महात्मा गांधी – सच्चे अहिंसा के पथिक
जब आप ‘गांधी’ शब्द सुनते हैं तो अक्सर झण्डी वाले पोर्ट्रेट, नमक सत्याग्रह या स्वच्छ भारत की बात आती है। लेकिन उनका असली काम लोगों को आत्म‑निर्भर बनाना और हिंसे से दूर रहना था। यह पेज उन सभी लेखों का संग्रह है जो गांधी जी के सिद्धांतों को आज के समय में दिखाते हैं। यहाँ आप आसानी से पढ़ सकते हैं कि उनके विचार हमारे रोज़मर्रा की जिंदगी में कैसे लागू होते हैं।
गांधी की प्रमुख शिक्षाएँ
सबसे पहले गांधी ने ‘सत्य’ और ‘अहिंसा’ को दो मुख्य स्तम्भ बना दिया। उन्होंने कहा, “सच्चाई वही है जो सभी के लिए फायदेमंद हो” और हिंसा से कोई समस्या हल नहीं होती। दूसरा बड़ा सिद्धांत ‘स्वदेशी’ था – यानी अपने देश की चीज़ें इस्तेमाल करना और विदेश पर निर्भर न रहना। इन विचारों को उन्होंने ग्राम स्तर पर छोटे‑छोटे प्रयोगों से शुरू किया, जैसे खादी का उपयोग और गाँव में स्कूल बनाना।
आज के समय में उनके विचार
अब 2025 में भी गांधी जी की बातें सुनने लायक हैं। पर्यावरण बचाने के लिये ‘अहिंसा’ का मतलब है प्रकृति को नुकसान न पहुँचाना, जबकि ‘स्वदेशी’ का अर्थ है स्थानीय उत्पादन को बढ़ावा देना। कई छोटे उद्यमी अपने गाँव में कारीगरों को रोजगार दे रहे हैं – यही गांधी की स्वदेशी नीति का नया रूप है। इसी तरह स्कूलों में बच्चों को नैतिक शिक्षा देना, जो उनका मूलभूत अधिकार है, उनके ‘शिक्षा’ के सिद्धांत से जुड़ा हुआ है।
इस टैग पेज पर आप विभिन्न लेख पाएंगे – कुछ गांधी जी की जीवनी पर, कुछ उनके उद्धरणों पर और कुछ उनके विचारों को आज के राजनैतिक या सामाजिक मुद्दों में कैसे लागू किया गया, इसपर। उदाहरण के तौर पर, ‘रक्षा बंधन 2025’ वाले लेख में भाई‑बहन के रिश्ते को गाँधी की अहिंसा से जोड़कर भावनात्मक संदेश दिया गया है। इसी तरह कई खेल, आर्थिक और सामाजिक समाचार भी गांधी के सिद्धांतों का प्रतिबिंब दिखाते हैं, जैसे स्वदेशी उद्योग का बढ़ता समर्थन या पर्यावरणीय पहल।
अगर आप गांधी जी की सीख को अपने जीवन में अपनाना चाहते हैं तो छोटे‑छोटे कदम से शुरू करें – प्लास्टिक कम उपयोग, स्थानीय उत्पाद खरीदें और दूसरों के साथ सम्मानपूर्वक बात करें। ये छोटे‑से‑बड़े बदलाव हमारे समाज को अधिक शांति और समृद्धि की ओर ले जाएंगे, बिलकुल गांधी जी ने सोचा था।
इस पेज पर आप लगातार नई लेखों का अपडेट पाएंगे, इसलिए बार‑बार आकर पढ़ें और अपने विचारों को ताज़ा रखें। महात्मा गांधी के सिद्धांत सिर्फ इतिहास नहीं, बल्कि आज की ज़िंदगी में काम आने वाली दिशा‑निर्देश हैं।

महात्मा गांधी की युगांतकारी शिक्षा पर आधारित विश्व अहिंसा दिवस एक वैश्विक उत्सव है, जो शांति और अहिंसा के प्रति उनकी अटूट प्रतिबद्धता को याद करता है। यह दिवस गांधीजी के विचारों और उनके अहिंसा संघर्ष की गहराई को समझने और सामरिक रणनीतियों के रूप में आत्मसात करने का अवसर प्रदान करता है।
- आगे पढ़ें

भारत-अमेरिकी संगीतकार और तीन बार के ग्रैमी विजेता रिकी केज ने कहा है कि महात्मा गांधी 1948 में उनके हत्या के बाद पश्चिमी जगत में लगभग भुला दिए गए थे। केज के अनुसार, गांधी की प्रसिद्धि 1982 में रिचर्ड एटनबरो की फिल्म 'गांधी' की रिलीज तक अज्ञात रही। इस फिल्म ने दुनियाभर में गांधी को शांति के दूत के रूप में फिर से प्रतिष्ठित किया।