक करें। कई विश्वविद्यालय इस हैश को अपने सिस्टम में रखकर भविष्य में बदलाव का पता लगा सकते हैं। यह थोड़ा तकनीकी लगता है, पर अगर आप कंप्यूटर से जुड़े हैं तो आसानी से किया जा सकता है।
एक और आसान उपाय – मार्कशीट के पीछे बोर्ड का official seal या QR code स्कैन करें। आजकल कई संस्थान QR कोड में सभी जानकारी एन्क्रिप्ट करके रखते हैं; सिर्फ एक स्मार्टफोन ऐप से आप तुरंत सत्यापित कर सकते हैं। अगर कोड नहीं है, तो यह भी संकेत हो सकता है कि दस्तावेज़ पुराना या नकली है।
आखिर में याद रखें: फ़र्जी मार्कशीट का इस्तेमाल करने से न केवल आपका नाम खराब होगा, बल्कि जेल की सजा भी मिल सकती है। इसलिए हमेशा आधिकारिक चैनल से ही स्कोर चेक करें और यदि संदेह हो तो तुरंत बोर्ड या परीक्षा अधिकारी से संपर्क करें। सही जानकारी रखने वाले लोग ही आगे बढ़ते हैं।

उत्तर प्रदेश के अमरोहा में 14 साल पहले फर्जी मार्कशीट से पुलिस में भर्ती हुए सिपाही अखिलेश कुमार को बर्खास्त कर दिया गया है। उसकी सच्चाई खुद उसके चाचा ने उजागर की, जिन्होंने पहले जालसाजी में साथ दिया था लेकिन पारिवारिक विवाद के बाद शिकायत कर दी। जांच में फर्जीवाड़ा साबित हुआ, और दोनों पर केस दर्ज हुआ।
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