वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने EY कर्मचारी की मौत पर अपने वक्तव्य की सफाई दी

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने EY कर्मचारी की मौत पर अपने वक्तव्य की सफाई दी सित॰, 24 2024

निर्मला सीतारमण ने किया स्पष्टीकरण

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने हाल ही में ईवाई में कार्यरत 26 वर्षीय चार्टर्ड अकाउंटेंट अन्ना सेबस्टियन पेरयिल की मौत पर अपने विवादास्पद बयान की सफाई दी है। सीतारमण ने स्पष्ट किया कि उनके 'आंतरिक शक्ति और आध्यात्मिकता' पर टिप्पणी करने का उद्देश्य इस दुखद घटना को लेकर नहीं था, बल्कि यह बयान विश्वविद्यालय के नए मेडिटेशन हॉल और प्रार्थना स्थल के संदर्भ में की गई थी। उन्होंने कहा कि उन्होंने सीए परीक्षा के कठिनाइयों और उससे जुड़े तनाव का जिक्र किया था, पर अन्ना का नाम नहीं लिया था।

आलोचना का दौर

सीतारमण के इस बयान के बाद विपक्षी नेताओं और सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं ने उनकी कड़ी आलोचना की। कांग्रेस महासचिव के सी वेणुगोपाल और राज्य सभा सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने सीतारमण के बयान को संवेदनहीन करार दिया। उनका कहना था कि अन्ना की मौत का कारण ईवाई की विषाक्त कार्य संस्कृति और लंबे कार्य घंटे थे, न कि आंतरिक शक्ति की कमी। यह आरोप लगाया गया कि सीतारमण ने अन्ना की मौत के पीछे के वास्तविक मुद्दों को नजरअंदाज किया।

कार्य स्थल की जांच

केंद्रीय श्रम मंत्रालय ने अन्ना की मृत्यु के कारणों की पूरी तरह से जांच का आश्वासन दिया है। मंत्रालय इस बात पर ध्यान केंद्रित कर रहा है कि क्या कार्य स्थल का वातावरण इस त्रासदी का प्रमुख कारण था। वित्त मंत्री ने अपने बयान का बचाव करते हुए कहा कि उनका उद्देश्य बच्चों को समर्थन देने में संस्थानों और परिवारों की महत्वपूर्ण भूमिका को उजागर करना था, न कि शिकार को दोषी ठहराना।

सीतारमण ने एक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अपने स्पष्टीकरण पोस्ट किया जिसमें उन्होंने अपने पहले के बयान का संदर्भ साझा किया। उन्होंने कहा कि यह बयान एक नए मेडिटेशन हॉल और प्रार्थना स्थल के उद्घाटन के समय दिया गया था, जिसका उद्देश्य छात्रों और शिक्षकों को मानसिक और आध्यात्मिक समर्थन प्रदान करना था।

मेडिटेशन हॉल की महत्वपूर्ण भूमिका

मेडिटेशन हॉल और प्रार्थना स्थल की स्थापना का उद्देश्य छात्रों और शिक्षकों को तनाव और दबाव से निपटने में सहायता करना है। सीए परीक्षा प्रणाली और इसके साथ जुड़े तनाव के बारे में बात करते हुए, सीतारमण ने इसे बहुत कठिन और चुनौतीपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के सहयोगात्मक समर्थन से छात्रों को बेहतर तरीके से तैयार किया जा सकता है और उनकी आंतरिक शक्ति को मजबूत किया जा सकता है।

विरोधियों की प्रतिक्रिया

प्रियंका चतुर्वेदी ने सोशल मीडिया पर सीतारमण के बयान की तीखी टिप्पणी की। उनका कहना था कि वित्त मंत्री को ऐसे कठिन परिश्रमी युवाओं की समस्याओं को समझना चाहिए और वास्तविक ठोस कदम उठाने चाहिए। कांग्रेसी महासचिव के सी वेणुगोपाल ने भी इसी तरह की भावनाएं व्यक्त कीं और सीतारमण से यह जानना चाहा कि क्या वित्त मंत्रालय इस मामले की जांच में किसी प्रकार की सहायता प्रदान करेगा।

इस पूरे विवाद ने कार्य स्थल पर मानसिक स्वास्थ्य और कार्य संतुलन के मुद्दों को एक बार फिर से चर्चा में ला दिया है। कंपनियों में बहुत से युवा पेशेवर अत्यधिक कार्य दबाव और लंबी कार्य घंटे झेल रहे हैं, जो उनके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डाल रहे हैं।

मानसिक स्वास्थ्य की महत्वपूर्णता

यह घटना कार्य स्थल पर मानसिक स्वास्थ्य को लेकर अधिक सतर्कता बरतने की आवश्यकता को उजागर करती है। शिक्षण संस्थानों और पेशेवर संगठनों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनके सदस्य मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ रहें। यह केवल एक व्यक्ति की अथवा संस्था की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि समाज के हर आयाम में मौजूद लोगों की जिम्मेदारी है कि वे अपने आसपास के लोगों के मानसिक स्वास्थ्य का ख्याल रखें और कार्य स्थल को अधिक सहयोगी बनाएँ।

आखिरकार, सीतारमण ने अपने बयान पर पुनर्विचार करते हुए इसे एक सकारात्मक दृष्टिकोण से देखा और इस प्रकार की संस्थागत व्यवस्थाओं की महत्वपूर्णता को उजागर किया। यह स्पस्ट करता है कि वे इस मामले को गंभीरता से लेते हुए इसे सुलझाने का प्रयास कर रही हैं।

अंतिम तौर पर, इस घटना ने न केवल वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की टिप्पणियों को बल्कि कार्य स्थल की संस्कृति और मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों पर भी व्यापक बहस को जन्म दिया है। उम्मीद है कि इस घटना से हमें शिक्षा मिलेगी और भविष्य में ऐसे मामलों से निपटने के लिए ठोस कदम उठाए जाएंगे।